हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। बिना किसी ठोस योजना के, केवल तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के तहत पुरानी पेंशन योजना (OPS) और अन्य योजनाओं को लागू कर कांग्रेस ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया। अब हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अपनी नाकामी छुपाने के लिए कांग्रेस सरकार मंदिरों से चंदा मांग रही है। जिस हिंदुत्व को कांग्रेस लगातार निशाने पर रखती आई है, अब उसी हिंदू आस्था के मंदिरों के चढ़ावे पर उसकी नजरें टिकी हुई हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद यह स्वीकार चुके हैं कि राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उनके विधानसभा क्षेत्र के विधायक और मुख्य संसदीय सचिव अगले दो महीने तक अपना वेतन और भत्ते नहीं लेंगे। उन्होंने साफ कहा कि जून 2022 के बाद जीएसटी मुआवजा बंद होने से राज्य को हर साल 2,500-3,000 करोड़ रुपये की भारी राजस्व हानि हो रही है। इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने से राज्य की उधार लेने की क्षमता भी 2,000 करोड़ रुपये तक घट गई है।
असल में, जब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनी, तो बिना किसी आर्थित गणना के OPS को बहाल कर दिया, जिसे एनडीए सरकार ने नई पेंशन योजना के तहत सुधार किया था। खुद सीएम सुक्खू ने कैबिनेट बैठक में माना था कि अधिकारियों ने आर्थिक संकट को देखते हुए OPS लागू न करने की सलाह दी थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। अब जब खजाना खाली हो चुका है, तो कांग्रेस सरकार मंदिरों के दान पात्र को सरकारी खजाना बनाने की कोशिश कर रही है। इसी को लेकर इन दिनों प्रदेश में सियासी माहौल भी गरमाया हुआ हैए जहां नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है।
कांग्रेस सरकार की आर्थिक बदहाली
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की नासमझ नीतियों और अदूरदर्शी वित्तीय फैसलों जैसे ओपीएस लागू करना, ने राज्य को गहरे आर्थिक संकट में डाल दिया है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बिना किसी वित्तीय योजना के बहाल करने का नतीजा यह हुआ कि राज्य की आर्थिक स्थिति चरमरा गई। सरकारी खजाना खाली हो चुका है, और अब सरकार अपनी योजनाओं को चलाने के लिए मंदिरों से चंदा मांगने पर उतर आई है।
29 जनवरी को हिमाचल सरकार के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने प्रदेश के बड़े मंदिर ट्रस्टों को पत्र भेजकर “सुखाश्रय” और “सुख शिक्षा योजना” के लिए आर्थिक सहायता देने को कहा है । इसके बाद जिला उपायुक्तों (DCs) ने मंदिर न्यासों को पत्र जारी कर उनसे इन योजनाओं में योगदान देने को कहा। हिमाचल के 35 बड़े मंदिरों की देखरेख खुद जिला प्रशासन करता है, जिनकी आय करोड़ों रुपये में होती है। अब सरकार की नजर इसी आय पर जा टिकी है।
दरअसल इस आर्थिक संकट की वजह OPS की बहाली से भी जोड़ कर देखि जा रही है. जब कांग्रेस सत्ता में आई, तो बिना किसी दूरगामी सोच के OPS बहाल कर दिया गया। इससे राज्य को हर साल करीब 2,500-3,000 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद स्वीकार किया कि इस वित्तीय संकट के कारण उनके विधायक और मुख्य संसदीय सचिव दो महीने तक वेतन और भत्ते नहीं लेंगे। OPS लागू करने के बाद राज्य की उधार लेने की क्षमता करीब 2,000 करोड़ रुपये घट गई, जिससे सरकार के पास वित्तीय प्रबंधन का भी कोई उपाय नहीं बचा।
ऐसे में अब जब हालात बेकाबू हो गए, तो कांग्रेस सरकार मंदिरों की आय को अपनी नाकामी छिपाने का जरिया बना रही है। हिंदू आस्था का विरोध करने वाली कांग्रेस, अब उन्हीं मंदिरों के चढ़ावे से अपनी गलत नीतियों का बोझ उतारना चाहती है।
जयराम ठाकुर ने भी कांग्रेस सरकार को घेरा
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सुक्खू सरकार एक ओर सनातन धर्म और हिंदू आस्था के खिलाफ बयानबाजी करती है, तो दूसरी ओर उन्हीं मंदिरों की संपत्ति पर नजर गड़ाए बैठी है। अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि सरकार मंदिरों से जबरन चंदा वसूलने की कोशिश कर रही है और अधिकारियों पर दबाव बना रही है कि जल्द से जल्द फंड सरकार को ट्रांसफर किया जाए। भारतीय जनता पार्टी इस जबरदस्ती का कड़ा विरोध करती है और जनता से अपील करती है कि वे इस तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाएं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 35 बड़े मंदिर सरकारी अधिग्रहण के तहत आते हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों में है। इनमें सबसे अमीर ऊना जिले का मां चिंतपूर्णी मंदिर है, जिसके खजाने में एक अरब रुपये की बैंक एफडी और एक क्विंटल से अधिक सोना जमा है। इसके अलावा, प्रदेश में कई महत्वपूर्ण शक्तिपीठ मौजूद हैं, जिनका प्रशासन सरकार के हाथ में है। अब कांग्रेस सरकार इन मंदिरों की संपत्ति को अपनी आर्थिक नीतियों की असफलता छिपाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने वाली कांग्रेस सरकार अब उन्हीं मंदिरों के चढ़ावे पर निर्भर हो गई है।