उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद जिले के दलित समुदाय की नाबालिग पीड़िता के साथ हुए गैंगरेप में स्थानीय थाने पर तैनात पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है। इस मामले में उच्चाधिकारियों ने SHO भगतपुर इंस्पेक्टर संजय पांचाल को लाइन हाजिर कर दिया है। वहीं सब इंस्पेक्टर राजकुमार नैन और SSI मुरलीधर को सस्पेंड कर दिया गया है। अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान TFI की टीम ने पुलिस विभाग पर हुई इस कार्रवाई की वजह को खंगाला तो उसके पीछे कई गंभीर लापरवाहियाँ और लीपापोती सामने आई।
उत्तर प्रदेश शासन में समाज कल्याण और SC/ST कल्याण मंत्री असीम अरुण शनिवार (8 मार्च 2025) को पीड़िता के घर गए। यहाँ पीड़ित परिवार से लम्बी मुलाक़ात के बाद उन्होंने सभी आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई का एलान किया। इसी मुलाकात के दौरान वादी मुकदमा जो पीड़िता की चाची भी हैं, ने असीम अरुण को एक शिकायती पत्र सौंपा। इस पत्र में उन्होंने क्रमवार पूरे घटनाक्रम को बताया है। TFI के पास उस पत्र की प्रति मौजूद है।
3 जनवरी को ही DGP के आदेश का उल्लंघन
पीड़िता की चाची द्वारा प्रेषित पत्र में बताया गया है कि 2 जनवरी 2025 को उनकी नाबालिग भतीजी का अपहरण हुआ था। इसकी शिकायत 3 जनवरी को ही उन्होंने स्थानीय थाना भगतपुर में कर दी थी। तब तत्कालीन DGP उत्तर प्रदेश द्वारा 24अगस्त 2016 को जारी परिपत्र संख्या 52/16 के मुताबिक मामले में पुलिस को तत्काल FIR दर्ज कर के मुकामी पुलिस को नाबालिग की तलाश शुरू कर देनी थी। हालाँकि उन्होंने अपने ही DGP के आदेश का सरासर उल्लंघन किया।
मुकदमे की वादी महिला का आरोप है कि 3 जनवरी को उनके द्वारा दी गई शिकायत पर केस दर्ज करना तो दूर, उसे थाना पुलिस द्वारा दबा दिया गया। लगभग 6 दिनों के बाद 9 जनवरी को इस मामले में महज गुमशुदगी लिख कर इति श्री कर ली गई। यहाँ बताना जरूरी है कि गुमशुदगी की गंभीरता FIR से कम होती है। यही वजह रही कि यह मामले ओआर प्रक्रिया से कई बार बचता रहा और पीड़िता 2 महीने तक अपहर्ताओं के चंगुल में रहीं। इन डेढ़ महीनों में पीड़ित परिवार की एक बार भी पुलिस द्वारा खोज-खबर नहीं ली गई।
25 फरवरी को मुख्य आरोपित पकड़ कर छोड़ा
नाबालिग पीड़िता की चाची का सबसे गंभीर आरोप मंत्री असीम अरुण को भेजी गई शिकायतों की आगे की लाइनों में है। इन लाइनों में बताया गया है कि डेढ़ महीने तक जब पुलिस ने उनकी भतीजी की कोई खोज खबर नहीं ली तब 25 फरवरी को वो एक बार फिर से थाने में गुहार लगाने पहुँचीं। तब थाने में मुस्लिम समुदाय का एक उर्दू अनुवादक मिला। उसने एक तरफ पीड़िता को थाने में मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों से मिलवाया और दूसरे छोर पर मुख्य आरोपित सलमान से सम्पर्क साधने लगा।
वादी मुकदमा के अनवर 25 फरवरी को उन्हें पुलिस ने काफी देर तक इधर-उधर की बातें कर के गुमराह किया। दावा है कि इसी दौरान उनकी भतीजी के अपहर्ता सलमान को थाने पर बुलवाया गया। सलमान थाने पर बाइक से पहुँचा। यहाँ उसने उर्दू अनुवादक के साथ हाथों में हाथ डाल कर बड़ी देर तक हँसी-मजाक के अंदाज़ में बातचीत की और फिर सभी पुलिसकर्मियों के आगे ही बिना रोकटोक के वापस लौट गया।
महिला का यह भी आरोप है कि उनके द्वारा 25 फरवरी को थाने में जो नई शिकायत दी गई थी वह भी अब तक सामने नहीं आ पाई है। वह शिकायत कहाँ गई या उस पर क्या एक्शन हुआ अभी तक इसकी जानकारी सार्वजानिक नहीं की गई है। इस मामले में हिन्दू संगठनों ने SC/ST आयोग से माँग की है कि वो भगतपुर थाने की 25 फरवरी की CCTV फुटेज तलब करें जिस से शिकायतकर्ता के आरोपों की पुष्टि हो सके। साथ ही यह भी माँग उठी है कि यह आरोप सही साबित पाए जाते हैं तो कठोरतम कार्रवाई अमल में लाई जाए।
फ़िलहाल इस मामले में हिन्दू संगठनों के अलावा कई अन्य सामाजिक समूहों ने भी एक्शन की माँग तेज कर दी है। लाइन हाजिर हुए SHO और सस्पेंड हुए सब इंस्पेक्टरों के खिलाफ पुलिस विभाग आंतरिक जाँच करवा रहा है। आरोपों से की पुष्टि सबूतों के साथ होने के बाद आगे की विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जिले और मंडल सहित प्रदेश के तमाम आला पुलिस अधिकारी मामले पर नजर रखे हुए हैं।