तुर्की एंबेसी के सामने कुरान जलाने वाले शख्स पर इस्लामी कट्टरपंथी का सरेआम चाकू से हमला, देखें वायरल वीडियो!

भारत में तो ख़तरा और भी भयावह

तुर्की एंबेसी के सामने ‘कुरान’ जला रहा था कुर्द युवक, इस्लामी कट्टरपंथी ने सरेआम चाकू से किया हमला

तुर्की एंबेसी के सामने ‘कुरान’ जला रहा था कुर्द युवक, इस्लामी कट्टरपंथी ने सरेआम चाकू से किया हमला (Image Source: Panchjanya)

यूरोप, जो कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गढ़ माना जाता था, अब कट्टरपंथियों के आगे झुकता नजर आ रहा है। ताजा मामला लंदन के नाइट्सब्रिज इलाके का है, जहां तुर्की एंबेसी के सामने एक व्यक्ति पर चाकू से हमला किया गया, क्योंकि उसने सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने की कोशिश की थी।

गुरुवार दोपहर को हुई इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसमें एक व्यक्ति ‘कुरान’ जलाते हुए देखा गया। उसने जलती हुई किताब को तुर्की एंबेसी के बाहर लहराया, जिससे वहां मौजूद लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं। लेकिन कुछ ही देर बाद, उस पर चाकू से हमला कर दिया गया। हालांकि इस हमले के बाद पीड़ित को अस्पताल ले जाय गया जहां उसका इलाज चल रहा है। यह घटना दिखाती है कि कैसे लंदन जैसे शहरों में भी अब मजहबी कट्टरता इतनी मजबूत हो चुकी है कि विचारों की असहमति का जवाब हिंसा से दिया जाने लगा है।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां

गुरुवार, 13 फरवरी को लंदन के नाइट्सब्रिज में तुर्की दूतावास के बाहर एक चौंकाने वाली घटना घटी, जिसने यूरोप में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता को उजागर कर दिया। हामित कोस्कुन, जो कि कुर्द मूल का बताया जा रहा है, ने सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने की कोशिश की। इस पर उग्र प्रतिक्रिया देते हुए एक व्यक्ति ने उस पर चाकू से हमला कर दिया।

इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कोस्कुन कुरान में आग लगाकर उसे अपने हाथ में पकड़े हुए है और तुर्की दूतावास के बाहर लहरा रहा है। लेकिन कुछ ही देर में हालात बेकाबू हो जाते हैं। वीडियो में नजर आता है कि वह व्यक्ति जमीन पर गिर चुका है, पहले एक व्यक्ति उसे पैरों से मारता है, फिर दूसरा व्यक्ति हथियार निकालकर बेरहमी से हमला कर देता है।

घटना की सूचना मिलते ही मेट्रोपॉलिटन पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस के अनुसार, उन्हें 13 फरवरी को दोपहर 2:11 बजे इस हमले की जानकारी मिली, जिसके बाद कार्रवाई करते हुए उन्होंने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी के पास एक घातक हथियार था और उसे गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। फिलहाल मामले की गहन जांच जारी है।

भारत में खतरा और भी गंभीर

अगर हालात की गहराई से परख करें, तो यह साफ दिखता है कि भारत में स्थिति और भी भयावह हो सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण है हिंदू समाज की असाधारण सहिष्णुता, जिसका फायदा बार-बार कट्टरपंथी ताकतें और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले लोग उठाते आए हैं। इतिहास इसका गवाह है—कभी तैमूर, तो कभी अकबर दिल्ली में आकर हजारों हिंदुओं का कत्लेआम कर उनकी खोपड़ियों से मीनारें बनवाता था। और क्या यह सिलसिला पूरी तरह थमा है? शायद नहीं, बस इसके रूप बदल गए हैं।

चिंता की बात यह भी है कि भारत में तुष्टिकरण की राजनीति अपने चरम पर है। कानून और प्रशासन कई बार एक विशेष वर्ग के प्रति जरूरत से ज्यादा संवेदनशील दिखते हैं, जबकि अन्य समुदायों की भावनाओं और सुरक्षा को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में शरिया अदालतें खुलेआम काम कर रही हैं, जहां भीड़ के फैसले को ही न्याय मान लिया जाता है। महिलाओं के साथ सरेआम अत्याचार होता है, लेकिन इसे ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ का नाम देकर चुप्पी साध ली जाती है।

यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि कड़वी हकीकत है। कमलेश तिवारी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। अक्टूबर 2019 में लखनऊ में उनके घर में घुसकर उनकी निर्मम हत्या कर दी गई, 15 बार चाकू से गोदा गया, फिर नजदीक से सिर पर गोली मारी गई। और इस नृशंस अपराध के बाद क्या हुआ? मुख्य आरोपी सैयद आसिम अली को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी।

नूपुर शर्मा का मामला देखिए। तस्लीम रहमानी लगातार शिवलिंग का मजाक उड़ा रहा था, लेकिन जब नूपुर शर्मा ने जवाब दिया, तो उन्हें ही पार्टी से निकाल दिया गया और भारत सरकार को कतर के सामने सफाई देनी पड़ी।

कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे, जिनकी सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। ‘सर तन से जुदा’ के नारे सिर्फ जुमले नहीं थे, उन्हें सड़कों पर हकीकत में बदल दिया गया। और हमारी न्यायपालिका? राजस्थान उच्च न्यायालय ने कन्हैया लाल के हत्यारे मोहम्मद जावेद को जमानत तक दे दी। अब सवाल उठता है—क्या भारत भी लंदन की राह पर चल पड़ा है?

 

 

 

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