पहले कप्तान रोहित शर्मा अब मोहम्मद शमी- जानें चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल से ठीक पहले इस्लामिक कट्टरपंथी क्यों मचा रहे बवाल

शमी ने रोजा न रखकर गुनाह किया, शरीयत की नजर में वह अपराधी- मौलवी

रोहित के बाद अब मोहम्मद शमी पर बवाल

रोहित के बाद अब मोहम्मद शमी पर बवाल

चैंपियंस ट्रॉफी अपने अंतिम पड़ाव पर है, जहां 9 मार्च 2025 को इसका फाइनल मुकाबला दुबई में खेला जाएगा। दरअसल, शुरुआत से ही भारत ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ICC और PCB के बीच सहमति बनी कि टूर्नामेंट को पाकिस्तान और दुबई में को-होस्ट किया जाएगा, जिसमें भारत के सभी मैच दुबई में होंगे। साथ ही, अगर भारत फाइनल में पहुंचता है, तो खिताबी मुकाबला भी दुबई में ही आयोजित किया जाएगा। अब, अपने शानदार प्रदर्शन के चलते टीम इंडिया फाइनल में जगह बना चुकी है, और इसी वजह से टूर्नामेंट का फाइनल पाकिस्तान की बजाय दुबई में खेला जाएगा।

जहां भारतीय खिलाड़ी इस अहम मुकाबले की तैयारी में जुटे हैं, वहीं भारत में बैठे कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा के लोग टीम का मनोबल गिराने की साजिश रच रहे हैं। सेमीफाइनल से पहले कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कप्तान रोहित शर्मा की बॉडी शेमिंग करते हुए उन्हें भारत का “सबसे अप्रभावी कप्तान” बताकर टीम का हौसला तोड़ने की कोशिश की थी। अब सेमीफाइनल के बाद फिर से कट्टरपंथी गैंग भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को निशाने पर ले रहा है। यह वही मानसिकता है जो हमेशा देश की एकता और खेल भावना को चोट पहुंचाने में लगी रहती है। लेकिन भारतीय टीम इन साजिशों को दरकिनार कर देश के सम्मान के लिए मैदान पर डटकर खड़ी है, और 9 मार्च को अपने प्रदर्शन से एक बार फिर इस प्रोपेगेंडा को मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है!

पहले रोहित शर्मा अब मोहम्मद शमी

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गए हैं। चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान जब शमी मैच के बीच में पानी पीते नजर आए, तो कुछ मौलवियों को यह खल गया। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने उनके एनर्जी ड्रिंक पीने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि रमजान के दौरान रोजा न रखना गुनाह है। वहीं, एआईआईए के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि रोजा रखना या न रखना पूरी तरह से शमी का निजी मामला है। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शमी पर तंज कसते हुए कहा कि रोजा इस्लाम में अनिवार्य है, अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति इसे नहीं रखता, तो वह गुनहगार है। शमी ने मैच के दौरान पानी पीकर बड़ा अपराध किया है और उन्हें इसका हिसाब देना होगा।

अब गौर करने वाली बात यह है कि यह विवाद ऐसे समय पर खड़ा किया गया है जब भारतीय टीम फाइनल मुकाबले की तैयारी में जुटी है। क्या यह संयोग है या फिर भारतीय क्रिकेट टीम के आत्मविश्वास पर चोट करने की सोची-समझी साजिश? पहले भारत ने पाकिस्तान को हराकर उसे चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर कर दिया। पाकिस्तान की हार से बौखलाए लोग जब इसे पचा नहीं पा रहे थे, तभी अहमदाबाद से खबर आती है कि वहां 23 फरवरी को भारत की जीत का जश्न मना रहे हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने पथराव कर दिया। इसके बाद, सेमीफाइनल से ठीक पहले कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की बॉडी शेमिंग करते हुए उन्हें “भारत का सबसे अप्रभावी कप्तान” करार देती हैं। यह हमला सिर्फ रोहित पर नहीं बल्कि पूरी टीम के मनोबल को गिराने की कोशिश थी। और अब, फाइनल से पहले वही मानसिकता शमी को निशाना बना रही है, जो इस टूर्नामेंट में भारत के सबसे घातक तेज गेंदबाज साबित हुए हैं।

इन घटनाक्रमों को क्रमवद्ध देखने पर यह विवाद महज शमी के रोजा रखने या न रखने का नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा दिखाई पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये कट्टरपंथी भारत में ही बैठकर बड़े मुकाबलों से पहले भारतीय टीम के खिलाफ बयानबाजी क्यों करते हैं? क्यों हर बार देश के गौरव से ऊपर मजहब को रखा जाता है? क्यों इन्हें भारत की शानदार जीत से दिक्कत होती है? और सबसे अहम बात—आखिर क्रिकेट जैसे खेल को भी मजहब के नजरिए से देखने की जरूरत क्यों महसूस होती है?

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