चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में मिली जीत से बौखलाए कट्टरपंथी; अल्लाह-हू-अकबर चिल्लाती भीड़ ने महू में मचाया आतंक

आगजनी-पत्थरबाजी के बाद सेना ने संभाली कमान

चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में मिली जीत बौखलाए कट्टरपंथी; अल्लाह-हू-अकबर चिल्लाती भीड़ ने महू में मचाया आतंक

चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में मिली जीत बौखलाए कट्टरपंथी; अल्लाह-हू-अकबर चिल्लाती भीड़ ने महू में मचाया आतंक (Image Source: X)

रविवार को खेले गए चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में भारत ने दमदार प्रदर्शन करते हुए कीवियों को 4 विकेट से हराकर चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया। यह जीत भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए जहां गर्व का क्षण थी, वहीं उन काटरपंथी विचारधारा के लोगों के लिए करारा जवाब भी बनी, जो रोहित शर्मा को अनफिट और औसत खिलाड़ी मानते थे। इस मैच में न केवल रोहित शर्मा ने शानदार कप्तानी का प्रदर्शन किया बल्कि 83 गेंदों में 76 रन की उनकी महत्वपूर्ण पारी ने उन सभी काटरपंथियों की विचारधारा पर करारा तमाचा जड़ा है।

लेकिन भारत की इस जीत से कुछ कट्टरपंथी ताकतों को हमेशा की तरह मिर्ची लग गई। मध्य प्रदेश के इंदौर में इसका शर्मनाक उदाहरण देखने को मिला, जब रमजान के दौरान मस्जिद में मौजूद उन्मादी भीड़ ने चैंपियंस ट्रॉफी की जीत का जश्न मना रहे लोगों पर अचानक हमला कर दिया। जश्न मना रहे लोगों पर पत्थरबाजी की गई, कई गाड़ियों में आग लगा दी गई, और पूरे इलाके में अराजकता फैलाने की कोशिश की गई। इस हिंसा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जो यह दिखाते हैं कि कुछ कट्टरपंथी भारत की जीत को बर्दाश्त नहीं कर सकते और हर बार इस तरह की ओछी हरकतों पर उतर आते हैं।

आगजनी-पत्थरबाजी के बाद पुलिस प्रसाशन ने संभाली कमान

भारत की चैंपियंस ट्रॉफी जीत का जश्न कुछ कट्टरपंथियों को इस कदर नागवार गुजरा कि उन्होंने इंदौर में दंगा भड़का दिया। रमजान के दौरान मस्जिद में मौजूद भीड़ ने न सिर्फ जीत का उत्सव मना रहे लोगों पर पथराव किया, बल्कि पूरे इलाके में आतंक फैला दिया। कई गाड़ियों में आग लगा दी गई, तोड़फोड़ मचाई गई, और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इस अराजकता की पूरी तस्वीर बयां कर रहे हैं। इनमें साफ दिखता है कि ‘अल्लाह-हू-अकबर’ और ‘नारा-ए-तकबीर’ के नारे लगाते हुए कट्टरपंथी भीड़ हिंसा को अंजाम दे रही थी।

रविवार (9 मार्च 2025) को भारत ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हराकर चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की। देशभर में इस जीत की खुशी का माहौल था, और इंदौर में भी युवाओं ने बाइक जुलूस निकालकर इसे सेलिब्रेट किया। लेकिन जैसे ही जुलूस महू शहर के जामा मस्जिद रोड पहुंचा, वहां पहले से ही घात लगाए बैठे कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया। वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि मस्जिद से भीड़ अचानक बाहर आती है और भारतीय टीम की जीत का जश्न मना रहे लोगों पर टूट पड़ती है। कुछ ही पलों में चारों ओर पत्थरबाजी शुरू हो जाती है, वाहनों को तोड़ा जाने लगता है, और पूरे माहौल में अफरा-तफरी मच जाती है।

यह बर्बरता सिर्फ जामा मस्जिद रोड तक सीमित नहीं रही। देखते ही देखते पत्ती बाजार, सब्जी मार्केट, गफ्फार होटल सहित कई इलाकों में भी हिंसा फैल गई। क्रिकेट प्रेमियों को बेरहमी से निशाना बनाया गया, उनकी गाड़ियों में आग लगा दी गई, और पेट्रोल बमों का इस्तेमाल कर इलाकों में दहशत फैला दी गई। यह सिर्फ एक कट्टरपंथी भीड़ की हरकत नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित हमला था, जो यह साबित करता है कि भारत की हर उपलब्धि को कुछ कट्टरपंथी ताकतें बर्दाश्त नहीं कर सकतीं और हिंसा के सहारे अपनी मानसिकता थोपने की कोशिश करती हैं।

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया, और फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ अलग-अलग इलाकों में भेजी गईं। इंदौर ग्रामीण एसपी हितिका वत्सल ने बताया कि घटना के बाद कई उपद्रवियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है, और पुलिस लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है। लेकिन बड़ा सवाल यही है—आखिर कब तक भारत में इस कट्टरपंथी सोच को सहन किया जाता रहेगा? कब तक देश की हर जीत को हिंसा में बदलने की साजिशें चलती रहेंगी?

स्थिति नियंत्रण में, लेकिन सवाल अब भी कायम

इंदौर ग्रामीण एसपी हितिका वत्सल ने इस हिंसा को लेकर कहा, “इंडिया-न्यूजीलैंड मैच के बाद जुलूस निकल रहे थे, जिसमें मस्जिद के बाहर पटाखे चलने से विवाद हुआ। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया। फिलहाल, पुलिस बल तैनात है, स्थिति नियंत्रण में है, और कई उपद्रवियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें। एसपी के मुताबिक, इस हमले में तीन लोग घायल हुए हैं, जबकि हालात पर काबू पाने के लिए महू में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। हिंसा को देखते हुए 300 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

महू, जो भारतीय सेना का एक प्रमुख केंद्र है, वहां हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने सेना की त्वरित कार्यवाही बल (QRT) की 8 टुकड़ियां बुला लीं। सेना ने शहर में फ्लैग मार्च कर स्थिति को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लिया। इस कायराना हमले के बाद कई संगठनों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक भारत की हर जीत को कुछ कट्टरपंथी ताकतें अपनी नफरत से लहूलुहान करने की कोशिश करेंगी? कब तक देश की उपलब्धियों को हिंसा और आतंक के जरिये धूमिल करने की साजिशें चलती रहेंगी? प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया है, लेकिन इस मानसिकता को कुचलने के लिए ठोस कदम कब उठाए जाएंगे?

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