झारखंड मुक्ति मोर्चा ने CAA, UCC, NRC को खारिज करने का प्रस्ताव किया पारित , घुसपैठियों को संरक्षण देने का सच उजागर!!

झारखंड में तुष्टीकरण की सियासत चरम पर

Hemant Soren With Archbishop Felix Toppo

Hemant Soren With Archbishop Felix Toppo

झारखंड की राजनीति में तुष्टीकरण कोई नई बात नहीं है, हेमंत सोरेन सरकार पर लगातार यह आरोप लगता रहा है कि वह घुसपैठियों को संरक्षण देने में आगे रही है। चुनाव प्रचार(4 नवंबर 2024) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे को उठाया था और झारखंड में सत्तारूढ़ JMM-कांग्रेस-RJD गठबंधन पर तुष्टीकरण की राजनीति को चरम पर ले जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने साफ कहा था कि अगर यह नीतियां जारी रहीं, तो झारखंड में जनजातिये समाज का हाशिए पर जाना तय है। पीएम मोदी ने यह भी दावा किया था कि गठबंधन सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाकर उन्हें अपना वोट बैंक बनाने में जुटी है। यह तुष्टीकरण केवल राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है, जबकि इससे राज्य की सामाजिक संरचना पर गंभीर असर पड़ सकता है।

हेमंत सोरेन

अब, उन्हीं आरोपों को और मजबूती मिलती दिख रही है क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा(Jharkhand Mukti Morcha) ने अपने 46वें स्थापना दिवस समारोह (डुमका के गांधी मैदान, रविवार रात) में CAA, UCC और NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया। पार्टी ने खुले तौर पर इन नीतियों को झारखंड में खारिज करने की मांग की, जिससे यह साफ हो गया कि वह राष्ट्रीय हितों की तुलना में अपनी तुष्टीकरण नीति को ज्यादा प्राथमिकता दे रही है।

घुसपैठियों का संरक्षण का रही JMM !

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 2 फरवरी 2025 को अपने 46वें स्थापना दिवस पर एक अहम 50 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया, जिसमें नागरिकता संशोधन कानून (CAA), समान नागरिक संहिता (UCC), और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध व्यक्त किया गया। इस प्रस्ताव ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है, क्योंकि यह प्रस्ताव झारखंड में इन कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने की मांग करता है।

यह कदम JMM के तुष्टीकरण और घुसपैठियों को संरक्षण देने के आरोपों को मजबूती से पुख्ता करता है। पार्टी का यह विरोध सीधे तौर पर उन राष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है, जिन्हें केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा और नागरिकता के मुद्दों को सुधारने के लिए पेश किया था। इस फैसले से साफ दिखता है कि राज्य सरकार घुसपैठियों के पक्ष में खड़ी है, जो राज्य की सुरक्षा और सामाजिक संरचना के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।

इस प्रस्ताव के साथ-साथ, JMM ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (SPT) को प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग की और केंद्र से राज्य को ₹1.36 लाख करोड़ का बकाया चुकता करने की अपील की। हालांकि, इस पर सवाल उठते हैं कि जब पार्टी राष्ट्रीय नीतियों का विरोध करती है, तो क्या यह सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने का तरीका है?

चंपई सोरेन, जो कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, ने भास्कर से बातचीत के दौरान 2 नवंबर 2024 को एक गंभीर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि संथाल परगना में ये घुसपैठिए जनजातिये जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और धर्मांतरण की प्रक्रिया तेज हो रही है। उनका आरोप था कि सरकार इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। ऐसे में आज इस बयान ने NRC के विरोध के पक्ष को और मजबूती दी है, क्योंकि यह राज्य के जनजातिये समाज और उनकी जमीनों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

 

Exit mobile version