तमिलनाडु में सनातन विरोध से भाषा के नाम पर बांटने तक सारे हथकंडे आज़मा रही DMK, फ्रंट फुट पर खेल रही BJP

BJP के लगातार बढ़ते दायरे के कारण तमिलनाडु की स्टालिन सरकार सहमी हुई है और BJP को रोकने के लिए सनातन विरोधी तत्वों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है

अगले साल तमिलनाडु में विधानसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है। चुनाव जीतने के लिए साम-दाम-दंड-भेद-नीति का इस्तेमाल जोरों पर है। कभी सनातन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है तो कभी हिंदी भाषा का मुद्दा उठाकर उत्तर और दक्षिण भारत में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश की जा रही है तो कभी तमिलनाडु के लोगों को परिसीमन में दक्षिण में लोकसभा सीटों में कटौती का डर दिखाया जा रहा है। यह सब कुछ कर रही है तमिलनाडु में डीएमके की एमके स्टालिन की सरकार। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब उनके बेटे एवं राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन की तुलना डेंगू-मलेरिया से कर दी थी। इसको लेकर पूरे देश में बवाल हुआ था। जगह-जगह उनके खिलाफ शिकायतें दी गई थीं। अब उनके पिता मुख्यमंत्री स्टालिन लोगों को भाषा और लोकसभा सीटों की कटौती का डर दिखा रहे हैं।

यह सारा खेल कुछ इस तरह खेला जा रहा है कि लोगों को इसके पीछे की राजनीति की भनक भी ना लगे। शिवरात्रि से ठीक दो दिन पहले यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह का एक वीडियो सामने आया था। इसमें उन्होंने ईशा फाउंडेशन के प्रमुख और सनातन के नामचीन आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव उर्फ सदगुरु के खिलाफ कई तरह के घिनौने आरोप लगाए हैं। इसमें कहा गया है कि जग्गी वासुदेव ने नाबालिग लड़कियों को ब्रह्मचारी बनाने के नाम पर नाबालिग लड़कियों को यौन प्रताड़ित किया। श्याम मीरा सिंह ने दावा किया कि यह खुलासा उन्होंने ईशा फाउंडेशन के इंटरनल ईमेल के आधार पर किया है, जो सदगुरु के सहयोगियों ने उन्हें भेजा था। इसमें उन्होंने सदगुरु की खास सहयोगी भारती वरदराज और माँ प्रदयुता जिक्र किया गया है। माँ प्रदयुता ने सदगुरु को एक ईमेल भेजा कि दीक्षा के दौरान नाबालिग लड़कियों को ऊपर के कपड़े उतारने को कहा जाता है, ताकि रीढ़ की हड्डी नग्न रहे। ये लड़कियाँ इन बातों को बाहर चर्चा कर सकती हैं। यह संस्थान के लिए काफी निगेटिव होगा। इसलिए उन्हें शरीर के ऊपरी हिस्से को ढक कर ही दीक्षा दी जाए

यह वीडियो ऐसे समय में सामने आया जब महाशिवरात्रि के अवसर पर सदगुरु तमिलनाडु के कोयंबटूर में आदियोगी महादेव के लिए एक बड़ा आयोजन करने वाले थे। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस के बड़े नेता एवं कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को भी आमंत्रित किया गया था। यह आयोजन हुआ और भव्य तरीके से हुए। इसमें अमित शाह और डीके शिवकुमार भी शामिल हुए और सदगुरु से मिले तथा उनके साथ मंच साझा किया। इस अवसर पर अमित शाह ने वहाँ आए लोगों को संबोधित भी किया। अमित शाह के कार्यक्रम को रद्द कराने और सदगुरु को बदनाम करने के जिस उद्देश्य से शिवरात्रि से पहले यह वीडियो जारी हुआ, उसे अमित शाह ने कार्यक्रम में पहुँचकर धराशायी कर दिया। श्याम मीरा सिंह के इस वीडियो को सनातन विरोधी कुछ सोशल मीडिया हैंडल को छोड़कर किसी ने भाव नहीं दिया। लेकिन, सवाल उठता है कि श्याम मीरा सिंह को ये कथित ईमेल हाथ कैसे लगे और इसे किन लोगों ने उन्हें उपलब्ध कराया। यह भी सवाल है कि यह अमित शाह के कार्यक्रम के ठीक पहले क्यों रिलीज किया गया। इस वीडियो में बताए गए सारे दावे सही हैं या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन समय और माहौल को देखते हुए इसको लेकर लोगों के मन में आशंका जाग उठी है।

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब तमिलनाडु की सरकार ने ईशा फाउंडेशन और सदगुरु के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। अक्टूबर 2024 में करीब 150 पुलिसकर्मियों की एक टीम ने ईशा फाउंडेशन के आश्रम की तलाशी ली थी। इस अभियान में तीन डीएसपी भी शामिल थे। इस दौरान पुलिस ने आश्रम में रहने वाले लोगों से बातें कीं और सारे कमरों की तलाशी ली थी। यह कार्रवाई कोयंबटूर में तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर प्रोफेसर एस कामराज की एक याचिका पर हुई थी। कामराज ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों- गीता कामराज उर्फ ​​माँ माथी और लता कामराज उर्फ ​​माँ मायू को ईशा योग सेंटर में कैद करके रखा गया है। उन्होंने ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश करके संन्यासी बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि उनकी बेटियों को कुछ दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। इस पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने जाँच के आदेश दिए थे। इसके बाद ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाते हुए पूरे मामले को अपने पास स्थानांतरित करा लिया।

सदगुरु का ईशा फाउंडेशन तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर में स्थित है। यह वही इलाका है, जहाँ से तमिलनाडु के संघर्षशील एवं आक्रामक नेता के अन्नामलाई भाजपा से चुनाव लड़ते हैं। साल 2024 के लोकसभा चुनावों में अन्नामलाई चुनाव हार गए। हालाँकि, अन्नामलाई ने इस चुनाव में 4.50 लाख वोट लेकर स्टालिन सरकार को बता दिया कि तमिलनाडु में हिंदुत्व का ध्वज लहराने में अब ज्यादा वक्त नहीं है। वे स्टालिन सरकार के फैसलों को खिलाफ लगातार सड़कों पर संघर्ष करते रहते हैं। उनके साथ एक विशाल जनसमूह का समर्थन होता है। अन्नामलाई ने भाजपा को तमिलनाडु में स्थापित कर दिया है, जिसका असर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में स्पष्ट दिखेगा। अन्नामलाई सिर्फ राजनीतिक मामलों के लिए ही सड़क पर नहीं उतरते, बल्कि हिंदू हित और भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए मैदान में डटे रहते हैं। यही कारण है कि तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्य में, जहाँ भाजपा अब तक अछूत समझी जाती रही है, वहाँ भाजपा का कैडर बेस विकसित हुआ है। इस चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 11.24 तक पहुँच गया। साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सिर्फ 3.9 प्रतिशत वोट मिले थे। यह सब ऐसे समय में हुआ, जब राज्य में सत्ताधारी DMK और केंद्र की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का गठबंधन है।

भाजपा के लगातार बढ़ते दायरे के कारण तमिलनाडु की स्टालिन सरकार सहमी हुई है। उसे पता चल गया है कि अब भाजपा को बहुत ज्यादा दिन तक राज्य की सत्ता से बाहर नहीं रखा जा सकता है। यही कारण है कि भाजपा को रोकने के लिए सनातन विरोधी तत्वों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब DMK की सहयोगी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुंभ को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की थी। खड़गे ने महाकुंभ में भाजपा नेताओं के स्नान को लेकर महू की एक सभा में उन पर कटाक्ष किया कहा था, “गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होती है क्या? (लोगों से पूछा) क्या आपको पेट में खाना मिलता है? मैं किसी की आस्था को कोई ठेस नहीं पहुँचाना चाहता। अगर किसी को दुख हुआ तो मैं माफ़ी चाहता हूँ, लेकिन आप बताइए कि बच्चा भूखा मर रहा है, बच्चा स्कूल में नहीं जा रहा है, मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही है, लेकिन गंगा नदी में डुबकी लगाई जा रही हैं। तब तक डुबकी लगाई जाती है, जब तक टीवी पर अच्छा नहीं आ जाता। ये तब तक डुबकी मारते रहते हैं। ऐसे लोगों से देश की भलाई होने वाली नहीं है।” खड़गे ने तो यहाँ तक कह दिया था कि धर्म के नाम पर गरीबों का शोषण हो रहा है और उसके खिलाफ लोगों को लड़ना है। इस बयान को लेकर देश भर में बवाल हुआ था।

वहीं, DMK के नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को डेंगू-मलेरिया और HIV एड्स बता दिया था। साल 2023 में सामने आए एक वीडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना गया था, “सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस सम्मेलन में मुझे बोलने का मौका देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ। मैं सम्मेलन को ‘सनातन धर्म का विरोध’ करने के बजाय ‘सनातन धर्म को मिटाओ‘ कहने के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।” उन्होंने कहा था, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन ​​भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन ​​को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”

उदयनिधि ने सवालिया लहज़े में पूछा, “सनातन क्या है? यह संस्कृत भाषा से आया शब्द है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ होने के अलावा कुछ नहीं है। सनातन का क्या अभिप्राय है? यह शाश्वत है, जिसे बदला नहीं जा सकता, कोई सवाल नहीं कर सकता है। यही इसका मतलब है। सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बाँटा है और इसे बदला नहीं जा सकता।” उनसे दो कदम आगे बढ़ते हुए DMK के सांसद ए राजा ने कह दिया था कि सनातन धर्म पर उदयनिधि का रुख बहुत नरम था। इसकी तुलना सामाजिक कलंक वाली कुछ बीमारियों से की जानी चाहिए, जबकि उदयनिधि ने इसकी तुलना डेंगू और मलेरिया से की है। राजा ने कहा, “सनातन धर्म की तुलना HIV और कुष्ठ रोग जैसी सामाजिक कलंक वाली बीमारियों से की जानी चाहिए।”

संवैधानिक पद पर बैठे DMK नेताओं के नेताओं के इस तरह के बयान बता रहे हैं कि तमिलनाडु में चल क्या रहा है। इसी कड़ी में ईशा फाउंडेशन को बदनाम करने के लिए यौन शोषण का आरोप लगाने वाला यह वीडियो सामने आता है। हालाँकि, केंद्रीय गृह मंत्री इस नैरेटिव को तोड़ते हुए महाशिवरात्रि के मौके पर कोयंबटूर गए और ईशा फाउंडेशन के कार्यक्रम में भाग लिया। इससे लगता है कि भाजपा स्टालिन के चक्रव्यूह को पूरी तरह भेदने के लिए फ्रंट फुट पर खेल रही है। वहीं, खड़गे के बयान को धत्ता को बताते हुए कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार भी कार्यक्रम में पहुँचे और सदगुरु के बगल में बैठकर उनसे बातचीत की।

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