बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही इतिहास से छेड़छाड़ का सिलसिला तेज हो गया है। शेख हसीना के सत्ता से जाने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद, बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम और उसके नायकों से जुड़ी यादों को व्यवस्थित रूप से मिटाया जा रहा है। शेख मुजीबुर्रहमान से जुड़े कई राष्ट्रीय अवकाश समाप्त कर दिए गए हैं, और बांग्लादेश के निर्माण की गवाही देने वाले महत्वपूर्ण स्मारकों को तोड़ा जा रहा है।
इसी कड़ी में, लालमोनिरहाट जिले में स्थित मुक्ति संग्राम स्मारक मंच के भित्ति चित्र को भी स्थानीय प्रशासन के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया। कुछ दिनों पहले ही इसे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कपड़े से ढंक दिया गया था। रविवार को मजदूरों ने पूरे दिन इस भित्ति चित्र को गिराने का काम किया। स्थानीय मीडिया से बातचीत में मजदूरों ने बताया कि यह कार्रवाई लालमोनिरहाट के डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर की गई।
भित्तिचित्र में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई ऐतिहासिक क्षणों को जीवंत रूप में उकेरा गया था। इसमें 1950 के दशक के भाषा आंदोलन, 7 मार्च का ऐतिहासिक भाषण, स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक घटनाएं, मुजीबनगर सरकार का गठन, नए स्वतंत्र बांग्लादेश का उदय, 1971 में पाकिस्तान द्वारा किए गए नरसंहार, विजय के उल्लास में झूमते स्वतंत्रता सेनानी, सात महान नायकों की वीरता, पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण, और राष्ट्रीय ध्वज लहराते गर्वित नागरिकों की छवियां शामिल थीं।
स्वतंत्रता दिवस से शुरू हुई थी विरासत को मिटाने की साजिश
द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (TIB) ने इस घटना की निंदा करते हुए इसका विरोध दर्ज कराया है। संगठन के बांग्लादेश क्षेत्र समन्वयक मोहम्मद मोर्शेद आलम ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमने पहले भी मुक्ति संग्राम के इस भित्तिचित्र को ढकने का विरोध किया था, और इसे तोड़े जाने का हम पूरी ताकत से विरोध करेंगे।”
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस भित्तिचित्र को कपड़े से ढक दिया गया था, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। इसे बांग्लादेश के इतिहास से छेड़छाड़ और उसकी विरासत को मिटाने की साजिश करार दिया गया था।
स्थानीय प्रशासन ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD)’ नामक छात्र संगठन की मांग पर उठाया गया। यह वही संगठन है जिसने अन्य छात्र गुटों के साथ मिलकर जुलाई में बड़े पैमाने पर हिंसा और विरोध प्रदर्शन किए थे, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़कर देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।
इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए लालमोनिरहाट जागरूक नागरिक समिति (SONAK) ने इसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का एक खतरनाक कदम बताया, जो बांग्लादेश के इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रही है।
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्मारकों, मूर्तियों और संग्रहालयों को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले साल आवामी लीग सरकार गिरने के बाद, कई शहरों में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियां तोड़ी गई थीं, और अब ऐतिहासिक भित्तिचित्रों को भी मिटाया जा रहा है।