PM बनने के बाद पहली बार संघ मुख्यालय पहुंचे मोदी, कहा- RSS अमर संस्कृति का वट वृक्ष…स्वयंसेवक का जीवन निस्वार्थ

नरेंद्र मोदी RSS कार्यालय नागपुर

संघ के संस्थापक हेडगेवार को पुष्पांजलि देते पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (30 मार्च, 2025) को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। इस दौरान उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक ‘स्मृति मंदिर’ जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहनराव भागवत भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री के रूप में संघ मुख्यालय में यह मोदी की पहली यात्रा थी। इससे पहले, जुलाई 2013 में वे लोकसभा चुनाव से जुड़ी एक बैठक के लिए नागपुर गए थे। मोदी संघ मुख्यालय जाने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले 27 अगस्त 2000 को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए संघ कार्यालय की यात्रा की थी। 

इस दौरान PM मोदी ने भारत के इतिहास, भक्ति आंदोलन और उसमें संतों के योगदान, संघ की निस्वार्थ कार्यशैली, देश की प्रगति, युवाओं में धर्म-संस्कृति के प्रति जागरूकता, स्वास्थ्य सेवाओं के विकास, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ जैसे विषयों पर बात की।

उन्होंने संघ की प्रशंसा करते हुए कहा- सौ साल पहले राष्ट्रीय चेतना के लिए जो बीज संघ के रूप में बोया गया था, वह आज एक विशाल वट वृक्ष बनकर विश्व के सामने खड़ा है। यह भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को निरंतर शक्ति प्रदान कर रहा है। स्वयंसेवकों के लिए सेवा ही जीवन का मूल मंत्र है। हम ‘देव से देश’ और ‘राम से राष्ट्र’ के सूत्र को अपनाकर आगे बढ़ रहे हैं। इस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने संघ के ‘माधव नेत्रालय’ के विस्तार भवन की भी नींव रखी। 

क्या-क्या बोले PM मोदी:

इतिहास:

संघ मुख्यालय में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के इतिहास पर गौर करें तो इसमें बार-बार आक्रमणों का सिलसिला देखने को मिलता है। फिर भी, इन तमाम हमलों के बावजूद भारत की आत्मा कभी मरी नहीं, उसकी ज्योति हमेशा प्रज्वलित रही। सबसे चुनौतीपूर्ण समय में भी इस चेतना को जीवित रखने के लिए सामाजिक आंदोलनों का जन्म होता रहा, जिनमें भक्ति आंदोलन एक शानदार मिसाल है।

मध्यकाल के उस कठिन समय में संतों ने भक्ति के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को नई शक्ति दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव और संत ज्ञानेश्वर जैसे महापुरुषों ने अपने अनूठे विचारों से समाज में नई जान डाली। उन्होंने भेदभाव की दीवारों को तोड़ते हुए समाज को एकता के धागे में पिरोया

RSS की तारीफ:

स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

PM मोदी ने कहा कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है।

भारत अब वैश्विक सहायता का केंद्र:

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का सिद्धांत आज दुनिया के हर कोने में प्रतिध्वनित हो रहा है। कोविड जैसी वैश्विक महामारी के दौरान भारत ने पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हुए वैक्सीन की आपूर्ति की। चाहे दुनिया में कहीं प्राकृतिक आपदा आए, भारत हमेशा मदद के लिए तैयार रहता है।

जब म्यांमार में भूकंप आया, तो भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के जरिए तुरंत सहायता पहुंचाई। नेपाल में भूकंप हो या मालदीव में पानी का संकट, भारत ने बिना देरी किए राहत कार्य शुरू किया। युद्ध जैसी परिस्थितियों में भी भारत अन्य देशों के नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लाता है। आज भारत ग्लोबल साउथ की मजबूत आवाज बनकर उभरा है। विश्व में भाईचारे और सेवा की यह भावना हमारे संस्कारों का ही प्रतिबिंब है।

‘मैं नहीं तुम’:

PM मोदी ने यह भी कहा कि नया भारत स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ रहा है, गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर मैं नहीं, तुम और अहंकार नहीं, हमारा भाव सामने आ रहा है। जब प्रयासों में व्यक्तिगत स्वार्थ की जगह सामूहिक भावना आती है, जब राष्ट्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, और जब नीतियों व फैसलों में देशवासियों का कल्याण सबसे बड़ा लक्ष्य होता है, तब उसका असर और उसकी चमक हर ओर नजर आती है।

उन्होंने आगे कहा कि आज भारत उन जंजीरों को तोड़ रहा है, जो उसे जकड़े हुए थे। हम सभी देख रहे हैं कि भारत गुलामी की सोच और पुराने निशानों को पीछे छोड़कर कैसे आगे बढ़ रहा है। अब राष्ट्रीय गर्व के नए पन्ने लिखे जा रहे हैं। अंग्रेजों ने भारतीयों को दबाने के लिए जो कानून बनाए थे, उन्हें बदल दिया गया है। दंड संहिता की जगह अब भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुकी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि राजपथ अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाता है। यह महज नाम का बदलाव नहीं, बल्कि सोच में आए क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक है। हमारी नौसेना के झंडे से गुलामी का चिह्न हटाकर अब छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतीक को सम्मान दिया गया है। अंडमान द्वीप, जहां वीर सावरकर ने देश के लिए कष्ट सहे, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता का शंखनाद किया, अब उन द्वीपों के नाम आजादी के नायकों की स्मृति में रखे गए हैं। यह नया भारत गुलामी के बंधनों को पीछे छोड़कर राष्ट्रीय सम्मान की नई राह पर तेजी से बढ़ रहा है।

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