केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने क्यों की BJP के धुर विरोधी मुस्लिम लीग के सांसद की तारीफ?

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की विचारधारा पर आधारित BJP और मुस्लिम समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली IUML वैचारिक रूप से दो अलग-अलग ध्रुवों पर खड़ी हैं

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (बाएं) और IUML के सांसद अब्दुस्समद समदानी (दाएं)

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (बाएं) और IUML के सांसद अब्दुस्समद समदानी (दाएं)

भारतीय राजनीति में विरोधी विचाराधारा वाले दलों के बीच वैचारिक मतभेद और तकरार की खबरें तो अक्सर की आती हैं। लेकिन राजनीति की खूबसूरती यही है कि तमाम तकरार और कटुता के बीच भी मर्यादा व आपसी सम्मान बना रहता है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के बीच तनावपूर्ण संबंध की खबरें आपने खूब सुनी होंगी। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की विचारधारा पर आधारित BJP और मुस्लिम समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली IUML वैचारिक रूप से बेशक दो अलग-अलग ध्रुवों पर खड़ी हैं लेकिन अब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में मुस्लिम लीग के सांसद की तारीफ की है जिसके बाद राजनीतिक शुचिता की भी चर्चा हो रही है।

लोकसभा में मंगलवार (11 मार्च) को अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान केरल के पोन्नानी से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद डॉ. एम. पी. अब्दुस्समद समदानी ने अपने संबोधन के दौरान हिंदी में शायरी पढ़ीं। उनका मुख्य भाषण अंग्रेज़ी में ही था लेकिन बीच-बीच में उन्होंने हिंदी में शायरी पढ़ीं। अब्दुस्समद समदानी ने जो शायरियां पढ़ीं उनमें मिर्ज़ा गालिब की मशहूर ‘कोई उम्मीद बर नहीं आती, कोई सूरत नज़र नहीं आती’ भी शामिल थी। पिछले कुछ हफ्तों से भाषा को लेकर दक्षिण और उत्तर के बीच नया विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में अब्दुस्समद समदानी का हिंदी का इस्तेमाल कर दिया गया भाषण भाषाओं के बीच दूरी पाटने का प्रयास लगा और जब उन्होंने अपना भाषण खत्म किया, तो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उनकी तारीफ की।

पीयूष गोयल ने अब्दुस्समद समदानी से कहा, “मैं आपको बधाई देना चाहूंगा, जितनी अच्छी हिंदी में उन्होंने अपनी बात को रखा, शालीनता से रखा और एक प्रकार से दिखाया कि भारत एकता और एकजुटता का प्रतीक है।” उन्होंने आगे कहा, “केरल के मुस्लिम लीग के संसद में इतनी अच्छी हिंदी का प्रयोग किया, ऐसे ही शशि थरूर जी, सब लोग जो हिंदी का प्रयोग करते हैं, इससे कोई छोटा या बड़ा नहीं हो सकता है।” गोयल ने कहा, “बड़ा दुर्भाग्य है कि कुछ लोग (भाषा के नाम पर) बांटने की कोशिश करते हैं और देश में भाषा के नाम पर राजनीति करते हैं।”

इस दौरान पीठासीन कांग्रेस की सांसद कुमारी सैलजा ने पीयूष गोयल से कहा कि वह भी तमिल में बोल सकते हैं। इस पर पीयूष गोयल ने कहा कि अब कुछ ही दिनों की बात है अब तमिलनाडु में भी कमल का फूल खिलने वाला है और हम तमिल में भी बात करेंगे। पीयूष गोयल की इस बयान को इस तरह से भी देखा जाना चाहिए कि राजनीति में कटुता के बाद भी आपसी तालमेल बना रहना चाहिए। अक्सर बीजेपी पर राजनीतिक द्वेष बढ़ाने का आरोप लगाने वालों के लिए यह एक तरह से आईना भी है कि किस तरह समय आने पर BJP के नेता वैचारिक धुर विरोधियों की भी तारीफ करने से नहीं हिचकते हैं।

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