मधुबनी पेंटिंग, मखाना, कोसी नहर, एयरपोर्ट्स, फूड इंस्टिट्यूट… बजट 2025 में बिहार के लिए क्या-क्या, वित्त मंत्री की साड़ी भी ख़ास

प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्सियम और फॉस्फोरस से समृद्ध मखाना आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। सबसे बड़ी बात, इसमें फैट कम होता है। विदेशों में तो ये 13,000 रुपए किलो तक बिकता है।

निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार को क्या-क्या दिए तोहफे

अगर आप बिहार के हैं, ख़ासकर मिथिलांचल के – तो आपने ‘मधुबनी पेंटिंग’ के बारे में ज़रूर सुना होगा। पुराने समय में केवल शादी-विवाह या पर्व-त्योहारों के मौके पर महिलाएँ घर की दीवारों पर ‘मधुबनी चित्रकला’ का इस्तेमाल किया करती थीं। कालांतर में कपड़ों पर इसका इस्तेमाल होने लगा। इसके बाद ‘मधुबनी पेंटिंग’ देश भर में लोकप्रिय होने लगा। हम आज इसकी चर्चा इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना लगातार 8वाँ बजट पेश करने के लिए जो साड़ी पहन कर पहुँचीं, वो ‘मधुबनी पेंटिंग’ की चित्रकारी का एक उत्कृष्ट नमूना था। आपको बता दें कि निर्मला सीतारमण लगातार 8 बजट पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री हैं।

बिहार में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। राज्य में फ़िलहाल NDA की ही सरकार है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जदयू को लेकर कभी भाजपा तो कभी राजद के पाले में इधर-उधर डोला करते हैं। हाल के कुछ दिनों में उनकी स्थिति ऐसी हो गई है कि वो सार्वजनिक रूप से अजीबोगरीब व्यवहार करते हुए दिखाई देते हैं। जैसे, महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देते हुए वो ताली बजाने लगे। उनसे अपनी ही पार्टी नहीं सँभल रही है। उनके सांसद अजय मंडल पत्रकारों को पटक कर पीटने लगते हैं, खुलेआम गाली बकने लगते हैं। उनके विधायक गोपाल मंडल खुले मंच पर भाजपा के एक निषाद नेता को दुत्कारते हैं।

निर्मला सीतारमण का लगातार 8वाँ बजट और ‘मधुबनी पेंटिंग’ साड़ी

ख़ैर, तो ये है बिहार की वर्तमान स्थिति। ऐसे में बजट 2025 बिहार के लिए एक ताज़ा हवा का झोंका लेकर आया है, जो पलायन से पीड़ित इस राज्य की जनता में एक उम्मीद जगाता है। देश की वित्त मंत्री का ‘मधुबनी पेंटिंग’ वाली साड़ी पहन कर बजट पेश करना अपने-आप में एक बड़ा सन्देश है। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी ‘योग दिवस’ के मौके पर असम का गमोसा तो कभी गणतंत्र दिवस के मौके पर उत्तराखंड की ‘ब्रह्मकमल टोपी’ पहन कर इस देश की विविधता में एकता का सन्देश देते रहे हैं। वित्त मंत्री उसी परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं।

असल में उन्होंने संसद में जिस साड़ी को पहन कर बजट पेश किया, उसे बिहार की कलाकार दुलारी देवी ने डिजाइन किया था। दुलारी देवी को पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। जब वित्त मंत्री ‘मिथिला कला संस्थान’ में गई थीं, तब उन्हें दुलारी देवी ने ये साड़ी भेंट की थी। दुलारी देवी मधुबनी जिले के राँटी गाँव की रहने वाली हैं, मल्लाह समाज से आती हैं। क्रीम-गोल्डन रंग की ये साड़ी बिहार की पारंपरिक कलाकारी को अपने भीतर समेटे हुए है। जब मछुआरा समुदाय की किसी महिला को पद्मश्री से सम्मानित किया जाता है, और जब किसी प्राचीन ग्रामीण कलाकारी को विश्वस्तर पर सम्मान मिलता है – तब हम महसूस करते हैं कि इस देश में बदलाव हो रहा है।

आइए, आपको बताते हैं कि दुलारी देवी हैं कौन। एक ग़रीब परिवार में जन्मीं दुलारी देवी की काफ़ी कम उम्र में शादी कर दी गई थी। जब वो मात्र 16 वर्ष की थीं, उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया। उनका एक बच्चा भी उनकी आँखों के सामने ही चल बसा। जीवन निर्वाह के लिए उन्हें कई घरों में नौकरानी के रूप में कार्य करना पड़ा। फिर उन्होंने ‘मधुबनी पेंटिंग’ सीखी और आज देखिए। वो 10,000 से भी अधिक पेंटिंग्स बना चुकी हैं। बाल विवाह, एड्स को लेकर जागरूकता और और भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी वो पेंटिंग बनाती हैं। 12 साल में विवाह, घरों में झाड़ू-पोछा लगाना – दुलारी देवी ने वहाँ से लेकर यहाँ तक एक लंबा सफर तय किया है। इतना ही नहीं, पूर्व राष्ट्रपति APJ अब्दुल कलाम भी उनकी कला के मुरीद थे। निश्चित ही, उनकी बनाई साड़ी पहनने से न केवल मिथिलांचल बल्कि पूरे बिहार में एक सकारात्मक सन्देश गया होगा।

बिहार को एयरपोर्ट्स, कोसी नहर परियोजना

अब आपको बताते हैं कि बिहार को इस बजट में क्या-क्या मिला है। बिहार में पटना में जो ‘जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट’ है, उसका विस्तार किया जाएगा। बिहटा में एक ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट की स्थापना की जाएगी। ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट का अर्थ है, पहले से मौजूद बुनियादी ढाँचे के ऊपर ही आधुनिकीकरण कर के नए एयरपोर्ट की स्थापना करना। बिहार में 4 नए ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट्स की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा बिहार में एक और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स की स्थापना की जाएगी। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट एकदम नया-नवेला एयरपोर्ट होता है। भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे विकसित किया जाता है। बिहार को ऐसे 4 ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट मिलेंगे।

इसके अलावा बिहार के कोसी क्षेत्र को लेकर भी बड़ी घोषणा की गई है। कोसी कैनाल प्रोजेक्ट को वित्तीय मदद दी जाएगी। इससे कोसी क्षेत्र में ढाई लाख हेक्टयर भूमि में खेती करने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। ये कितना महत्वपूर्ण है इसे आप इसी बात से समझ लीजिए कि ये परियोजना 6 दशक पुरानी है लेकिन अब तक इसका काम पूरा नहीं हो सका है। कोसी बेल्ट अक्सर बाढ़ से पीड़ित रहता है। पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिए 1962 में ही DPR यानी इसका ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया था। 1971 में इस पर काम शुरू हुआ, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया। मोदी सरकार में ऐसी कई लंबित परियोजनाएँ पूरी हुई हैं, उम्मीद है कि कोसी क्षेत्र को भी राहत मिलेगी।इस परियोजना के तहत मुख्य नहर की लंबाई 92 किलोमीटर है।

बिहार के गाँवों का अपना सुपरफूड

अपने कभी मखाना खाया है? नहीं खाया है कि इसे घी और नमक में भून कर खाकर देखिए। दूध के साथ इसका खीर बनाकर खाकर देखिए। मजा न आ जाए फिर बताइए। बिहार के मिथिला क्षेत्र के लिए एक और बड़ी घोषणा की गई है, वो है – ‘मखाना बोर्ड’ की स्थापना। मखाना के उत्पादन से लेकर बाजार पहुँच तक, हर चरण में किसानों की सहायता करेगा ये ‘मखाना बोर्ड’। मखाना उत्पादन से जितने भी किसान और उद्यमी जुड़े हुए हैं, उन्हें संगठित कर के FPO, अर्थात ‘कृषक उत्पादक संगठन’ बनाया जाएगा। उत्पादन बेहतर हो, बाजार में किसानों को उचित क़ीमत मिले – सरकार ये सब सुनिश्चित करेगी। इसके लिए मखाना किसानो को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुँचाया जाएगा।

मखाना को अंग्रेजी में फॉक्स नट कहते हैं। इसका 90% उत्पादन बिहार में होता है। इसे खेतों में नहीं बल्कि तालाबों जैसे जलाशयों में उपजाया जाता है। इसके पौधे आपको पानी की सतह पर तैरते हुए पत्तों के रूप में दिखाई देंगे। कभी दरभंगा-मधुबनी जाना हुआ तो आप मखाना की खेती को देख सकते हैं। सोचिए, बिहार के जो बाढ़ग्रसित इलाक़े हैं, वहाँ मखाना की खेती को बढ़ावा देना कितना कारगर सिद्ध हो सकता है। मखाने की नई किस्म ‘सबौर मखाना-1’ को विकसित किए जाने के बाद किसानों की आय 3 गुना बढ़ी है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्सियम और फॉस्फोरस से समृद्ध मखाना आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। सबसे बड़ी बात, इसमें फैट कम होता है। विदेशों में तो ये 13,000 रुपए किलो तक बिकता है। हम भारत के लोग ही अपने स्वदेशी उत्पादों की महत्ता नहीं समझ पाते हैं। डायबिटीज से बचना हो, हृदय का स्वास्थ्य ठीक रखना हो, स्किन केयर करना हो और वजन नियंत्रण में रखना हो – तो मखाना खाइए।

मखाना को दूध के साथ खाने के तो और भी फ़ायदे हैं। दूध में विटामिन D होता है, जो मखाना में उपस्थित कैल्सियम को अब्जॉर्ब करने के काम आता है। और हाँ, एक और नई बात जान लीजिए। Zerodha के जो संस्थापक हैं निखिल कामत, वही निखिल कामत जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पहला पॉडकास्ट दिया था – वो मखाना के फैन हैं और इसे विश्वस्तर पर ले जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इसे ‘वर्ल्ड का सुपरफूड’ बताते हुए कहा था कि फ़िलहाल भारत में मखाना का कारोबार 3000 करोड़ रुपए का है, लेकिन अगले 2-3 वर्षों में ये सीधा दोगुना हो जाएगा। सोचिए, हम दुनिया को क्या दे सकते हैं। लेकिन नहीं, हम तो विदेशियों की नक़ल करते हुए प्रोटीन पाउडर पीने में लगे हुए हैं।

बजट 2025: शिक्षा में भी बिहार को तोहफे

आइए, अब आगे बढ़ते हैं। आपको बताते हैं कि बिहार को बजट 2025 में और क्या-क्या मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘पूर्वोदय’ की बात करते रहे हैं, मतलब देश के पूर्वी क्षेत्र का विकास। इसके तहत बिहार में ‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फ़ूड टेक्नोलॉजी, आन्त्रप्रेन्योरशिप एन्ड मैनेजमेंट’ की स्थापना की जाएगी। पूरे पूर्वी क्षेत्र में फ़ूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में इससे अभूतपूर्व बदलाव आएगा। इससे किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलेगा। युवाओं को कौशल विकास, उद्यमिता और रोजगार के अवसर मिलेंगे – जिससे वो आत्मनिर्भर बनेंगे। खाद्य प्रसंस्करण, अर्थात कच्चे खाद्य पदार्थों को टिकाऊ बनाना, उनकी गुणवत्ता बढ़ाना, उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना। भारत में ये एक बड़ा उद्योग है।

शिक्षा के क्षेत्र में बिहार को एक और तोहफा मिला है। IIT पटना का विस्तार किया जाएगा। पटना स्थित ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ देश की 23 IITs में से एक है। इसमें कैम्पस से लेकर हॉस्टलों तक को आधुनिक बनाया जाएगा। नए निर्माण होंगे। पर्यटन को लेकर जो घोषणाएँ की गई हैं, उनका भी फ़ायदा बिहार को मिलेगा। इस तरह बजट 2025 को ‘मिनी बिहार बजट’ भी कहा जा रहा है। ख़ैर, मायने ये रखता है कि राज्य की सरकार इन योजनाओं को जमीन पर कैसे उतारती है। बिहार में इस साल चुनाव भी होने हैं, बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि अगली सरकार कैसी होगी। लेकिन, अगले 9 महीने भी महत्वपूर्ण हैं। बिहार राजनीतिक और सामाजिक रूप से एक महत्वपूर्ण और बड़ा राज्य है, यहाँ पत्ता भी हिलता है तो उसकी हवा दिल्ली तक पहुँचती रही है।

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