पर्यावरण संरक्षण के लिए गोवा में नई पहल, स्कूलों में लैदर के जूतों के बजाय कैनवास के जूते पहनेंगे छात्र

शिक्षा निदेशक शैलेश जिंगडे द्वारा इसे लेकर स्कूलों को एक सर्कुलर जारी किया गया है

AI द्वारा बनाया गया छात्रों का प्रतीकात्मक चित्र

AI द्वारा बनाया गया छात्रों का प्रतीकात्मक चित्र

पर्यावरण संरक्षण मौजूदा समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल है। तेज़ी से बढ़ते औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ता जा रहा है। वनों की कटाई, जल और वायु प्रदूषण, प्लास्टिक और हानिकारक रसायनों का उपयोग पर्यावरणीय असंतुलन को जन्म दे रहा है। इन समस्याओं को देखते हुए, अलग-अलग सरकारें और संस्थाएं पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए नए उपाय अपना रही हैं। इसी दिशा में गोवा के शिक्षा निदेशालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। गोवा में स्कूली छात्रों के दैनिक जीवन में पर्यावरण-अनुकूल आदतें विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है और इसी कड़ी में छात्रों को चमड़े या सिंथेटिक सामग्रियों से बने जूतों के बजाय कैनवास के जूते पहनने को कहा गया है।

गोवा के शिक्षा निदेशालय ने राज्य के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त, गैर सहायता प्राप्त, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक और विशेष विद्यालयों के सभी छात्रों को स्कूलों में कैनवास के जूते पहनने अनिवार्य कर दिए गए हैं। शिक्षा निदेशक शैलेश जिंगडे द्वारा इसे लेकर स्कूलों को एक सर्कुलर जारी किया गया है जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सभी छात्र अब से पर्यावरण के अनुकूल कैनवास के जूते ही पहनें। इस सर्कुलर में कहा गया है कि मानसून के मौसम में केवल रेनवियर जूतों के लिए ही इससे छूट दी जाएगी।

जिंगडे द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है, “पर्यावरण संरक्षण का जितना प्रचार किया जाता है, उतना ही उसका पालन भी किया जाना चाहिए। इसमें कोई विवाद नहीं है कि चमड़े की वजह से पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। जानवरों से चमड़े के उत्पादन में अत्यधिक विषैले रसायनों का उपयोग होता है, जो मानव त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कृत्रिम चमड़े व अन्य सिंथेटिक सामग्री से बने अन्य जूते भी उन्हीं रसायनों का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग स्कूलों में कैनवास के जूते पहनकर काफी हद तक कम किया जा सकता है।” इसमें कहा गया है, “कैनवास के जूते पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बने होते हैं और अधिक आरामदायक के साथ-साथ सस्ते होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे पर्यावरण और छात्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।”

कैनवास के जूते मुख्य रूप से कपास और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बनाए जाते हैं, जो पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत कम हानिकारक होते हैं। अक्सर कहा जाता है कि छोटे-छोटे बदलाव भी बड़े स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और गोवा सरकार की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी कदम है। पर्यावरण संरक्षण को नीतियों से आगे बढ़कर दैनिक जीवन का हिस्सा बनाए जाने की ज़रूरत है और ऐसे फैसले स्कूली जीवन से ही छात्रों को पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाएंगे।

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