उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे आस्था के सबसे बड़े संगम महाकुंभ में करोड़ो श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। देश-विदेश से लोग आस्था के इस समागम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं और यह सिलसिला लगातार चल रहा है। करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते कुछ लोगों को शिकायतें ज़रूर होंगी लेकिन लोगों की आस्था के सामने वे सब बौनी साबित हो रही है। हर-हर गंगे का नाद प्रयाग की पुण्यभूमि को पल्लवित कर रहा है। जहां एक और श्रद्धालु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की प्रशंसा कर रहे हैं तो वहीं विपक्ष के नेता लगातार कुंभ और हिंदू आस्था पर प्रहार कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाकुंभ को लेकर कहा है कि यह ‘मृत्यु कुंभ’ में बदल गया है।
ममता का बयान, संतों ने किया विरोध
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान महाकुंभ में भगदड़ को लेकर कहा, “यह महाकुंभ, ‘मृत्यु कुंभ’ में बदल गया है। भगदड़ में कई लोग मारे गए, लेकिन उनके बारे में कुछ पता नहीं चल रहा है।” साथ ही, उन्होंने महाकुंभ में अव्यवस्थाओं का भी ज़िक्र किया और कहा कि महाकुंभ में वीआईपी लोगों के लिए 1 लाख रुपए तक के टेंट मौजूद हैं लेकिन गरीबों लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
ममता बनर्जी के इस बयान का साधु-संतों ने जमकर विरोध किया है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के राष्ट्रीय सचिव महंत जमुना पुरी ने ममता बनर्जी के बयान को लेकर कहा कि उन्हें इस तरह के बयान देना शोभा नहीं देता है। पुरी ने कहा कि महाकुंभ अमृत पर्व है और इसकी दिव्यता और भव्यता पूरी दुनिया ने देखी है, महाकुंभ के साथ ऐसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
वहीं, ममता के बयान की पंच दशनाम आह्वान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरि ने भी कड़ी आलोचना की है। आचार्य अरुण गिरि ने कहा, “पश्चिम बंगाल हिंदू सनातनियों के लिए मृत्यु प्रदेश बनता जा रहा है, हजारों सनातनियों का नरसंहार किया जा रहा है।” आचार्य गिरि ने चुनाव के दौरान बंगाल में हुई हिंसा को लेकर भी ममता बनर्जी पर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “चुनाव के समय पश्चिम बंगाल से लाखों हिंदुओं को पलायन करना पड़ रहा है, ऐसे में ममता बनर्जी को अपने राज्य की चिंता करनी चाहिए।”
लालू भी कर चुके हैं महाकुंभ का ‘विरोध’
केवल ममता बनर्जी ने ही कुंभ को लेकर ऐसा बयान दिया है ऐसा भी नहीं है, विपक्ष के कई नेता अलग-अलग तरह से कुंभ की आलोचना कर चुके हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और RJD सुप्रीम लालू प्रसाद यादव ने कुंभ को ‘फालतू’ तक कह दिया था। नई दिल्ली की रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद ‘ANI’ से बातचीत करते हुए लालू यादव ने कुंभ में भीड़ के सवाल पर कहा कि कुंभ का कोई मतलब नहीं है और यह फालतू है।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने आस्था पर उठाए सवाल
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार (27 जनवरी) को मध्य प्रदेश के महू में पार्टी की जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर हो जाएगी, आपके पेट को खाना मिल जाएगा?। खरगे का यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुंभ जाने को लेकर आया था। खरगे के इस बयान को लेकर उनकी खूब आलोचना हुई थी। इसी कार्यक्रम में खरगे ने यह भी कहा, “जब बच्चा भूखा मर रहा है, मज़दूरों को मज़दूरी नहीं मिल रही है और ये लोग मुकाबला कर डुबकियां मार रहे हैं।”
अखिलेश बोले- ‘महाकुंभ कोई शब्द नहीं’
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं लेकिन वे लगातार महाकुंभ पर सवाल उठा रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि कुंभ को महाकुंभ बताकर बीजेपी खुद को चमकाने का काम कर रही है। अखिलेश यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, “महाकुंभ कोई शब्द नहीं है क्योंकि इनको महा आयोजन के लिए पैसा निकालना था। लोगों को गुमराह किया था कि 144 साल बाद कुंभ हो रहा है।” अखिलेश ने महाकुंभ के बजट पर भी सवाल उठाए हैं।
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कांग्रेस नेता ने हज से की कुंभ की तुलना
कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने तो महाकुंभ की तुलना मुस्लिमों की हज यात्रा से कर दी थी। दलवई ने कहा कि गंगा में बड़ी संख्या में लोग स्नान करने जाते हैं और गंदगी रहती होगी, कुंभ के चलते बड़े पैमाने पर बीमारियां फैल जाएंगी। उन्होंने कहा कि कुंभ का इंतजाम ठीक तरह से नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की व्यवस्थाएं हज में की जाती हैं उस तरह की व्यवस्थाएं कुंभ में नहीं हैं।
अफजाल अंसारी का महाकुंभ पर तंज़
सपा सांसद अफजाल अंसारी ने रविदास जयंती के मौके पर महाकुंभ पर तंज़ कसा था। अफजाल ने कहा कि लगता है स्वर्ग हाउस फुल हो जाएगा और नर्क में कोई बचेगा ही नहीं। उन्होंने कहा कि संगम तट पर नहा कर व्यक्ति का पाप धुल जाएगा और इसका मतलब है कि आगे बैकुंठ में जाने का रास्ता खुल जाएगा। वहीं, ट्रेन में भीड़ को लेकर उन्होंने कहा कि ट्रेन में यात्रा करने से महिलाएं और बच्चे डरे हुए हैं। अंसारी के इस बयान के बाद उनके खिलाफ एक केस भी दर्ज कराया गया था।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का भी एक महोत्सव है। यह आयोजन भारत की सनातन धारा को प्रवाह को गतिमान रखता है। इस संगम में करोड़ों श्रद्धालु आत्मशुद्धि और मोक्ष की कामना से गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने आते हैं। लेकिन विपक्ष के कुछ नेता इसे राजनीतिक विवाद का विषय बनाकर हिंदू आस्था का निरंतर अपमान कर रहे हैं।
ममता बनर्जी, लालू यादव, खरगे, अखिलेश यादव, जया बच्चन, दलवई और अफजाल अंसारी जैसे नेताओं के बयान केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नहीं बल्कि इनकी मानसिकता को भी उजागर करते हैं। महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहना, गंगा स्नान को गरीबी दूर करने से जोड़ना या फिर इसे ‘फालतू’ करार देना, इस तरह के बयान ना केवल आस्था का अपमान हैं बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं पर भी प्रहार है।