जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 फरवरी को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया तो उन्होंने विदेश नीति पर एक किताब पढ़ने की सलाह दी जिसे लेकर चर्चा हो रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा अपने भाषण में चीन के भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने और पीएम मोदी के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में ना शामिल होने का ज़िक्र किया था। जिस पर पलटवार करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “कुछ लोगों को लगता है कि जब तक विदेश नीति को लेकर नहीं बोलते तब तक वो परिपक्व नहीं लगते हैं। उनको लगता है विदेश नीति तो बोलना चाहिए, भले ही देश का नुकसान हो जाए।”
पीएम मोदी ने कहा, “मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि अगर उन्हें सच में विदेश नीति में रूचि है और विदेश नीति को समझना है और आगे जाकर कुछ करना भी है, तो मैं ऐसे लोगों को कहूंगा कि एक किताब ज़रूर पढ़ें। किताब का नाम है- JFK’S FORGOTTEN CRISIS। इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बीच हुई चर्चाओं और निर्णयों का भी वर्णन है।”
इस पुस्तक को विदेशी मामलों के जानकार और सुरक्षा मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ ब्रूस रीडेल द्वारा लिखा गया है। इस किताब में विदेश नीति के मोर्चे पर अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के सामने आए दो बड़े संकटों ‘क्यूबा मिसाइल संकट और 1962 के चीन-भारत युद्ध’ के बारे में चर्चा की गई है। रीडेल ने चीन के भारत पर आक्रमण के प्रति राष्ट्रपति कैनेडी की दृढ़ प्रतिक्रिया और पाकिस्तान को तटस्थ रखने में उनकी कूटनीति के बारे में बताया है। रीडेल के मुताबिक, सीमा पर चीनी आक्रमण के स्पष्ट संकेत होने के बावजूद नेहरू ने युद्ध की संभावनाओं को कम करके आंका था।
पुस्तक में क्या लिखा है?
रीडेल ने पुस्तक में लिखा है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान कैनेडी की भूमिका को नज़रअंदाज़ किया गया है। JFK’S FORGOTTEN CRISIS में लिखा है, “इस कहानी का एक और खास पहलू है: अमेरिका की प्रथम महिला जैकलीन बौवियर कैनेडी (JBK) द्वारा निभाई गई भूमिका। JBK, नेहरू और उनके पाकिस्तानी समकक्ष अयूब खान की संयुक्त राज्य अमेरिका की कई प्रमुख यात्राओं की मेज़बान थीं।”
‘जैकी में नेहरू की दिलचस्पी’
रीडेल पुस्तक में नेहरू की अमेरिका की एक यात्रा को लेकर लिखते हैं, “कैनेडी ने गैलब्रेथ (अमेरिकी राजनयिक) से कहा कि ‘यह उनके राष्ट्रपति काल की सबसे खराब राजकीय यात्रा थी’ और उन्होंने यह भी महसूस किया कि नेहरू उनसे बात करने के बजाय जैकी (उनकी पत्नी) से बात करने में अधिक दिलचस्पी ले रहे थे। जैकी ने 1962 में भारत जाने की बात कही थी, इस यात्रा को लेकर नेहरू ने कहा था कि वह इस यात्रा की बहुत प्रतीक्षा कर रहे थे। हालांकि, प्रथम महिला ने बाद में कहा कि आधिकारिक ‘बैठकें बिल्कुल नहीं हुईं और उंगलियों को थपथपाने और छत की ओर देखने का ही दौर चल रहा था’ और नेहरू के साथ उनका आदान-प्रदान ‘बहुत सहज और आकर्षक था’।”
‘JFK की बहन पैट में नेहरू की रुचि’
कैनेडी के भारत के एक दौरे को लेकर रीडेल ने लिखा, “जब कैनेडी भारत का दौरा कर रहे थे, तो नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने प्रधानमंत्री नेहरू को उनसे मिलने के लिए राजी किया था। जैकी कैनेडी को बाद में बताया कि दूतावास के कर्मचारियों ने कैनेडी को बताया कि ‘जब भी नेहरू ऊब जाते हैं, तो वह अपनी उंगलियों को एकसाथ थपथपाते हैं और छत की ओर देखते हैं।’ उन्होंने कहा कि कैनेडी के साथ केवल दस मिनट के बाद ‘नेहरू ने छत की ओर देखना और अपनी उंगलियों को थपथपाना शुरू कर दिया’। यह उनके रिश्ते की अशुभ शुरुआत थी। एक अन्य विवरण के अनुसार, नेहरू की जैक या बॉबी की तुलना में JFK की 27 वर्षीय आकर्षक बहन पैट कैनेडी में अधिक रुचि थी।”
मिसेज़ कैनेडी और नेहरू की तस्वीर
पुस्तक में जैकलीन कैनेडी के भारत के दौरे से जुड़ी एक कहानी भी लिखी गई है। रीडेल लिखते हैं, “2 मार्च 1961 को राजदूत ने कैनेडी को लिखा कि ‘मिसेज़ कैनेडी के कार्यक्रम की पुनर्व्यवस्था ठीक तरह से हो गई है’। कलकत्ता के नेता और लोग निराश थे कि वह समय की कमी के कारण यात्रा नहीं कर पाएंगी लेकिन बाकी यात्रा कार्यक्रम ठीक लग रहा था। उन्होंने आगे कहा, “वह गर्मजोशी से भरे और अनुकूल स्वागत की उम्मीद कर सकती हैं। नेहरू, जो बेहद प्यार में हैं और JBK (जैकलीन बौवियर कैनेडी) के साथ टहलते हुए अपनी तस्वीर अपने घर के मुख्य प्रवेश कक्ष में लगाए हुए हैं, पूरी तरह से सहमत हैं।”
मिसेज़ कैनेडी की भारत यात्रा
कैनेडी की पत्नी जैकी जब भारत-पाकिस्तान की यात्रा के दौरान ताज देखने के लिए आगरा आई थीं तो उस वर्ष उनकी उम्र 32 वर्ष थी। रेडील ने लिखा है, “भारत में उनकी यात्रा के दौरान ‘जैकी की जय, अमेरिका की रानी’ के नारे लगाए थे।” पुस्तक में मिसेज़ कैनेडी की भारत यात्रा का एक उल्लेख करते हुए लिखा है, “दूतावास ने मिसेज़ कैनेडी के रहने के लिए एक विला किराए पर लिया था लेकिन उनके आने के बाद नेहरू ने जोर दिया कि वह प्रधानमंत्री निवास के अतिथि कक्ष में रहें। यह वह कक्ष था जिसका इस्तेमाल अक्सर एडविना माउंटबेटन किया करती थीं। स्वतंत्रता के बाद भारत की लगातार यात्रा करने वाली एडविना और नेहरू कम से कम करीबी दोस्त तो थे ही, अगर उससे ज्यादा नहीं।’ जैकी पर नेहरू पूरा ध्यान दे रहे थे।” रीडेल लिखते हैं, “फर्स्ट लेडी (जैकी) को घुड़सवारी का शौक था। नेहरू ने उनके लिए राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के अभ्यास के लिए बने मैदान में घुड़सवारी करने की व्यवस्था की थी।”