‘सनसनीखेज सुर्खियों की भूख है, मेरी बदनामी के बारे में नहीं सोचा’: फेक न्यूज़ फैलाने को लेकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ पर बरसे शशि थरूर

थरूर ने राहुल गांधी से मिलने के बाद एक पोस्ट में लिखा था, "जहां अज्ञानता ही आनंद है, वहां बुद्धिमान होना मूर्खता है।"

पिछले कई दिनों से थरूर के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लग रही हैं

पिछले कई दिनों से थरूर के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लग रही हैं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर इन दिनों चर्चा में हैं, चर्चा है कि वह कांग्रेस छोड़ सकते हैं। अगले साल केरल में विधानसभा चुनाव होने है और इसे पहले वह पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिले थे। बताया जाता है कि 18 फरवरी को बंद कमरे में हुई इस मुलाकात में थरूर ने राहुल गांधी से पार्टी में उनकी भूमिका स्पष्ट करने की बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थरूर ने राहुल से कहा कि पार्टी में उन्हें नज़रअंदाज़ किया जा रहा है लेकिन उन्हें राहुल गांधी से कोई आश्वासन नहीं मिला। थरूर ने भी तब इस विषय पर ज़्यादा बात करने से इनकार कर दिया।

हालांकि, थरूर के भीतर पनप रहा असंतोष दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था। थरूर ने इस मुलाकात के 4 दिन बाद 22 फरवरी को एक ‘X’ पर एक पोस्ट किया। पोस्ट में अंग्रेज़ी कवि थॉमस ग्रे की कविता ‘ओड ऑन ए डिस्टेंट प्रॉस्पेक्ट ऑफ ईटन कॉलेज’ का एक कोट था। इसमें लिखा था, “जहां अज्ञानता ही आनंद है, वहां बुद्धिमान होना मूर्खता है।” यकीनी तौर पर थरूर जानते होंगे कि राहुल गांधी से उनकी मुलाकात के बाद उनके इस पोस्ट के कई मायने निकाले जाएंगे, थरूर जैसे बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा अज्ञानता में तो यह नहीं किया गया होगा।

इसके बाद 23 जनवरी को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने शशि थरूर के एक पॉडकास्ट का एक हिस्सा शेयर किया। यह ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मलयालम संस्करण के लिए था। इसमें शशि थरूर के हवाले से लिखा गया, “अगर कांग्रेस को मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है तो मेरे पास विकल्प हैं।”

इसके बाद तो जैसे थरूर के कांग्रेस छोड़ने की चर्चा आग की तरह फैलने लगी। कई अखबारों में इस खबर को प्रमुखता से छापा गया और चर्चा होने लगी कि थरूर अब कांग्रेस छोड़ेंगे, तब कांग्रेस छोड़ेंगे। हालांकि, थरूर ने जिस तरह मोदी सरकार की पिछले दिनों में तारीफ की उसने इन चर्चाओं में आग में घी डालने का काम किया। अटकलें अब भी चल ही रही हैं और इस बीच शशि थरूर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ पर बरस पड़े हैं। शशि थरूर ने गुरुवार (27 फरवरी) शाम को ‘X’ पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ पर ‘फेक न्यूज़’ फैलाने का आरोप लगाया है।

शशि थरूर ने क्या कहा?

थरूर ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबरों को ‘बेशर्मी वाली बातें’ तक बता दिया है। थरूर ने ‘X’ पर अपने पहले पोस्ट में लिखा, “एक महत्वपूर्ण थ्रेड जो मुझे उम्मीद है कि हमारे देश के पत्रकारिता स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। पिछले कुछ दिनों ने इस बात का एक सबक दिया है कि खबर कैसे ‘बनाई जाती है’।” थरूर ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को टैग कर लिखा, “अपने नए मलयालम पॉडकास्ट की ओर ध्यान आकर्षित कराना था, इसलिए उन्होंने दो बेशर्मी भरी बातें कहीं- सबसे पहले, उन्होंने एक अहानिकर बयान (मैंने कहा था कि मेरे पास साहित्यिक गतिविधियों में अपना ‘समय बिताने के लिए कई विकल्प हैं’) लिया और अंग्रेज़ी में इससे ऐसी हेडलाइन बना दी जिससे यह संकेत मिलता था कि मैं अन्य राजनीतिक विकल्पों पर विचार कर रहा हूं। #BreakingNews के कई अर्थ हैं।”

थरूर ने इसके बाद एक और पोस्ट करते हुए लिखा, “Express ने झूठी खबर छापी कि मैंने कांग्रेस की केरल इकाई में नेतृत्व की कमी की निंदा की है। यह खबर ‘द हिंदू’ और अन्य मीडिया हाउस में प्रकाशित भी हुई।” थरूर ने लिखा, “जब मैंने इस दावे को खारिज किया, तो मुझे मेरे मलयालम इंटरव्यू का एक अंग्रेज़ी ‘अनुवाद’ दिखाया गया जिसमें मैंने कथित तौर पर यह बात कही थी। मैंने वीडियो देखने की मांग की लेकिन कहा गया कि इसके रिलीज़ के लिए बुधवार तक इंतजार करना होगा।” उन्होंने आगे लिखा, “कल जब वीडियो सामने आया, तो साफ हो गया कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था। अब जाकर अख़बार ने अपनी गलती सुधारी है लेकिन तब तक बहुत नुकसान हो चुका था।”

IE का स्पष्टीकरण

शशि थरूर ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को घेरते हुए लिखा, “ऐसी हस्ती को गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता से क्या सुरक्षा मिल सकती है? पॉडकास्ट पर बहुत बात हुई और कई दिनों तक इससे हेडलाइंस बनीं लेकिन किसी ने भी मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार, अपमान और बदनामी के बारे में नहीं सोचा।” थरूर ने लिखा, “मैं लंबे समय से ‘इंडियन एक्सप्रेस’ का पाठक रहा हूं, इसका इतिहास शानदार रहा है। मैं यह बात गुस्से में नहीं बल्कि दुख के साथ लिख रहा हूं। किसी को उसके स्वभाव के लिए दोष नहीं दिया जा सकता। दुर्भाग्य से, हमारी पत्रकारिता का स्तर ऐसा हो गया है जहां सच्चाई और सटीकता की परवाह नहीं है और केवल सनसनीखेज सुर्खियों की भूख है।”

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्टिंग ने एक बार फिर उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक मनगढ़ंत नैरेटिव गढ़कर सनसनीखेज सुर्खियां बनाने की उसकी कोशिश ना सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि सोची-समझी रणनीति लगती है। अपने मन से किसी के द्वारा ना कही हुई बातों को लिखने से बेशक छवि खराब होगी ही। सवाल यह है कि ‘इंडियन एक्सप्रेस’ जैसी संस्थाएं सच्चाई और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर चलेंगी या फिर टीआरपी के लिए अधूरी और तोड़ी-मरोड़ी खबरें परोसती रहेंगी?

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