“मैं तुमसे नफरत कर सकता था लेकिन इस…..” -गेट पर लगाया DND बोर्ड, लिखा आखरी पत्र और फिर फंदे से झूल गया एक और पत्नी प्रताड़ित शख्स

जानें क्या है पूरा मामला

Nishant Tripathi Suicide Case

Nishant Tripathi Suicide Case (Image Source: x)

बेंगलुरु इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद से ही पत्नियों द्वारा प्रताड़ित पुरुषों की आत्महत्याओं की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। हर दिन नए मामले सुर्खियों में आ रहे हैं, लेकिन समाज और कानून अब भी महिलाओं को ही ‘पीड़िता’ मानकर पुरुषों को गुनहगार साबित करने में लगा है। हाल ही में TCS मैनेजर मानव शर्मा की आत्महत्या का मामला चर्चा में था, और अब मुंबई से एक और दिल दहला देने वाली घटना(Mumbai Suicide Case) सामने आई है—जहां पत्नी और मौसी के मानसिक और भावनात्मक शोषण से तंग आकर 41 साल के एक व्यक्ति ने फांसी लगा ली।

सुसाइड के इन बढ़ते मामलों को देखकर तो लगता है मानो आज के समय में एक पुरुष के लिए शादी करना अपने ही विनाश की नींव रखना हो गया है। मर्दों के लिए कानून व्यवस्था इतनी लचर दिखाई पड़ती है कि पुरूषों को न्याय मिलना मुश्किल होता जा रहा है। पुरुषों की पीड़ा पर कोई बात नहीं करता, क्योंकि तथाकथित ‘फेमिनिस्ट्स’ ने समाज में ऐसा नैरेटिव बना दिया है कि महिलाएं सिर्फ पीड़िता हो सकती हैं और पुरुष केवल अपराधी।

मिली प्रताड़ना फिर भी प्यार बना रहा

मुंबई के विले पार्ले स्थित सहार होटल में 41 साल के निशांत त्रिपाठी ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। उनकी मौत सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि उस अन्यायपूर्ण व्यवस्था का नतीजा है, जो पुरुषों की पीड़ा को नजरअंदाज करती है। निशांत ने अपने आखिरी शब्दों में अपनी पत्नी अपूर्वा पारीक और मौसी प्रार्थना मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है।

मरने से पहले निशांत ने अपनी ही कंपनी की वेबसाइट पर एक सुसाइड नोट अपलोड किया। उस नोट में जो लिखा था, वह किसी का भी दिल दहला सकता है ,”ये अपूर्वा के लिए—हाय बेब… जब तक तुम ये पढ़ोगी, मैं जा चुका होऊंगा। जो कुछ भी हुआ, उसके लिए अपने आखिरी वक्त में मैं तुमसे नफरत कर सकता था, लेकिन मैंने प्यार को चुना। मैं तुम्हें तब भी प्यार करता था, मैं तुम्हें अब भी प्यार करता हूं। और जैसा कि मैंने वादा किया था—ये प्यार कभी कम नहीं होगा। मेरी मां जानती हैं कि मैंने जिन संघर्षों का सामना किया, उनमें तुम और प्रार्थना मौसी भी शामिल हो। तुम दोनों मेरी मौत की वजह हो। इसलिए तुमसे भीख मांगता हूं, मेरी मां के पास मत जाना। वह टूट चुकी है, उसे अकेले में शोक मनाने देना।”

इस घटना की सूचना मिलते ही निशांत की मां ने एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पहले तो केवल ADR (Accidental Death Report) दर्ज हुई। लेकिन मां की शिकायत पर निशांत की पत्नी और मौसी के खिलाफ BNS की धारा 108 के तहत मामला दर्ज किया गया। सवाल यह है कि क्या यह मामला आगे बढ़ेगा या बाकी हजारों मामलों की तरह यह भी लचर कानून व्यवस्था की भेंट चढ़ जाएगा?

आज का समाज पुरुषों की भावनाओं को समझने के लिए तैयार ही नहीं दिखता। अगर कोई महिला आत्महत्या करती, तो तुरंत आंदोलन खड़ा हो जाता, “नारी सशक्तिकरण” और “महिलाओं की सुरक्षा” के नाम पर पूरे सिस्टम को दोषी ठहरा दिया जाता। लेकिन जब एक पुरुष मानसिक और भावनात्मक शोषण से टूट जाता है, तब कोई उसकी आवाज सुनने वाला नहीं होता। यह सिर्फ निशांत की कहानी नहीं है, यह उन पुरुषों की कहानी है, जो चुपचाप घुटते रहते हैं, क्योंकि समाज ने उनकी तकलीफों को स्वीकारना ही नहीं सीखा। आखिर कब तक?

गेट पर लगाया DND का बोर्ड

निशांत त्रिपाठी ने अपनी जान देने से तीन दिन पहले ही होटल में कमरा बुक कर लिया था। आखिरी दिन, 28 फरवरी को, उसने अपने कमरे के दरवाजे पर ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ का बोर्ड टांग दिया—शायद यह उसका तरीका था यह बताने का कि अब वह दुनिया से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता।

अंदर, होटल के उसी कमरे में, उसने बाथरूम में फांसी लगा ली। घंटों बीत गए, लेकिन किसी को कोई आहट नहीं हुई। जब रूम सर्विस ने दरवाजा खटखटाया और कोई जवाब नहीं आया, तो होटल स्टाफ ने मास्टर चाबी से दरवाजा खोला। अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था—निशांत फंदे से झूल रहा था। होटल मैनेजमेंट ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। एयरपोर्ट पुलिस मौके पर पहुंची, शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

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