‘कमबख्त को पार्टी से निकाल दो… नहीं तो उत्तर प्रदेश ले आइए इलाज हम कर देंगे’-अबू आजमी के औरंगजेब को आदर्श मानने वाले बयान पर बरसे सीएम योगी

महाकुंभ पर विलाप कर रहे गिद्दों को भी दो टूक

अबू आजमी के औरंगजेब को आदर्श मानने वाले बयान पर बरसे सीएम योगी

अबू आजमी के औरंगजेब को आदर्श मानने वाले बयान पर बरसे सीएम योगी

छत्रपति संभाजी महाराज की अदम्य वीरता और मुगल आतंकी औरंगजेब की क्रूरता पर आधारित फिल्म ‘छावा’ को लेकर राजनीतिक हलकों में जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। हमेशा की तरह, समाजवादी पार्टी (SP) की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति फिर उजागर हो गई, जब SP नेता अबू आजमी ने औरंगजेब को अपना आदर्श बताते हुए उसकी क्रूरता पर पर्दा डालने की कोशिश की। अबू आजमी ने औरंगजेब का महिमामंडन करते हुए कहा, “मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता। उसने कई मंदिरों का निर्माण कराया था। छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच कोई हिंदू-मुसलमान की लड़ाई नहीं थी, यह सब झूठ है!”

उनके इस विवादित बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। जहां सपा और कांग्रेस के नेता अबू आजमी के बचाव में उतर आए, वहीं भाजपा ने उन पर जबरदस्त हमला बोला है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी की हिंदू-विरोधी मानसिकता पर सीधा प्रहार करते हुए सपा नेता अबू आजमी के बयान पर तीखा हमला बोला है।

आजमी पर बरसे सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी और अबू आजमी पर तीखा हमला बोलते हुए उनकी सोच को भारत-विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को भारत की विरासत और गौरव से कोई लेना-देना नहीं है। जिनके नाम पर ये राजनीति करते हैं, कम से कम उन्हीं के विचारों को अपनाना सीख लें। डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि भारत की संस्कृति का आधार भगवान राम, कृष्ण और शंकर हैं, लेकिन आज समाजवादी पार्टी अपने ही नेताओं के विचारों से भटक चुकी है। अब ये औरंगजेब को अपना आदर्श मानने लगे हैं।

योगी आदित्यनाथ ने औरंगजेब की असलियत को उजागर करते हुए कहा कि उसके पिता शाहजहां ने खुद लिखा था, “खुदा करे, ऐसी औलाद किसी को न मिले!” इतिहास गवाह है कि औरंगजेब भारत की आस्था और संस्कृति पर हमला करने आया था, उसका इरादा इस देश का इस्लामीकरण करने का था। कोई भी सभ्य व्यक्ति अपनी औलाद का नाम औरंगजेब नहीं रखता, लेकिन समाजवादी पार्टी का नेता उसे अपना आदर्श मान रहा है।

उन्होंने समाजवादी पार्टी को खुली चुनौती देते हुए कहा कि  “उस व्यक्ति को (समाजवादी) पार्टी से निकालकर यूपी भेजो, हम उसका इलाज करेंगे. जो व्यक्ति छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत पर शर्म महसूस करता है, गर्व करने के बजाय औरंगज़ेब को अपना आदर्श मानता है, क्या उसे हमारे देश में रहने का अधिकार है? समाजवादी पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए. एक तरफ़ आप महाकुंभ दोष देते रहते हैं…दूसरी तरफ़ आप औरंगज़ेब जैसे व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं, जिसने देश के मंदिरों को नष्ट किया…आप अपने उस विधायक को नियंत्रित क्यों नहीं कर सकते? आपने उसके बयान की निंदा क्यों नहीं की?”

विपक्ष द्वारा किए जा रहे अनर्गल प्रलाप पर भी बरसे सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को लेकर विपक्ष की साजिशों और बेबुनियाद आरोपों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब पूरा देश इस ऐतिहासिक आयोजन की भव्यता और गौरव को अनुभव कर रहा था, तब कुछ लोग इसे बदनाम करने में जुटे थे। महाकुंभ महज़ एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की पहचान है, जिसे पूरी दुनिया ने सराहा। मगर कुछ दलों को इसमें भी साजिश रचने का अवसर दिखा। उन्होंने साफ कहा कि जब विपक्ष महाकुंभ को लेकर अफवाहें फैला रहा था, तब सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही थी, क्योंकि उनकी विचारधारा मर्यादा और संयम पर आधारित है।

उन्होंने आगे कहा कि यह वर्ष ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है और हम इसके साक्षी बन रहे हैं। महाकुंभ अब हर व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बस चुका है, जो इसे आने वाले समय में एक अद्वितीय आध्यात्मिक चमत्कार के रूप में देखेगा। मगर दुर्भाग्यवश, जब भी देश की संस्कृति और सनातन पर चर्चा होती है, कुछ राजनीतिक दलों को तकलीफ होने लगती है। जब महाकुंभ का आयोजन चल रहा था, तब विपक्षी नेता अनर्गल बयानबाज़ी कर रहे थे, लेकिन हमने उनकी बातों पर ध्यान देने के बजाय अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया, क्योंकि सत्य को कभी प्रमाण की ज़रूरत नहीं होती।

योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि महाकुंभ पर वही व्यक्ति टिप्पणी कर सकता है, जिसने इस आयोजन को आत्मसात किया हो। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में कहा है कि जो मुझे जिस रूप में स्मरण करता है, मैं उसे उसी रूप में दर्शन देता हूँ। यही सत्य महाकुंभ पर भी लागू होता है। यह पहला आयोजन है जिसे दुनिया ने खुलकर सराहा और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इसकी भव्यता को स्वीकार किया। मगर विपक्ष के लिए यह गौरव का नहीं, बल्कि कुंठा का विषय बन गया। लेकिन सत्य को दबाया नहीं जा सकता, और यही सनातन की अटूट शक्ति है।

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