केजरीवाल ने DTS की बसों का बनाया कबाड़ा, 6 साल में ₹350000000000 बढ़ गया घाटा-45% बसें भी हुईं कबाड़: रिपोर्ट

दिल्ली DTC CAG रिपोर्ट

केजरीवाल ने DTS की बसों का बनाया कबाड़ा (फोटो साभार: DH, IT)

दिल्ली की नई नवेली BJP सरकार के फैसलों से आम आदमी पार्टी (AAP) के खेमे में खलबली बची हुई है। खासतौर से CAG रिपोर्ट के चलते अरविंद केजरीवाल समेत AAP के तमाम नेताओं के चेहरे जनता के सामने बेनकाब होते जा रहे हैं। CAG रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि AAP सरकार की शराब नीति के कारण सरकार को 2000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। साथ ही बीते 6 साल में DTC का घाटा 35000 करोड़ रुपए बढ़ गया है। इसके अलावा DTC की 45% बस कबाड़ हो चुकी हैं।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ तौर पर कहा है कि वे CAG की 14 रिपोर्ट विधानसभा में पेश करेंगी। इनमें से शराब नीति पर CAG की रिपोर्ट के साथ ही वाहन प्रदूषण पर खर्च, सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे (मोहल्ला क्लीनिक), शिक्षा विभाग, सामाजिक योजनाएं (मुफ्त बिजली-पानी), आर्थिक परियोजनाएं (सड़क-पुल), राज्य वित्त ऑडिट, मुख्यमंत्री आवास नवीकरण पर अतिरिक्त खर्च, सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति, सामान्य प्रशासनिक खर्च, पर्यावरण नीतियाँ (कचरा प्रबंधन), और डीटीसी का वित्तीय प्रबंधन शामिल हैं।

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AAP ने किया DTC का बेड़ा गर्क:

एक ओर जहां CAG रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति (शराब नीति) के चलते सरकर को 2000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। वहीं, अब TOI ने CAG रिपोर्ट को लेकर दावा किया है कि बीते 6 सालों में दिल्ली परिवहन निगम (DTC) का कर्ज 35000 करोड़ रुपए बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015-16 में डीटीसी का घाटा 25300 करोड़ रुपए था, जो 2021-22 तक बढ़कर 60750 करोड़ रुपए तक हो गया था।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि DTC की 45% बसें कबाड़ हो चुकी हैं और आए दिन खराब होती रहती हैं। इसके चलते बसों का उपयोग सामान्य से कम हो पा रहा है। साथ ही खुलासा हुआ है कि साल 2007 में जब दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार थी, तब दिल्ली हाई कोर्ट ने DTC को 11000 बसों का बेड़ा तैयार करने के लिए कहा था। हालांकि 5 साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने इसे आधा करते हुए 5,500 बसों का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि इन बसों की खरीदी भी नहीं हुई। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि केजरीवाल सरकार में साल 2022 के अंत तक, DTC के बेड़े में मात्र 3937 बसें ही शेष रह गई थीं, जिनमें से 1770 बसें ओवरएज यानी औसत से अधिक पुरानी हो चुकी थीं। 

मुफ़्त यात्रा ने बढ़ाया घाटा

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि DTC का किराया आखिरी बार साल 2009 में बढ़ा था। इसके बाद से न तो कांग्रेस सरकर और ना ही AAP सरकार ने किसी प्रकार से किराए में बढ़ोतरी की। यहां तक फिर भी ठीक था। लेकिन किराए न बढ़ने से बोझ पहले ही बढ़ रहा था और फिर महिलाओं को मुफ़्त बस की सर्विस भी शुरू कर दी गई। इससे घाटा कहीं अधिक हो गया। हालत यह है कि 468 रूट्स पर चलने वाली बसें अपना खर्च तक नहीं वसूल पाईं। इससे 2015-22 के बीच 14199 करोड़ रुपए का अतिरिक्त घाटा हुआ। बड़े-बड़े वादे करने वाले अरविंद केजरीवाल ने साल 2015 में 10000 नई बसें चलाने का वादा किया था। लेकिन साल 2022 में सिर्फ 300 बसें ही खरीदी गईं। यह हालत तब थी जबकि दिल्ली सरकार के पास में बसें खरीदने के लिए 233 करोड़ रुपए का पर्याप्त फंड उपलब्ध था।

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