‘INDI गठबंधन की हार के लिए बहन जी जिम्मेदार’: लोकसभा में हार के लिए राहुल गांधी ने BSP पर फोड़ा ठीकरा, मायावती ने किया पलटवार

राहुल गांधी मायावती रायबरेली

राहुल गांधी और मायवती

हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में राहुल गाँधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की भरपूर मेहनत के बाद भी कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया था। यहां तक की कई प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुई हार पर चर्चा की जगह कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अब भी लोकसभा चुनाव की हार पर मंथन कर रहे हैं। यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि राहुल ने लोकसभा चुनाव में INDI गठबंधन की हार के लिए मायावती को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि राहुल के इस बयान पर मायावती ने पलटवार किया है।

दरअसल, राहुल गांधी दो दिवसीय रायबरेली दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने मूल भारती छात्रावास में छात्रों और वहां आई जनता से बात कर रहे थे। इस दौरान एक युवक ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम और बसपा सूप्रीमो मायावती द्वारा दलितों के उत्थान के लिए किए गए कार्यों का जिक्र किया। युवक ने कहा, “कांशीराम ने दलितों के लिए काम किया, जिसके बाद मायावती के द्वारा उनके काम को बढ़ाया गया जो दलितों के लिए काम कर रही हैं।”

इस पर राहुल गांधी ने मायावती के INDI गठबंधन में शामिल न होने को लेकर सवाल उठाया। राहुल गांधी ने कहा, “बहन जी (मायावती आजकल ठीक से चुनाव क्यों नहीं लड़ रही हैं? हम चाहते थे कि BJP के विरोध में वह हमारे साथ चुनाव लड़ें। लेकिन वह किसी कारण से साथ नहीं लड़ीं। इससे हमें बहुत दुख हुआ। क्योंकि अगर तीनों पार्टी (कांग्रेस, सपा और बसपा) एक साथ हो जातीं तो फिर BJP कभी नहीं जीतती।”

राहुल गांधी के इस बयान पर BSP सुप्रीमो मायावती ने पलटवार किया और कांग्रेस पर दोहरा चरित्र रखने का आरोप लगाया। मायावती ने एक्स पर एक के बाद एक 3 पोस्ट कर लिखा, “कांग्रेस पार्टी जिन राज्यों में मजबूत है या जहां उनकी सरकारें हैं वहां बीएसपी व उनके अनुयाइयों के साथ द्वेष व जातिवादी रवैया है। किन्तु यूपी जैसे राज्य में जहां कांग्रेस कमजोर है वहां बीएसपी से गठबंधन की वरगलाने वाली बातें करना यह उस पार्टी का दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?

अगले पोस्ट में मायावती ने लिखा, “फिर भी बीएसपी ने यूपी व अन्य राज्यों में जब भी कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा है तब हमारा बेस वोट उन्हें ट्रांसफर हुआ है लेकिन वे पार्टियां अपना बेस वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं करा पाई हैं। ऐसे में बीएसपी को हमेशा घाटे में ही रहना पड़ा है।”

आखिरी पोस्ट में उन्होंने लिखा, “वैसे भी कांग्रेस व भाजपा आदि का चाल, चरित्र, चेहरा हमेशा बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर, उनकी अनुयायी बीएसपी व उसके नेतृत्व, उनके दलित-बहुजन अनुयाइयों एवं आरक्षण आदि का घोर विरोधी रहा है, जिससे देश संविधान का समतामूलक व कल्याणकारी उद्देश्य पाने में काफी पीछे है जो चिंताजनक है।”

बता दें कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने INDI गठबंधन बनाकर साथ चुनाव लड़ा था। वहीं BSP अकेले चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 6 तो सपा को 37 सीटें मिली थीं। वहीं BSP का खाता नहीं खुल सका था।

यूं तो राहुल गांधी के इस बयान के कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक हल्के में इस बात को लेकर चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब राहुल गांधी नया साथी तलाश रहे हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी। वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव अरविंद केजरीवाल के साथ चुनाव प्रचार करते नजर आए थे। इसके अलावा देखें तो INDI गठबंधन में कई दरारें आ चुकी हैं। ऐसे में गठबंधन लगभग टूट ही चुका है। चूंकि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कमजोर और अकेली पड़ती जा रही है। ऐसे में राहुल के इस बयान से ऐसा लगता है कि वह मायावती के रूप में सूबे में नया साथी तलाश रहे हैं।

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