‘मैं बांग्लादेश को PM मोदी पर छोड़ता हूं…’ ट्रंप के बयान के क्या हैं मायने? शेख हसीना फिर बनेंगी PM?

शेख हसीना का तख्ता पलट किए जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चल रही है

ट्रंप और युनूस की अदावत की कहानी 2016 से ही शुरू हो गई थी

ट्रंप और युनूस की अदावत की कहानी 2016 से ही शुरू हो गई थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंचे हुए हैं। उन्होंने वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन के कई अधिकारियों के साथ बातचीत की है। ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद यह पीएम मोदी और ट्रंप की पहली मुलाकात है और इसमें खूब गर्मजोशी भी दिखाई दी है। यह दौरा रक्षा, व्यापार, टेक्नोलॉजी, बहुपक्षीय साझेदारी जैसे मुद्दों के लिए बेहद अहम है। इस बीच वाशिंगटन में द्विपक्षीय बैठक के बाद पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस थी और इसमें ट्रंप ने बांग्लादेश के ताज़ा हालातों को लेकर जो कुछ कहा है उसकी चर्चा हर ओर हो रही है।

ट्रंप ने बांग्लादेश पर क्या कहा?

बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल का दौर चल रहा है। शेख हसीना का तख्ता पलट किए जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चल रही है। शेख को जिस कथित छात्र आंदोलन के चलते पद छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी उसके पीछे अमेरिकी डीप स्टेट का हाथ बताया जाता है। ट्रंप से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के पीछे बाइडन प्रशासन के दौरान अमेरिकी डीप स्टेट की भूमिका को लेकर सवाल किया गया था। इस पर ट्रंप ने कहा कि इसमें डीप स्टेट की भूमिका नहीं थी। ट्रंप ने कहा, “यह ऐसी चीज है जिस पर प्रधानमंत्री लंबे समय से काम कर रहे हैं। मैं बांग्लादेश को प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के भरोसे छोड़ता हूं।”

क्या हैं इसके मायने?

बेशक ट्रंप ने इस मामले में बांग्लादेश की भूमिका होने से इनकार किया है लेकिन डीप स्टेट की भूमिका को कतई नकारा नहीं जा सकता है। इसके पीछे अमेरिका के अपने हित थे, वो चीन को काउंटर करने के लिए सेंट मार्टिन द्वीप पर बेस बनाना चाहता था जिसकी इजाज़त शेख हसीना नहीं दे रही थीं। शायद डीप स्टेट की भूमिका को ट्रंप खुद भी जानते हैं, उन्होंने खुद इससे लड़ाई लड़ी है लेकिन कूटनीति की अपनी मजबूरियां भी होती हैं। मोहम्मद युनूस के डीप स्टेट की सबसे अहम कड़ी माने जाने वाले अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से गहरे संबंध रहे हैं। जब ट्रंप सत्ता में आए तो उन्होंने सभी तरह की विदेशी सहायता पर रोक लगा दी थी जिसमें बांग्लादेश को दी जाने वाली सहायता भी शामिल थी। इस एलान के बाद बांग्लादेश में खलबली मची तो जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस ने मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की थी। साफ था, वो बांग्लादेश को एक भरोसा देने आए थे।

अब ट्रंप के इस बयान के बाद यह लगभग साफ हो गया है कि बांग्लादेश के मामले में अमेरिका अब हस्तक्षेप नहीं करेगा। यानी जिस अमेरिकी मदद के भरोसे युनूस बैठे थे वो भरोसा अब उनसे छिनता नज़र आ रहा है। ट्रंप के बयान से यह भी स्पष्ट है कि अमेरिका की जो नीति बांग्लादेश के लिए होगी वो भारत की कूटनीति के हिसाब से ही तय होगी। युनूस कट्टरपंथ की जिस जमात की नुमाइंदगी करते हुए भारत को घुड़की देने की कोशिश कर रहे थे उस पर भी अब लगाम लगेगी। बांग्लादेश की सरकार युनूस से ज्यादा अमेरिकी डीप स्टेट, ISI और बांग्लादेश की कट्टरपंथी जमातें चला रही थीं। इसमें सबसे अहम योगदान पैसे का है जो अमेरिका से मिल रहा था। अब यह मिलना बंद हो जाएगा। युनूस जिस पैसे की नींव के सहारे ताश के पत्तों का महल खड़ा करने की सोच रहे थे ट्रंप के एक बयान ने वो नींव ही हिला दी है।

पुरानी है ट्रंप और युनूस की अदावत

ट्रंप और युनूस की अदावत की कहानी नई नहीं है। 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे तो उनका मुकाबला हिलेरी क्लिंटन से था। उस समय मोहम्मद युनूस ने ग्रामीण अमेरिका और ग्रामीण रिसर्च संस्थाओं के माध्यम से क्लिंटन की फाउंडेशन को 3 लाख अमेरिकी डॉलर तक का चंदा दिया था। इन दोनों संस्थाओं की अध्यक्षता तब युनूस ही कर रहे थे। हालांकि, ट्रंप वो चुनाव जीत गए और अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए। जिस समय अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनावों के नतीजों का एलान हो रहा था, युनूस उस समय फ्रांस की राजधानी पेरिस में थे। इन नतीजों से युनूस को भयंकर झटका लगा था।

युनूस ने 2016 में पेरिस में एक बिज़नेस स्कूल में करीब 100 लोगों को संबोधित करते हुए कहा था, “ट्रंप की जीत का हमारे ऊपर इतना गहरा असर पड़ा कि आज सुबह मैं ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था। मेरी हिम्मत ही टूट गई थी।” उन्होंने आगे कहा, “हमें खुद को डिप्रेशन में नहीं जाने देना है…हम इन काले बादलों को पार करेंगे।”

जब ट्रंप राष्ट्रपति बन गए तो बांग्लादेश का एक प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन में डोनाल्ड ट्रंप से मिलने पहुंचा था। इसमें राजनयिक,बांग्लादेशी-अमेरिकी नागरिक और बांग्लादेशी सरकार के कुछ सदस्य शामिल थे। ट्रंप ने परिचय के बाद प्रतिनिधिमंडल से पहला सवाल ही युनूस को लेकर किया था। ट्रंप ने पूछा, “वो माइक्रोफाइनेंस वाला आदमी कहां है? उसने मेरी हार के लिए दान दिया था।” प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक पूर्व बांग्लादेशी अधिकारी ने कहा था कि ट्रंप, मुहम्मद यूनुस और उनके संस्थानों से बेहद नाराज थे।

2024 में भी अपने चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिए युनूस नेतृत्व को घेरा था। ट्रंप ने कहा था, “मैं हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जिन पर बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है। बांग्लादेश पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है। मेरे कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं होता।”

शेख हसीना फिर बनेंगी PM?

बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के बाद हुई हिंसा के चलते शेख हसीना ने अगस्त 2024 में देश छोड़ दिया था। इसके बाद से शेख हसीना भारत में ही रह रही हैं। बांग्लादेश में उनके ऊपर हत्या से लेकर तमाम तरह के केस दर्ज किए गए हैं और बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने अब तक दो गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) उनके प्रत्यर्पण की मांग कर चुके हैं। हालांकि, मौजूदा स्थितियों में बाज़ी युनूस के हाथ में ही थी।

अब जब ट्रंप ने पीएम मोदी को बांग्लादेश पर फ्री हैंड दे दिया है तो युनूस को कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे हमलों का जवाब देना होगा। युनूस को बताना होगा कि क्यों वे उन कट्टरपंथियों के दबाव में काम कर रहे हैं जो खुद ISI के हाथों की कठपुतली हैं। बांग्लादेश में बीएनपी और कट्टरपंथी समूह जमात-ए-इस्लामी के बीच भी मतभेद की खबरें हैं।

बांग्लादेश की जनता भी युनूस के इस खेल को समझ चुकी है और वो जल्द से जल्द चुनाव चाहती है लेकिन युनूस इसे लगातार लटका रहे हैं। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के समय आम लोगों में भी शेख हसीना को लेकर गुस्से की भावना थी लेकिन जिस तरह आंदोलनकारियों ने बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का अपमान किया है, उनकी प्रतिमा तोड़ी गई और घर को आग लगाई है, उससे लोगों में इन कथित आंदोलनकारियों को लेकर भी गुस्सा पनप रहा है। ऐसे में अगर फिर से बांग्लादेश में चुनाव होते हैं और शेख हसीना की पार्टी उसमें बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहती है तो फिर से हसीना के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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