‘जम्मू-कश्मीर से खत्म हुआ अलगाववाद’, हुर्रियत में पड़ी फूट पर बोले अमित शाह-यह PM मोदी के सपने की जीत

अलगाववाद जम्मू कश्मीर अमित शाह

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकर द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जमू-कश्मीर में बदलाव की बयार बह रही है। अलगाववादी और अलगाववादियों के समर्थक अब विकासवाद पर जोर दे रहे हैं। इसी कड़ी में हुर्रियत के दो गुटों ‘जे एंड के पीपुल्स मूवमेंट’ और ‘डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट’ ने अलगाववाद से नाता तोड़ लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने हुर्रियत के दोनों संगठनों के इस फैसले का स्वागत किया है। साथ ही इसे जम्मू कश्मीर में हुए विकास और PM मोदी के प्रयासों का परिणाम बताया है।

हुर्रियत संगठनों के अलगाववाद से मुंह मोड़ने और नाता तोड़ने को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह में एक्स (X) पर एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा,

कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन चुका है। मोदी सरकार की एक भारत और एकता की नीतियों ने अलगाववाद को जम्मू-कश्मीर से बाहर कर दिया है। हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने का ऐलान किया है।”

“मैं भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए इस कदम का स्वागत करता हूं और ऐसे सभी समूहों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अलगाववाद को हमेशा के लिए खत्म करें। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के दृष्टिकोण की बड़ी जीत है।”

बता दें कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद भारतीय युवाओं का आतंकवादियों से जुड़ाव लगभग खत्म हो गया है। 10 साल पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का महिमामंडन होता था, जनाजों का जुलूस निकाला जाता था। मोदी सरकार में भी आतंकवादी मारे गए, ज्यादा मारे गए, लेकिन किसी के जनाजे का जुलूस नहीं निकाला गया। जो आतंकवादी जहां मारा जाता है, वहीं दफना दिया जाता है।

उन्होंने यह भी कहा था, “कई वर्षों से कश्मीर की तिजोरी खाली थी। 2015 में मोदी सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपए की 63 परियोजनाओं की शुरुआत की। कुछ लोग मेरे खर्च का हिसाब पूछ रहे थे। अरे भाई, थोड़ा कम हुआ होगा, हमने रखने की हिम्मत तो की, आपके समय में तो खर्च का प्रोविजन ही नहीं था। 80 हजार करोड़ रुपए में से 51 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं और 63 में से 53 परियोजनाएं क्रियान्वित हो चुकी हैं।”

बता दें कि इसके अलावा अलगाववादी नेता रहे सैयद अली गिलानी के करीबी सहयोगी माने जाने वाले एडवोकेट मोहम्मद शफी रेशी ने भी जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (DPM) और ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (G) से पूरी तरह अलग होने की घोषणा की है। सोमवार (24 मार्च, 2025) को जारी एक बयान में रेशी ने कहा  कि उन्होंने साल 2017 में ही DPM से सभी संबंध तोड़ लिए थे, तब से उनका किसी भी अलगाववादी संगठन से कोई संबंध नहीं है।

एडवोकेट मोहम्मद शफी रेशी का बयान

रेशी ने बयान जारी कर कहा, “मैंने 2017 में अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डीपीएम से खुद को अलग कर लिया था और उसके बाद से मेरा इससे या किसी अन्य अलगाववादी समूह से कोई संबंध नहीं रहा। अब मैं पूरी तरह से अपने कानूनी पेशे पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।”

रेशी ने अपने बयान में ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) द्वारा आगे बढ़ाई जा रही विचारधारा की तीखी आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि हुर्रियत जम्मू-कश्मीर के लोगों की जायज मांगों और शिकायतों को दूर करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे संगठनों की रणनीति से कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। इससे केवल अलगाव और भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। रेशी ने भारत के प्रति अपनी निष्ठा की पुष्टि करते हुए यह भी कहा, “मैं भारत का एक सच्चा नागरिक हूं और भारतीय संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”

 

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