समय रैना के शो में रणवीर इलाहाबादिया के कमेंट्स ‘अश्लील’ थे या नहीं- जानिए क्या कहता है कानून-कितनी हो सकती है सजा

समय रैना, रणवीर इलाहाबादिया, अपूर्वा मुखीजा

रणवीर इलाहाबादिया, समय रैना और अपूर्वा मुखीजा (बाएं से)

समय रैना के यूट्यूब शो ”इंडियाज गॉट लेटेंट’ में रणवीर इलाहाबादिया समेत अन्य लोगों ने अश्लील कमेंट्स किए थे। इस शो के वीडियो वायरल होने के बाद से रणवीर इलाहाबादिया लगातार लोगों के निशाने पर हैं। शो में बतौर जज मौजूद सभी लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है। हालांकि इससे पहले ही रणवीर इलाहाबादिया ने माफी मांग ली थी। लेकिन सिर्फ माफी मांगने से काम नहीं चलने वाला, क्योंकि देश कानून से चलता है। ऐसे में सवाल यह है कि कानून रणवीर इलाहाबादिया के कमेंट्स को अश्लील मानता है या नहीं।

भारत में हैं अश्लीलता से जुड़े कानून:

दरअसल, भारत में हर एक विषय को लेकर वकायदा कानून है। ऐसे में अश्लीलता से जुड़ा कानून होना तो स्वाभाविक है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 294, 296 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम यानी IT एक्ट की धारा 67 में अश्लील कंटेंट से जुड़े नियम-कायदे बताए गए हैं।

BNS की धारा 294 कहती है कि किसी भी प्रकार से चाहे वह ऑनलाइन हो या फिर ऑफ़लाइन अश्लील कंटेंट की बिक्री, आयात, निर्यात, विज्ञापन और प्रदर्शन करना अपराध है। खासतौर पर ऐसा कोई भी कंटेंट जिसमें कामुकता हो यानी कामुक रुचि को बढ़ावा देती हो या फिर अत्यधिक यौन प्रकृति की हो। वहीं, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम यानी IT एक्ट की धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक रूप में यानी ऑनलाइन तरीके से अश्लील कंटेंट के प्रकाशन या प्रसारण को अपराध मानती है।

क्या है अश्लील कंटेंट की परिभाषा:

अश्लील कंटेंट को लेकर कानून की बात समझने के साथ ही यह भी समझना आवश्यक है कि आखिर कानून किस तरह के कानून को अश्लील मानता है। इसका जवाब सीधा है, जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कामुकता हो यानी कामुक रुचि को बढ़ावा देने वाला कंटेंट या फिर जिसके चलते किसी भी व्यक्ति में यौन इच्छा उत्तेजित हो, ऐसा कंटेंट अश्लील माना जाता है।

हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी विषय की अश्लीलता का आकलन या फिर उसे जज करने के लिए सामाजिक भावना और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का भी काफी हद तक ध्यान दिया जाता है। इसे आसानी से ऐसे समझा जा सकता है कि समाज के विचारों में समय के साथ परिवर्तन होता रहता है, जो कभी अश्लील माना जाता था, वह अब सामान्य रूप में समाज द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। मसलन कपड़ों की ही बात की जाए तो 80-90 के दशक में जैसे कपड़े पहनने पर समाज ‘बहिष्कृत’ करने की बात करने लगता वह अब धीरे-धीरे ही सही काफी हद तक स्वीकार किया जाने लगा है। इसी तरह अश्लीलता की श्रेणी भी समय के साथ बदलती रही है।

क्या हो सकती है कार्रवाई और सजा:

यूट्यूब शो में अश्लील कमेंट करने के मामले में असम से लेकर महाराष्ट्र तक में FIR दर्ज हुई हैं। यदि सिर्फ असम में दर्ज हुई FIR को देखें तो इसमें रणवीर इलाहाबादिया, समय रैना, आशीष चंचलानी और अपूर्वा मुखीजा पर कुल मिलाकर 9 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें BNS की धारा 79, धारा 95, धारा 294, धारा 296, IT एक्ट की धारा 67, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा 4 और महिलाओं का अशिष्ट चित्रण (प्रतिषेध) अधिनियम की धारा 4 शामिल है। जांच के बाद या फिर कोर्ट के आदेश पर पुलिस इसमें अन्य धाराएं भी जोड़ सकती है।

चूंकि FIR दर्ज होने का अर्थ सिर्फ आरोप लगना या फिर अपराध की प्रारंभिक सूचना का कानूनी रूप लेना है। ऐसे में अब जांच होगी और मामला कोर्ट के संज्ञान में जाएगा, जिसके बाद कोर्ट सुनवाई कर अपना फैसला सुनाएगा। BNS की धारा 294 में दोषी पाए जाने पर 2 साल तक की जेल का प्रावधान है। साथ ही पहली बार दोषी पाए जाने पर 5,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

वहीं, दूसरी बार या इससे अधिक दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा और 10,000 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा, IT एक्ट की धारा 67 के अंतर्गत पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल तथा 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। ऐसे में यदि आरोपित दोषी ठहराए जाते हैं तो फिर सजा मिलना तय है।

Exit mobile version