तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए मोदी सरकार की देश को एक और सौगात; केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोप-वे प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार की मंजूरी

जानें कैसे धार्मिक पर्यटन को पंख लगाएगी ये योजना

पर्वतमाला परियोजना के तहत केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोप-वे प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार की मंजूरी

पर्वतमाला परियोजना के तहत केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोप-वे प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार की मंजूरी (image Source:X)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा सनातन संस्कृति और आस्था के केंद्रों के विकास की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी देकर श्रद्धालुओं की यात्रा को पहले से कहीं अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने का रास्ता खोल दिया है। राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ (12.9 किमी) और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब (12.4 किमी) तक रोपवे निर्माण को हरी झंडी दी गई है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की अहमियत पर जोर देते हुए बताया कि यह श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगी। वर्तमान में 8-9 घंटे की कठिन और थकाने वाली चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन रोपवे बनने के बाद यह यात्रा मात्र 36 मिनट में पूरी की जा सकेगी। यह अत्याधुनिक रोपवे एक बार में 36 यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखेगा, जिससे दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल राहत मिलेगी, बल्कि यात्रा भी अधिक सहज और सुगम हो जाएगी।

सोनप्रयाग से केदारनाथ तक बनने वाले इस रोपवे और केबल कार परियोजना की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड को सौंपी गई है। यह कदम प्रधानमंत्री मोदी के भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित और सशक्त करने के विजन का प्रतीक है। इस परियोजना से धार्मिक पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा, जिससे लाखों श्रद्धालु और पर्यटक लाभान्वित होंगे, और उत्तराखंड में पर्यटन को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।

केदारनाथ रोपवे

केदारनाथ धाम, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर (11,968 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र स्थल सोनप्रयाग से 21 किमी की दूरी पर है। फिलहाल, श्रद्धालुओं को सोनप्रयाग से 5 किमी सड़क मार्ग से गौरीकुंड पहुंचने के बाद 16 किमी की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। 2023 में यहां करीब 23 लाख श्रद्धालु पहुंचे, जिससे इस स्थल की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता साफ झलकती है।

श्रद्धालुओं की यात्रा को अधिक सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने पर्वतमाला परियोजना के तहत केदारनाथ रोपवे परियोजना को मंजूरी दी है। यह रोपवे न केवल यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि केदारनाथ धाम तक सुगम पहुंच सुनिश्चित करेगा, जिससे सभी भक्त, विशेष रूप से बुजुर्ग और दिव्यांगजन, बिना किसी कठिनाई के दर्शन कर सकेंगे।

Kedarnath Ropeway

परियोजना की मुख्य विशेषताएँ
यह रोपवे 12.9 किमी लंबा होगा और इसे सोनप्रयाग से केदारनाथ तक सीधा संपर्क प्रदान करने के लिए विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत ₹4,081 करोड़ निर्धारित की गई है। इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की सहायक कंपनी नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) और उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) के सहयोग से लागू किया जा रहा है।

परियोजना को डिज़ाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा, जिसमें 1,800 यात्री प्रति घंटा प्रति दिशा (PPHPD) की क्षमता होगी। रोपवे की रियायती अवधि 35 वर्ष तय की गई है, जिसमें 6 वर्ष निर्माण कार्य के लिए निर्धारित किए गए हैं।

वर्तमान में 8-9 घंटे की कठिन यात्रा करने वाले श्रद्धालु अब मात्र 36 मिनट में केदारनाथ धाम तक पहुंच सकेंगे। इस रोपवे में तीन प्रमुख स्टेशन होंगे – सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारनाथ, जिससे यात्रा को चरणबद्ध और सुविधाजनक बनाया जाएगा।

परियोजना के लाभ
केदारनाथ रोपवे न केवल श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करेगा। इससे भीड़ प्रबंधन बेहतर होगा और तीर्थ यात्रा के दौरान संसाधनों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा। यह परियोजना स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देगी, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी और उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

सबसे खास बात यह है कि बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए यह यात्रा पूरी तरह सुगम और सुविधाजनक होगी, जिससे वे भी इस पवित्र धाम के दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले, कठिन चढ़ाई के कारण कई श्रद्धालु यात्रा करने से वंचित रह जाते थे, लेकिन रोपवे उनकी इस परेशानी को दूर करेगा।

संरचनात्मक ढांचा
यह परियोजना उत्तराखंड रोपवे अधिनियम, 2014 के तहत संचालित होगी, जो इसके निर्माण, संचालन और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करेगा। सरकार का उद्देश्य आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और आध्यात्मिक पर्यटन को आपस में जोड़ना है, जिससे श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित, सुगम और सुखद यात्रा अनुभव मिल सके।

केदारनाथ रोपवे न केवल एक आधारभूत विकास परियोजना है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह आने वाले वर्षों में देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ यात्रा को अधिक सुलभ, सुविधाजनक और आनंददायक बनाएगा, साथ ही उत्तराखंड को धार्मिक और ईको-टूरिज्म के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगा।

हेमकुंड साहिब रोपवे 

हेमकुंड साहिब जी, उत्तराखंड के चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित, भारत के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों में से एक है। यह वही पावन स्थान है, जहां दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने ध्यान किया था। केवल सिख श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में भी इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने भी यहीं तपस्या की थी।

यह पवित्र गुरुद्वारा साल में केवल पांच महीने (मई से सितंबर) तक खुला रहता है और इस दौरान हजारों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 2023 में ही करीब 1.77 लाख तीर्थयात्री इस स्थान पर पहुंचे थे। हेमकुंड साहिब के मार्ग में घांघरिया मुख्य पड़ाव के रूप में स्थित है, जो इस तीर्थ यात्रा का हिस्सा होने के साथ-साथ विश्व धरोहर स्थल – फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार भी है। यह प्राकृतिक चमत्कार अपनी अनूठी जैव विविधता और अद्भुत दृश्यावली के लिए दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है।

परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ
हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,589.04 करोड़ है, इस ऊँचाई वाले तीर्थ स्थल को सुगम और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। 12.4 किमी लंबे इस रोपवे को दो प्रमुख चरणों में विकसित किया जाएगा:

परियोजना को डिज़ाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है, जिससे इसका निर्माण और संचालन लंबे समय तक सुचारू रूप से चलता रहे। रोपवे की यात्री क्षमता प्रति घंटे प्रति दिशा (PPHPD) न्यूनतम 1,100 यात्री होगी, और इसका रियायती कार्यकाल 35 वर्ष तय किया गया है, जिसमें 6 वर्ष निर्माण कार्य के लिए निर्धारित किए गए हैं।

वर्तमान में श्रद्धालुओं को कई घंटे कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन रोपवे बनने के बाद पूरी यात्रा मात्र 42 मिनट में पूरी हो जाएगी। इस रोपवे में तीन प्रमुख स्टेशन – गोविंदघाट, घांघरिया और हेमकुंड साहिब होंगे, जिससे यात्रा को और सुविधाजनक बनाया जाएगा।

Hemkund Sahib Ropeway

परियोजना के लाभ
हेमकुंड साहिब रोपवे श्रद्धालुओं की यात्रा को अधिक सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगा। अभी तक तीर्थयात्रियों को सीमित समय (4-5 घंटे) के भीतर दर्शन करने का अवसर मिलता था, लेकिन इस रोपवे के शुरू होने के बाद दर्शन का समय बढ़कर 10 घंटे (सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक) हो जाएगा। इससे भक्तों को बिना किसी जल्दबाज़ी के शांति और श्रद्धा के साथ अपने आराध्य के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

इसके अलावा, यह परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि तीर्थ यात्रा और पर्यटन में वृद्धि से स्थानीय व्यापारियों और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए यह रोपवे किसी वरदान से कम नहीं होगा, क्योंकि अब वे भी बिना कठिन चढ़ाई के इस पवित्र स्थल तक पहुँच सकेंगे।

संरचनात्मक ढांचा
हेमकुंड साहिब रोपवे का संचालन उत्तराखंड रोपवे अधिनियम, 2014 के तहत किया जाएगा, जो इस परियोजना की सुरक्षा, संचालन, लाइसेंसिंग और किराया प्रबंधन के लिए कानूनी रूपरेखा प्रदान करता है। सरकार इस परियोजना के माध्यम से तीर्थ पर्यटन को अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे से जोड़ने का प्रयास कर रही है, जिससे श्रद्धालुओं को सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिल सके।

यह रोपवे श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ यात्रा को अधिक सहज बनाने के साथ-साथ उत्तराखंड को धार्मिक और ईको-टूरिज्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। यह केवल एक बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं, बल्कि आस्था और प्रगति का संगम है, जो आने वाले वर्षों में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को एक नया और यादगार अनुभव प्रदान करेगा।

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