आंकड़े दे रहे गवाही…मोदी सरकार में आत्मनिर्भर बनी लाखों महिलाएं

मोदी सरकार महिला योजनाएं

मोदी सरकार में आत्मनिर्भर बनी लाखों महिलाएं (फोटो साभार: HT)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभालने के बाद से महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए अनेकों प्रयास किए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो केंद्र सरकार ने महिला सशक्तिकरण को प्रमुख उद्देश्य बना लिया है। शहरी क्षेत्र की महिलाएं तो काफी हद तक जागरूक और काम काज में शामिल रहती थीं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं घर के कामकाज से बाहर ही नहीं निकल पाती थीं। ऐसे में केंद्र सरकार ने एक के बाद एक कई योजनाओं के जरिए देश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार ने अपनी योजनाओं के जरिए न केवल ग्रामीण महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया है, बल्कि उन्हें परिवार और समाज में अपनी भूमिका को मजबूत करने का भी अवसर दिया है। रूरल सेल्फ-एंप्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई अवसर प्रदान किए हैं। X पर ‘इंफो इन डाटा’ द्वारा शेयर की जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 में 2 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया था। इस दौरान 1.74 लाख महिलाओं ने आगे बढ़कर खुद को आत्मनिर्भर बनाया है।

वहीं, वित्तीय वर्ष 2021 में 2.07 लाख महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया, इस दौरान 1.39 लाख महिलाओं ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है। इसी तरह, वित्तीय वर्ष 2022 में 2.12 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान 1.57 लाख महिलाओं ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है। वित्तीय वर्ष 2023 में 2.73 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान 2.32 लाख महिलाओं ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है। वित्तीय वर्ष 2024 में 2.90 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान 2.60 लाख महिलाओं ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2025 (दिसंबर 2024 तक) में 3.83 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान 2.50 लाख महिलाओं ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि रूरल सेल्फ-एंप्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से महिलाओं की भागीदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है। यह केवल उनकी व्यक्तिगत आजीविका में सुधार का कारण नहीं बन रहा, बल्कि महिलाओं को अपने परिवारों और समुदायों के लिए एक सशक्त नेतृत्व के रूप में उभरने का अवसर भी दे रहा है।

इसके अलावा, ग्रामीण भारत में स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से प्रशिक्षण और लामबंदी में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने उन्हें परिवार और समुदाय को बेहतर जीवनशैली की ओर ले जाने में सक्षम बनाया है। ‘इंफो इन डाटा’ की ओर से जारी आंकड़ों की मानें तो वित्तीय वर्ष 2020 में कुल 2.47 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 1.27 लाख महिलाएं थीं, जो कुल प्रशिक्षण का 51 प्रत‍िशत थीं। वित्तीय वर्ष 2021 में 38 हजार लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 20 हजार महिलाएं थीं, जो जो कुल प्रशिक्षण का 53 प्रत‍िशत थीं। वित्तीय वर्ष 2022 में 97 हजार लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 58 हजार महिलाएं थीं, जो जो कुल प्रशिक्षण का 60 प्रत‍िशत थीं। वित्तीय वर्ष 2023 में 2.31 लाख लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 1.34 लाख महिलाएं थीं, जो जो कुल प्रशिक्षण का 58 प्रत‍िशत थीं। वित्तीय वर्ष 2024 में 2 लाख लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 1.22 लाख महिलाएं थीं, जो जो कुल प्रशिक्षण का 61 प्रत‍िशत थीं। तो वहीं, वित्तीय वर्ष 2025 (दिसंबर 2024 तक) में 69 हजार लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 43 हजार महिलाएं थीं, जो जो कुल प्रशिक्षण का 62 प्रत‍िशत थीं।

इन सभी आंकड़ों से यह साफ है कि मोदी सरकार की योजनाओं से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन आया है। प्रशिक्षण और कौशल विकास के इन प्रयासों से महिलाएं अब केवल अपने परिवारों के लिए नहीं, बल्कि समाज और देश की समृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। सरकार की योजनाओं ने ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के आत्मसम्मान, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े बदलाव किए हैं।

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