‘क्या हम पाकिस्तान में रह रहे हैं?’ मुस्लिम बहुल जिले को 28 डॉक्टर, जहां हिंदू-सिख अधिक वहां सिर्फ 4; AAP विधायक ने खोली भगवंत सरकार की पोल

दविंदरजीत सिंह लाडी भगवंत मान

दविंदरजीत सिंह लाडी और भगवंत मान

पंजाब की भगवंत मान सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बार-बार अपनी पीठ थपथपाती रही है। यहां तक कि विज्ञापनों में भी करोड़ों रुपए खर्च कर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तारीफ करती रही है। लेकिन अब AAP विधायक ने ही अपनी सरकार की पोल खोलकर रख दी है। AAP विधायक दविंदरजीत सिंह लाडी ढोस ने सरकार पर पर्याप्त डॉक्टरों की पोस्टिंग न करने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि क्या वे पाकिस्तान में रह रहे हैं?

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दरअसल, पंजाब विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान पंजाब के मोगा जिले की धर्मकोट सीट से AAP विधायक दविंदरजीत सिंह लाडी ढोस ने अपनी ही सरकार से डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर सवाल किए। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की 2 बार भर्तियों हुई हैं। इसमें मोगा को सिर्फ 4 डॉक्टर क्यों दिए गए, जबकि मलेरकोटला जैसे छोटे जिले को हाल ही में हुई भर्तियों में 28 डॉक्टर दिए गए हैं, ऐसा क्यों किया गया?

दविंदरजीत सिंह ने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि मोगा के साथ यह भेदभाव क्यों? क्या मोगा पंजाब का हिस्सा नहीं है। हमें ऐसा लगता है कि हम पाकिस्तान में रह रहे हैं।”

यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि मलेरकोटला मुस्लिम बहुल जिला है। दूसरे शब्दों में कहें तो मलेरकोटला पंजाब का एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला है। यहां करीब 60 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। वहीं मोगा जिले की बात करें तो यहां हिंदुओं और सिखों की संख्या अधिक हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या पंजाब की भगवंत मान सरकार धर्म देखकर डॉक्टरों की नियुक्ति कर रही है?

दिल्ली के बाद अब पंजाब की CAG रिपोर्ट

दरअसल, पंजाब विधानसभा में अलग-अलग तरह की CAG रिपोर्ट पेश की गईं हैं। वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2021-22 तक की स्वास्थ्य विभाग की CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब स्वास्थ्य विभाग में 2016 से 2022 तक यानी 6 वर्षों के दौरान 68949 पद स्वीकृत किए गए थे। लेकिन इसमें से आधे से अधिक पद खाली ही रहे। इतना ही नहीं इस दौरान, हॉस्पिटल में इलाज के पर्याप्त सामग्री भी उपलब्ध नहीं थी। यहां तक कि पर्याप्त डॉक्टर, बिस्तर और आवश्यक दवाओं और मूलभूत उपकरणों की भी भारी कमी थी।

रिपोर्ट में सामने आया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि प्रत्येक 1000 व्यक्ति पर एक डॉक्टर होना चाहिए। लेकिन पंजाब में हालात इतने बुरे थे कि 7000 से अधिक व्यक्तियों पर एक डॉक्टर था। उदाहरण के लिए देखें तो CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब के मोगा जिले में सबसे खराब स्थिति थी, जहां 7376 लोगों के लिए एक डॉक्टर का पद स्वीकृत किया गया था। वहीं, रूपनगर जिला सबसे बेहतर स्थिति में था, जहां 2377 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर था। इतना ही नहीं COVID-19 यानी कोरोना महामारी के दौरान भी पंजाब सरकार ठीक ढंग से काम नहीं कर पाई और हॉस्पिटल में आवश्यक उपकरणों, दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं की लगातार कमी बनी रही।

CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब सरकर ने एक तरह से स्वास्थ्य सेवाओं पर कम खर्च करने का मन बनाया हुआ था। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित बजट में से 6.5% से 20.74 प्रतिशत तक की धनराशि का भी उपयोग नहीं किया। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत यह निर्धारित किया गया है कि राज्य सरकार अपने कुल बजट का 8% एवं राज्य की GDP का 2.50% खर्च स्वास्थ्य सेवाओं पर करेगी। लेकिन पंजाब सरकार ने कुल बजट का 3.11% और राज्य की GDP का महज 0.68% ही स्वास्थ्य में खर्च किया। 

पंजाब की जनता पर बढ़ा कर्ज का बोझ

पंजाब की हालत लगातार खराब होती जा रही है। पहले कांग्रेस सरकार और भगवंत मान के नेत्रत्व वाली AAP सरकार में पंजाब की जनता पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां साल 2023 में राज्य सरकार पर 2.76 लाख करोड़ का कर्ज था। वहीं मार्च 2024 में यह कर्ज बढ़कर 3.06 लाख करोड़ तक पहुंच गया। सीधे शब्दों में कहें तो सिर्फ एक साल में पंजाब का कर्ज 30000 करोड़ रुपये बढ़ गया।
पंजाब की भगवंत मान सरकार आज भले ही विधानसभा में 2016 से 2022 तक की यानी कांग्रेस सरकार के दौरान की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर CAG रिपोर्ट पेश कर रही हो। लेकिन सूबे की व्यवस्थाओं का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि डॉक्टरों की संख्या में भारी कमी के चलते AAP विधायक देविंदरजीत सिंह ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वह पाकिस्तान में रह रहे हैं?
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