आगजनी में नहीं हुई कोई जनहानि; कभी बड़े वाहन तो कहीं फायर बुलेट बाइक से भी पहुँच रहे अग्निशमन अधिकारी… प्रयागराज महाकुंभ में साधु-संत भी कर रहे हैं UP दमकल विभाग की तारीफ

प्रयागराज महाकुंभ में साधु-संत भी कर रहे है फायर ब्रिगेड विभाग के सक्रियता की सराहना

प्रयागराज महाकुंभ फायर ब्रिगेड

प्रयागराज महाकुंभ में चौकस फायर ब्रिगेड विभाग के सराहनीय कार्यों पर TFI की ग्राउंड रिपोर्ट

प्रयागराज महाकुंभ में 12 फरवरी 2025 (बुधवार) को माघी पूर्णिमा का चौथा स्नान सकुशल पूरा हुआ। देश और दुनिया के करोड़ो श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर माँ गंगा में डुबकी लगाई। अब तक लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। आधिकारिक तौर पर इस आयोजन को दिव्य और भव्य महाकुंभ कहा गया है। इस महापर्व को दिव्यता और भव्यता देने में सबसे अहम योगदान सुरक्षा बलों का रहा है जिसमें स्टेट पुलिस से ले कर केंद्रीय बल (CAPF) तक शामिल हैं। इन्हीं प्रादेशिक बलों में से एक है उत्तर प्रदेश फायर सर्विस यानी कि दमकल विभाग।

हिन्दू धर्म में अग्नि को देवता का स्थान दिया जाता है। महाकुंभ तीर्थक्षेत्र में लाखों ऋषि-मुनि और कल्पवासी लगातार यज्ञ-हवन व अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते रहते हैं। अधिकतर शिविर लकड़ी और कपड़े से बने हुए हैं। ऐसे में एक छोटी सी भी चिंगारी कई बार बड़ी आगजनी की वजह बन गई थी। इन्ही हालातों से निबटने के लिए दमकल विभाग ने मेले के सभी सेक्टरों में अग्निशमन केंद्र खोल कर रखे हुए हैं। इन् केंद्रों पर हर प्रकार के वाहनों के साथ फायर ब्रिगेड स्टाफ 24 घंटे किसी विषम हालात से निबटने के लिए एक्टिव रहते हैं।

महाकुंभ की लगाकर ग्राउंड कवरेज कर रही TFI की टीम ने ऐसे ही एक अग्निशमन सेंटर में जा कर इस विभाग की तैयारियों को परखा। हमने पाया कि हर फायर ब्रिगेड सेंटर का एक इंचार्ज नियुक्त है जो अपने अधीनस्थों के साथ तमाम वाहनों के रख-रखाव का भी जिम्म्मेदार माना जाता है। यह उत्तरदायित्व मेला क्षेत्र के सभी प्रभारी बाखूबी निभा भी रहे हैं। हमने पाया कि फायर ब्रिगेड के वाहनों के टैंकर हमेशा फुल कर के रखे जाते थे। सभी स्टाफ न सिर्फ मोबाइल बल्कि वायरलेस सेट पर भी हमेशा चौकन्ने हो कर हर संदेश का जवाब दे रहे थे।

संकरे रास्तों के लिए 2 पहिया दमकलों की भी तैनाती

महाकुंभ में किसी भी आगजनी की सूचना पर तत्काल पहुँचने के लिए फ़ायर ब्रिगेड ने सभी केंद्रों में 2 पहिया और 4 पहिया अग्निशमन वाहनों को तैनात कर रखा है। 4 पहिया वाहनों में भी अलग-अलग कैटेगरी के वाहन खड़े पाए गए। इन वाहनों में कार की साइज से ले कर मिनी ट्रक के आकार के दमकल शामिल हैं। सेंटर पर तैनात स्टाफ ने हमें बताया कि अलग-अलग वाहन की स्टोरेज क्षमता अलग-अलग होती है। उनके द्वारा फेंके जाने वाले प्रेशर में भी भिन्नता होती है। इन वाहनों को आगजनी की गंभीरता को देखते हुए भिन्न-भिन्न मौकों पर प्रयोग में लाया जाता है।

मध्यम श्रेणी के हाईटेक अग्निशमन वाहन को शार्ट फॉर्म में FRQV कहा जाता है। यह नाम वाहन के ऊपरी हिस्से पर लिखा हुआ है। इसमें 700 लीटर की टंकी होती है। इस वाहन को हाई प्रेशर के लिए जाना जाता है।  इसके साथ लगभग इसी साइज के खड़े एक अन्य अग्निशमन वाहन में सीढ़ियाँ लगी हुई हैं। इन सीढ़ियों की मदद से फायर फाइटर्स 2 से 3 मंजिलों तक ऊँचाई पर जा कर न सिर्फ आग बुझा सकते है बल्कि वहाँ फँसे लोगो को सुरक्षित निकाल भी लाते हैं। कैम्प में पुराने समय से प्रयोग आ रहे बड़े दमकल को ही सक्रिय मोड पर खड़ा रखा गया है। हालाँकि इसकी तकनिकी को अपग्रेड कर दिया गया है और अब इसको हाइब्रिड वाहन कहा जाता है।

अग्निशमन केंद्रों में सबसे आकर्षण बाइक दमकल रहे हैं। इसमें 2 सवारों के बैठने और दाएँ-बाएँ अग्निशमन सिलेंडर रखे हुए हैं। भीड़ में से निकलने के लिए हूटर और रात में पहचान के लिए फ्लैशर लाइटें भी लगाई गई हैं। इन बाइक फायर ब्रिगेड वाहनों से उन संकरी गलियों में भी पहुँच कर कई अनहोनी रोकी गईं हैं जहाँ बड़े अग्निशमन वाहन नहीं पहुँच पाते हैं। विभाग में इसका नाम ‘फायर बुलेट’ है। सभी वाहनों के टायर ही इस रूप में डिजायन हैं जो रेत और दलदल में आराम से चल सकें। इन्हे चलाने के लिए उच्च प्रशिक्षित कुशल ड्राइवर भी नियुक्त हैं जो जरूरत पड़ने पर फायर फाइटर की भी भूमिका निभा लेते हैं।

अग्निशमन केंद्र पर हमें बताया गया कि वाहनों की सर्विसिंग से ले कर ओवरहालिंग तक समय-समय पर होती है। कर्मियों को आम दिनों में भी मॉक ड्रिल आदि के जरिए आग पर नियंत्रण पाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है। अधिकतर स्टाफ को फायर ब्रिगेड के उपकरणों की तकनिकी जानकारी भी मिलती है जिस से कभी आकस्मिक तौर पर आई छोटी-मोटी कमी को वो अपने स्तर पर सुधार लें। हालाँकि मशीनों का भी रूटीन चेकअप आधिकारिक तौर पर होता रहता है। आगजनी के गंभीर मामलों में फायर ब्रिगेड फोम युक्त पानी का भी प्रयोग करता है। यह फोम फायर ब्रिगेड का पम्प खुद ही ऑटोमैटिक तौर पर मिक्स कर के टैंकर में लोड कर देता है।

गीताप्रेस के ट्रस्टी ने भी की थी तारीफ

महाकुंभ के पहले स्नान मकर संक्रांति के बाद सेक्टर 5 स्थित गीताप्रेस के शिविर में आग लगी थी। इस अग्निकांड में एक ही परिसर में मौजूद कई कॉटेज को नुकसान पहुँचा था। TFI से बातचीत में शिविर का प्रबंधन देख रहे गीताप्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने प्रशासन की तारीफ की थी। उन्होंने बताया था कि फायर ब्रिगेड के वाहन सही समय पर पहुँच गए थे और उन्होने भरसक कोशिश कर के बड़े नुकसान को सीमित किया था। तब दोपहर के समय तेज हवाओं के बीच फायर ब्रिगेड ने घंटो तक जूझ कर आग को किसी दूसरे शिविर में नहीं जाने दिया था।

आग से कोई जनहानि नहीं

महाकुंभ में कल्पवासी शिविरों से ले कर कुछ अन्य संतों-महंतों के पंडालों और इस्कॉन के कैम्प तक में आग लगने की कई घटनाएँ सामने आई हैं। इसमें से अधिकतर की वजह शॉर्ट सर्किट मानी गई हैं। लाखों लोगों से भरे मेले में तब फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ अविलम्ब मौके पर पहुँची। कुशल ड्राइवरों ने इसका ध्यान रखा कि कोई राहगीर श्रद्धालु वाहनों की चपेट में न आए। इसके बाद फायर ब्रिगेड कर्मियों ने आग पर अतिशीघ्र काबू भी पाया। आगजनी की दर्जन भर से ज्यादा घटनाओं के बावजूद यह फायर ब्रिगेड विभाग की ही सक्रियता रही कि कोई जनहानि किसी भी अग्निकांड में नहीं हुई। TFI ने इसकी सराहना करते कई साधु-संतों को भी सुना है।

 

 

 

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