3000 एकड़ में फैला जंगल, 1.5 लाख से अधिक बचाए गए विलुप्त और संकटग्रस्त जानवर – अनंत अंबानी का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘वनतारा’ बना जंगली जानवरों का आशियाना

जानें Public के लिए कब खोला जाएगा दुर्लभ और विलुप्त होते जानवारों का ये आशियाना

PM Modi In Vantara With Anant Ambani

PM Modi In Vantara With Anant Ambani

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार(01-03-2025) शाम अपने तीन दिवसीय दौरे पर गुजरात पहुंचे, जहां मंगलवार(04-03-2025) को उन्होंने जामनगर में स्थित अनंत अंबानी के ड्रीम प्रोजेक्ट, रिलायंस फाउंडेशन के वाइल्डलाइफ रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर ‘वनतारा’ का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने इस विशाल संरक्षण केंद्र को नज़दीक से देखा और यहां वन्यजीवों के लिए उपलब्ध अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का जायजा लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने वनतारा में मौजूद दुर्लभ और संरक्षित वन्यजीवों के साथ कुछ भावुक पल बिताए। उन्होंने एशियाई शेर के शावकों, दुर्लभ क्लाउडेड लेपर्ड के बच्चे और सफेद शेर के शावक के साथ समय बिताया, उन्हें दुलार किया और खाना भी खिलाया। खास बात यह थी कि सफेद शेर का यह शावक वनतारा में ही जन्मा था, जबकि उसकी मां को बचाव अभियान के तहत यहां लाया गया था।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने यहां चल रहे कैराकल ब्रीडिंग प्रोग्राम की भी जानकारी ली। यह कार्यक्रम दुर्लभ कैराकल प्रजाति के संरक्षण के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है और भारत में वन्यजीव विविधता को बचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

करीब 3,000 एकड़ में फैले अनंत अम्बानी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट वनतारा संरक्षण केंद्र को 26 फरवरी 2024 से आधिकारिक रूप से खोल दिया गया था, लेकिन इसे अभी आम जनता के लिए नहीं खोला गया है। अनंत अंबानी ने संकेत दिया है कि जल्द ही इसे दर्शकों के लिए खोला जाएगा। वनतारा सिर्फ एक सुरक्षित वन्यजीव केंद्र नहीं होगा, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण और जागरूकता का प्रमुख केंद्र बनेगा, जहां लोग जीवों की सुरक्षा और प्रकृति के महत्व को गहराई से समझ पाएंगे।

यह केंद्र भारतीय परंपरा और संस्कृति में प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है। हिंदू दर्शन में प्रकृति और जीव-जंतुओं को ईश्वरीय स्वरूप माना गया है, और वनतारा इसी विचार को आधुनिक संरक्षण के साथ जोड़ता है। यह परियोजना भारत के आत्मनिर्भर पर्यावरण संरक्षण प्रयासों का हिस्सा है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार करता है—जहां संपूर्ण जीवसृष्टि को एक परिवार के रूप में देखा जाता है।

अनंत अम्बानी का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘वनतारा’

फरवरी 2024 में एक महत्वाकांक्षी परियोजना ने आकार लिया, जिसका मकसद भारत और दुनियाभर में घायल, प्रताड़ित और संकटग्रस्त वन्यजीवों को बचाना, उनकी देखभाल करना और पुनर्वास सुनिश्चित करना था। जैसे ही रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन ने ‘वनतारा’ (जंगल का तारा) की शुरुआत की, इस पहल के पीछे अनंत अंबानी की प्रतिबद्धता और जुनून सबके ध्यान का केंद्र बन गए।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और रिलायंस फाउंडेशन के बोर्ड में डायरेक्टर अनंत अंबानी, जामनगर में रिलायंस के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को भी आगे बढ़ा रहे हैं। 2035 तक रिलायंस को ‘नेट कार्बन जीरो’ बनाने की बड़ी जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर है। वनतारा का विचार उनके नेतृत्व और समर्पण से साकार हुआ, जिससे वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक नया आयाम जुड़ गया।

वनतारा में शेर के शावक

जामनगर में रिलायंस के रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के ग्रीन बेल्ट में फैला 3,000 एकड़ का वनतारा, न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर वन्यजीव संरक्षण की एक अनूठी पहल बन चुका है। यहां, विशेषज्ञों की मदद से जानवरों के लिए एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है जो उनके प्राकृतिक आवास जैसा महसूस हो। हरे-भरे जंगलों के बीच विकसित इस सेंटर में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं, पुनर्वास की बेहतरीन व्यवस्था, अनुसंधान केंद्र और संरक्षण से जुड़े शैक्षणिक कार्यक्रम शामिल हैं। इसके अलावा, वनतारा IUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) और WWF (वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर) जैसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर वन्यजीवों पर शोध और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

अब तक, इस परियोजना के तहत 200 से अधिक हाथियों और हजारों अन्य वन्यजीवों, पक्षियों और सरीसृपों को संकट से बाहर निकाला जा चुका है। इसके अलावा, गैंडे, तेंदुए और मगरमच्छ जैसी कई दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।

CNN-News18 को दिए एक इंटरव्यू में अनंत अंबानी ने बताया कि उनकी मां, नीता अंबानी, इस पहल के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं। उन्होंने कहा, “मेरी मां हमेशा से मेरी प्रेरणा रही हैं। जब मैं 12 साल का था, तब हम जयपुर से रणथंभौर जा रहे थे। रास्ते में हमने तेज धूप में एक महावत के साथ एक छोटा हाथी देखा, जो अजीब तरह से चल रहा था।”

“मैंने अपनी मां से कहा, ‘हमें इसे बचाना चाहिए।’ और यही हमारा पहला हाथी था। तब हमें इसकी देखभाल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन हमने इसे अपनाया और धीरे-धीरे सब कुछ सीखते गए। बूंद-बूंद से सागर भरता है। उस समय हमें यह भी नहीं पता था कि हाथी को खिलाते क्या हैं। हम वही करते जो महावत कहता था। वैज्ञानिक ज्ञान तो हमें धीरे-धीरे मिला, लेकिन आज हमारे पास एक प्रोफेशनल टीम है, जिसमें 300-400 से ज्यादा विशेषज्ञ शामिल हैं, जो हाथियों और अन्य वन्यजीवों की देखभाल करते हैं।”

वनतारा सिर्फ वन्यजीवों के पुनर्वास और संरक्षण का केंद्र नहीं है, बल्कि यह लोगों में वन्यजीवों के प्रति जागरूकता फैलाने की एक पहल भी है। अनंत अंबानी ने घोषणा की है कि जल्द ही यह सेंटर जनता के लिए भी खोला जाएगा, ताकि लोग वन्यजीव संरक्षण के महत्व को समझ सकें। भारतीय संस्कृति हमेशा से प्रकृति और जीवों के प्रति सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करती आई है, और वनतारा इसी दर्शन को आधुनिक संरक्षण के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को आगे बढ़ाते हुए, यह केंद्र इंसान और प्रकृति के सह-अस्तित्व का एक अनूठा उदाहरण पेश करता है।

वनतारा की ये खासियत उसे बनती हैं बाकी दुनिया से अलग

अनंत अंबानी के लिए वनतारा सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि उनका सपना और जीवन का मिशन है। वे बताते हैं कि उनके पिता मुकेश अंबानी हमेशा से वन्यजीव प्रेमी रहे हैं। बचपन से ही वे अफ्रीका, रणथंभौर, कान्हा, बांधवगढ़ और काजीरंगा जैसे जंगलों में घूम चुके थे। 18 साल की उम्र तक आते-आते वे इन जंगलों से इतनी गहराई से जुड़ गए थे कि वहां का हर पेड़-पौधा और हर जीव उनके लिए खास बन गया। मुकेश अंबानी ने अपने बेटे को जंगलों के बीच छुट्टियां बिताने की आदत डाली थी, और अब यही परंपरा अगली पीढ़ी तक पहुंच गई है। उनके भाई के बेटे पृथ्वी के लिए छुट्टी का मतलब होता है जामनगर जाना। जैसे ही मौका मिलता है, पूरा परिवार वहीं पहुंच जाता है, क्योंकि उनके लिए असली सुकून और खुशी का एहसास प्रकृति और वन्यजीवों के बीच ही है।

वनतारा सिर्फ एक पुनर्वास केंद्र नहीं, बल्कि संकटग्रस्त और दुर्लभ जीवों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। यह 2,000 से अधिक प्रजातियों और 1.5 लाख से ज्यादा बचाए गए वन्यजीवों का घर है। यहां न केवल घायल और संकटग्रस्त जानवरों की देखभाल की जाती है, बल्कि कई प्रजातियों के संरक्षण और पुनर्वास पर भी जोर दिया जाता है ताकि वे विलुप्त होने से बच सकें।

वनतारा की खासियत इसे बाकी दुनिया से अलग बनाती है। यह दुनिया का सबसे बड़ा निजी वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है। यहां एशिया का पहला आधुनिक वन्यजीव अस्पताल स्थापित किया गया है, जिसमें सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं। इस केंद्र में 48 से अधिक संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण और पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। अब तक 250 से ज्यादा हाथियों को यहां नया जीवन मिला है, और मगरमच्छों की संख्या भी उल्लेखनीय स्तर पर पहुंच चुकी है।

इसके अलावा, वनतारा में ‘धीरूभाई अंबानी रिसर्च सेंटर’ भी स्थापित किया गया है, जो वन्यजीव संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने के लिए अनुसंधान कार्यों को आगे बढ़ा रहा है। यह सेंटर न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक नया अध्याय लिख रहा है। वनतारा सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है—प्रकृति और वन्यजीवों के सह-अस्तित्व को बनाए रखने का संकल्प, जो आने वाले वर्षों में एक मिसाल बनकर उभरेगा।

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