बीजेपी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष मोहनलाल बडौली ने ‘वक्फ संशोधन बिल’ के लिए एक प्रदेश समिति का गठन किया है। इस समिति का गठन वक्फ संशोधन बिल से जुड़े फायदों को लोगों तक पहुंचाने और इससे जुड़े मसलों का अध्ययन करने के लिए किया गया है। हरियाणा बीजेपी ने इसे लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की है। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, हरियाणा वक्फ बोर्ड के प्रशासक और पूर्व विधायक ज़ाकिर हुसैन को इस समिति का संयोजक बनाया गया है। वहीं, पानीपत के महाराज हुसैन साबरी और हिसार के घनश्याम गोयल को समिति का सदस्य बनाया गया है। इस समिति की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा की तरह ही देशभर में बीजेपी ऐसी ही समितियां बनाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले कुछ दिनों में अलग-अलग राज्यों में इस तरह की समितियों का एलान किया जा सकता है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कहा है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर मुस्लिम समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है और गलत संदेश दिया जा रहा है कि सरकार वक्फ की जमीनें छीन लेगी या कब्रगाहों पर कब्जा कर लेगी। सूत्रों की मानें तो इन समितियों के सदस्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन, प्रबंधन और पारदर्शिता में सुधार के लिए लोगों से संवाद करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर बीजेपी की यह रणनीति मुस्लिम समुदाय के बीच विश्वास हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
क्या है वक्फ (संशोधन) बिल?
वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करना है। यह बिल लोकसभा में 8 अगस्त 2024 को पेश किया गया था जहां से इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेज दिया गया था और अब इसे JPC से भी मंज़ूरी मिलने के बाद लोकसभा में इसकी रिपोर्ट को पेश कर दिया गया है। यह बिल वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान के लिए लाया गया है। यह बिल वक्फ की संपत्तियों को बेहतर तरीके से संभालने और प्रबंधित करने के लिए लाया गया है। इसका मकसद पुराने कानून की कमियों को दूर करना, वक्फ की परिभाषा को साफ करना, रजिस्ट्रेशन को आसान बनाना और रिकॉर्ड रखने में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना है। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड का कामकाज और बेहतर होगा।
वक्त बिल के खिलाफ कई मुस्लिम संगठन
वक्त बिल को लेकर मुस्लिम समाज भी दो धड़ों में बंटा हुआ है। एक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) जैसे कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं वहीं कई मुस्लिम संगठन इसे प्रगतिशील कदम बताते हुए इसके समर्थन में खड़े हैं। AIMIM के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवेसी भी इस बिल का विरोध कर चुके हैं। इस बिल का विरोध करने वाले मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि वक्फ बिल में प्रस्तावित बदलाव वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता के लिए खतरा हैं और यह बिल बोर्ड की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर असर डालेगा। इसके खिलाफ मुस्लिम संगठनों द्वारा प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं, ऐसे में आम लोगों तक इस बिल के फायदे पहुंचाना सरकार और बीजेपी बेहद ज़रूरी मान रही है।
क्या होता है वक्फ का अर्थ?
वक्फ का मतलब है कि इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाला व्यक्ति अपनी संपत्ति को किसी धार्मिक, पवित्र या भलाई के काम के लिए अल्लाह को हमेशा के लिए समर्पित कर देता है। इस संपत्ति को बेचा या किसी और काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वक्फ बनाने वाले व्यक्ति को ‘वाकिफ’ कहा जाता है। चूंकि संपत्ति अल्लाह को दे दी जाती है और मूर्त इकाई की अनुपस्थिति में इस संपत्ति का देखभाल और प्रबंधन करने के लिए ‘मुतवल्ली’ नाम का व्यक्ति नियुक्त किया जाता है। यह नियुक्ति वक्फ बोर्ड या किसी सक्षम अधिकारी द्वारा की जाती है। एक बार संपत्ति वक्फ में दे दी जाए, तो उसका मालिकाना हक वाकिफ से हटकर अल्लाह के नाम पर चला जाता है और इसे बदला नहीं जा सकता है।
वक्फ बोर्ड के पास हैं कितनी संपत्तियां?
केंद्र सरकार के मुताबिक, वर्तमान में वक्फ बोर्ड देश भर में 9.4 लाख एकड़ भूमि पर फैली 8.70 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करता है। इन संपत्तियों का अनुमानित मूल्य 1.20 लाख करोड़ रुपए के आस-पास है। तुर्की, लीबिया, मिस्र, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक जैसे इस्लामिक देशों में वक्फ नहीं हैं जबकि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी वक्फ संपत्ति है। साथ ही, सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड भारत में सबसे बड़ा भूस्वामी है। वक्फ बोर्ड के अंतर्गत 8,72,328 अचल संपत्तियां और 16,713 चल संपत्तियां पंजीकृत हैं। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के पास अब तक 3,30,000 डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड हैं।