अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय शिक्षा विभाग को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो दक्षिणपंथी विचारधारा के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर यह स्पष्ट कर दिया कि उनका प्रशासन शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी राज्यों को सौंप देगा। व्हाइट हाउस में अपने संबोधन के दौरान ट्रंप ने साफ कहा, “हम इसे खत्म करने जा रहे हैं और जितनी जल्दी हो सके बंद कर देंगे।”
यह निर्णय दक्षिणपंथी नेताओं के लंबे समय से चले आ रहे एजेंडे को आगे बढ़ाने वाला कदम है, जिसमें वे मानते हैं कि संघीय सरकार को शिक्षा प्रणाली से पूरी तरह दूर रहना चाहिए। हालांकि ट्रम्प के इस शिक्षा विभाग को समाप्त करने वाले फरमान के बाद 4,200 कर्मचारियों की नौकरियों पर तलवार लटकती दिखाई दे रही है। यही नहीं इस आदेश के बाद 251 बिलियन डॉलर (₹20.83 लाख करोड़) के संघीय शिक्षा कार्यक्रमों पर भी असर पड़ेगा। यह कदम ट्रंप प्रशासन की अब तक की सबसे आक्रामक नीति मानी जा रही है, जो शिक्षा क्षेत्र को पूरी तरह राज्य सरकारों के नियंत्रण में लाने की दिशा में निर्णायक बदलाव ला सकता है।
4200 लोगों की नौकरी पर लटकी तलवार
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से 4200 कर्मचारियों की नौकरियों पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। पहले ही शिक्षा विभाग में आधे कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की जा चुकी थी, और अब इस नए आदेश के बाद हालात और गंभीर हो गए हैं। 251 बिलियन डॉलर (करीब 20.83 लाख करोड़ रुपये) के वार्षिक बजट वाले इस विभाग का मुख्य कार्य शिक्षा से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों और अनुदानों का संचालन करना था, लेकिन अब ट्रंप प्रशासन इसे पूरी तरह राज्यों को सौंपने के फैसले पर अडिग है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने अमेरिकी स्कूलों में घटती शैक्षिक दक्षता को लेकर शिक्षा विभाग की तीखी आलोचना की। उन्होंने साफ कहा कि यह विभाग अपना मूल काम सही तरीके से नहीं कर पा रहा है और यही वजह है कि उनका प्रशासन शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी राज्यों को लौटाने जा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पेल ग्रांट, टाइटल I, विकलांग और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए वित्तपोषण जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को पूरी तरह संरक्षित रखा जाएगा, लेकिन अब इनका प्रबंधन अन्य एजेंसियों और विभागों को सौंपा जाएगा।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को लेकर विरोध भी तेज हो गया है। कांग्रेसनल एशियन पैसिफिक अमेरिकन कॉकस की अध्यक्ष ग्रेस मेंग और शिक्षा टास्क फोर्स के प्रमुख मार्क ताकानो ने इसे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ किया गया विश्वासघात करार दिया। उनका आरोप है कि यह निर्णय अगली पीढ़ी को उन आवश्यक संसाधनों से वंचित करने के लिए लिया गया है, जिनकी उन्हें सफलता के लिए जरूरत थी, और इसका असली मकसद अरबपतियों को कर छूट का लाभ दिलाना है।
हालांकि, संघीय एजेंसियों को समाप्त करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक होती है। अगर ट्रंप वाकई शिक्षा विभाग को पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए कांग्रेस में विधायी प्रक्रिया से गुजरना होगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह कार्यकारी आदेश कितना प्रभावी साबित होता है और ट्रंप प्रशासन इसे किस तरह आगे बढ़ाता है।