मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, CM बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को दिया था इस्तीफा

बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी

केंद्र सरकार ने गुरुवार (13 फरवरी) को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है। इससे पहले 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में नए मुख्यमंत्री के एलान का इंतज़ार किया जा रहा था और इसी बीच गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति शासन के संबंध में अधिसूचना जारी की है। बीते सोमवार से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होना था और अटकलें लगाई जा रही थीं कि विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में था।

बीरेन सिंह ने इस्तीफे में क्या कहा था?

बीरेन सिंह ने राज्यपाल के नाम लिखे अपने इस्तीफे में कहा था, “अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही है। मैं हर मणिपुरी के हितों की रक्षा के लिए समय पर कार्रवाई, हस्तक्षेप, विकास के काम और विभिन्न परियोजनाओं को अमल में लाने के लिए केंद्र सरकार का आभारी हूं। आपके कार्यालय (राज्यपाल) के माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध है कि इसे जारी रखा जाए।”

साथ ही, बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में केंद्र सरकार से कुछ मांगें भी की थीं जिनमें ‘हजारों वर्षों के समृद्ध इतिहास वाली मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना’, ‘सीमा पर घुसपैठ पर नकेल कसना और अवैध अप्रवासियों के निर्वासन के लिए नीति बनाना’, ‘नशीली दवाओं और नार्को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखना’ और ‘बॉयोमैट्रिक को सख्ती से लागू करने के साथ एफएमआर (मुक्त आवाजाही व्यवस्था) के कड़े और संशोधित तंत्र को जारी रखना’ जैसी मांगे शामिल थीं।

हिंसा के बाद से बीरेन पर था इस्तीफे का दबाव

2017 में पहली बार मणिपुर के मुख्यमंत्री बने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का राज्य में यह लगातार दूसरा कार्यकाल था। मणिपुर में 3 मई 2023 से मैतेई और कुकी जनजाति के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से विपक्ष लगातार बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहा था। उन पर हिंसा पर नियंत्रण करने में नाकाम रहने के आरोप लगाए गए थे। गौरतलब है कि मणिपुर में हिंसा को लेकर कुछ हफ्तों पहले बीरेन सिंह ने लोगों से माफी भी मांगी थी। मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हज़ारों लोग बेघर हो गए थे। हालांकि, पिछले करीब एक महीने से राज्य में शांति का माहौल है।

शाह के पसंदीदा ‘अफसर’ हैं मणिपुर के राज्यपाल

मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला पूर्व गृह सचिव रहे हैं और उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का करीबी अफसर माना जाता है। भल्ला को अपनी सेवा के दौरान केंद्र सरकार ने उन्हें 4 बार सेवा विस्तार भी दिया था। भल्ला को लंबा प्रशासनिक अनुभव है और वे पिछले 52 साल में ऐसे दूसरे गृह सचिव थे जिन्होंने 5 वर्ष या इससे अधिक समय इस पद पर बिताया हो।

खास बात यह भी है कि मणिपुर हिंसा पर काबू पाने के लिए सरकार ने जो शांति प्रक्रिया तैयार की उसमें भल्ला की भूमिका बेहद अहम थी, उस समय भल्ला ही गृह सचिव थे। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के करीब एक हफ्ते बाद उन्हें गृह सचिव बनाया गया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर 2019 में हुए दंगों के दौरान शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम-मेघालय कैडर से होने के चलते पूर्वोत्तर के बारे में अजय भल्ला की समझ बहुत अच्छी है। एक नौकरशाह का कहना है, “कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की तरह उनमें अहंकार नहीं है। वे कभी भी यह नहीं कहते कि ‘मैं बेहतर जानता हूं’। उन्हें पता है कि अगर मंत्री ने कोई निर्णय लिया है, तो उसे लागू किया जाना चाहिए। वे बहुत मेहनती भी हैं। दिन के अंत में आपको शायद ही कभी उनकी टेबल पर कोई लंबित फाइल मिलेगी।”

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