Jammu and Kashmir News: अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। जहां कभी आतंकवाद और अलगाववाद की छाया थी, वहां अब विकास और पर्यटन ने अपनी जगह बना ली है। लेकिन पाकिस्तान अपनी नापाक साजिशों से पीछे हटने को तैयार नहीं। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में खुलासा किया कि पाकिस्तान अब भी आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहा है। उनके मुताबिक, साल 2024 में मारे गए 73 आतंकियों में से 60% पाकिस्तानी थे, और वर्तमान में सक्रिय 80% से अधिक आतंकवादी भी पाकिस्तान से ही हैं।
उत्तर कश्मीर और डोडा-किश्तवाड़ जैसे इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा हुआ है, लेकिन अब कश्मीर बदल चुका है। पहले जहां गोलियों की आवाजें गूंजती थीं, आज वहां सैलानियों की चहल-पहल और कारोबार की रफ्तार बढ़ रही है। मोदी सरकार की सख्त नीतियों और सेना के मजबूत कदमों की वजह से कश्मीर में हालात काफी हद तक सामान्य हो चुके हैं।
जानकारों का कहना है कि सेना प्रमुख दिवेदी इन आंकड़ों से यह संदेश देना चाहते थे कि अब आतंकवाद से दूर होकर अधिकतर कश्मीरियों ने वर्तमान स्थिति को स्वीकार कर लिया है और निर्माण, विकास और पर्यटन को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है.”
आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार
कल, 14 फरवरी 2025 को, देश ने पुलवामा आतंकी हमले की छठी बरसी पर उन 40 वीर जवानों को याद किया, जिन्होंने अपने कर्तव्य पालन में सर्वोच्च बलिदान दिया। 2019 में, जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया था, जिसमें 78 वाहन और 2,500 से अधिक जवान शामिल थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को और मजबूती दी।
इसी वर्ष, 5 अगस्त 2019 को, मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अनुच्छेद 370 को हटा दिया। यह केवल एक संवैधानिक बदलाव नहीं था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमाण था। इस फैसले के साथ जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, जिससे अलगाववादी ताकतों की कमर टूट गई और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद पर सीधा नियंत्रण मिल गया।
पत्थरबाजी में भारी गिरावट: आंकड़े दे रहे गवाही
अनुच्छेद 370 हटने से पहले जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी एक आम घटना थी, जिसका इस्तेमाल आतंकियों के समर्थन और सुरक्षा बलों के खिलाफ किया जाता था। लेकिन 5 अगस्त 2019 के बाद, इस पर लगभग पूरी तरह से लगाम लग गई।
2015 से 2019 के बीच पत्थरबाजी की 5,063 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जबकि 2019 से 2023 के बीच यह संख्या घटकर मात्र 434 रह गई। और सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि 2023 से अब तक एक भी पत्थरबाजी की घटना दर्ज नहीं हुई, जो घाटी में शांति बहाल होने का स्पष्ट संकेत है।
आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार
कश्मीर दशकों से इस्लामिक आतंकी संगठनों का गढ़ बना हुआ था, जहां जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों का दबदबा था। इन आतंकी संगठनों ने न केवल कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को अंजाम दिया, बल्कि श्रीनगर, उरी और पुलवामा जैसे बड़े हमलों को भी अंजाम दिया।
2014 से पहले: आतंक का काला दौर
दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, 1988 से 2000 के बीच आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में 3,520 भारतीय जवान शहीद हुए, जबकि 12,396 आतंकवादियों को सेना ने मार गिराया।
2001 से 2013 तक, 2,552 जवान शहीद हुए, जबकि सेना ने 9,849 आतंकवादियों का सफाया किया।
2015-2019: आतंक के खिलाफ आक्रामक रणनीति
2015 से 2019 के बीच आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन और तेज हुए। इस दौरान 385 जवानों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन सेना ने 934 आतंकियों को मारकर कश्मीर को आतंकमुक्त करने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाया।
2019 के बाद: आतंकवाद पर निर्णायक वार
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन और तेज कर दिए। 2020 से 8 फरवरी 2025 के बीच 191 जवान शहीद हुए, लेकिन इसके जवाब में 776 आतंकियों को भी मौत के घाट उतार दिया गया।
विशेष रूप से,
2020 में 56 जवान,
2021 में 45 जवान,
2022 में 30 जवान,
2023 में 33 जवान,
2024 में 26 जवान,
और 2025 में अब तक सिर्फ 1 जवान शहीद हुआ है।
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि आतंकवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है और सुरक्षा बलों का दबदबा पहले से कहीं अधिक मजबूत हुआ है।
2001 से लेकर 2025 तक की 22 प्रमुख घटनाएं
अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में हालात तेजी से बदल गए हैं। जहां कभी अलगाववाद और आतंकवाद का डर बना रहता था, आज वहां विकास और स्थिरता की नई तस्वीर उभर रही है। केंद्र सरकार की कड़ी नीतियों, सेना की रणनीतिक कार्रवाई और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख ने कश्मीर को एक नई दिशा में आगे बढ़ाया है।
आज की इस रिपोर्ट में, इस रिपोर्ट में, हम 2001 से 2025 तक कश्मीर में हुए 22 बड़े आतंकी हमलों का संकलन प्रस्तुत कर रहे हैं
क्रमांक | दिनांक | स्थान | घटना का विवरण |
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1 | 1 अक्टूबर 2001 | श्रीनगर | जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर जैश-ए-मोहम्मद का आत्मघाती हमला, जिसमें 38 लोग मारे गए। |
2 | 30 मार्च 2002 | जम्मू | रघुनाथ मंदिर पर आतंकी हमला, 11 लोग मारे गए, 20 घायल। |
3 | 23 मार्च 2003 | पुलवामा | लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया। |
4 | 2 जनवरी 2004 | जम्मू | जम्मू रेलवे स्टेशन पर आतंकी हमला, 4 जवान शहीद। |
5 | 13 मार्च 2013 | श्रीनगर | CRPF कैंप पर आतंकी हमला, 5 जवान शहीद। |
6 | 20 मार्च 2015 | कठुआ | कठुआ पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमला, 2 पुलिसकर्मी शहीद। |
7 | 5 अगस्त 2015 | उधमपुर | BSF के काफिले पर हमला, 2 जवान शहीद। |
8 | 17 अगस्त 2016 | बारामूला | लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने सेना के काफिले पर हमला किया, 4 जवान शहीद। |
9 | 18 सितंबर 2016 | उरी | जैश-ए-मोहम्मद का सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला, 19 जवान शहीद। |
10 | 10 जुलाई 2017 | अनंतनाग | अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला, 7 श्रद्धालु मारे गए। |
11 | 14 फरवरी 2019 | पुलवामा | CRPF के काफिले पर आत्मघाती हमला, 40 जवान शहीद। |
12 | 7 मार्च 2019 | जम्मू | बस स्टैंड पर ग्रेनेड हमला, 1 व्यक्ति की मौत, 32 घायल। |
13 | 14 अगस्त 2020 | श्रीनगर | बाईपास रोड पर पुलिस पार्टी पर हमला, 2 पुलिसकर्मी शहीद। |
14 | 20 अप्रैल 2023 | पुंछ | सेना के वाहन पर आतंकी हमला, 5 जवान शहीद। |
15 | 21 दिसंबर 2023 | पुंछ | सेना के काफिले पर हमला, 5 जवान शहीद। |
16 | 13 सितंबर 2024 | किश्तवाड़ | आतंकियों के साथ मुठभेड़ में 2 जवान शहीद। |
17 | 9 जून 2024 | रियासी | श्रद्धालुओं की बस पर हमला, 10 लोगों की मौत, 33 घायल। |
18 | 9 जुलाई 2024 | कठुआ | सेना के काफिले पर हमला, 5 जवान शहीद। |
19 | 16 जुलाई 2024 | डोडा | सेना के कैम्प पर हमला, 4 जवान शहीद। |
20 | 14 अगस्त 2024 | डोडा | मुठभेड़ के दौरान सेना के कैप्टन शहीद। |
21 | 24 अक्टूबर 2024 | गुलमर्ग | आतंकियों के हमले में 2 जवान शहीद। |
22 | 11 फरवरी 2025 | अखनूर | LOC के पास IED ब्लास्ट, 2 जवान शहीद। |