‘राज्यसभा के लिए केजरीवाल ने चलवाए बुलडोजर’: केंद्र से चर्चा के बीच किसानों को भगाने के क्या हैं मायने?

पंजाब-हरियाणा बॉर्डर किसान आंदोलन

'राज्यसभा के लिए केजरीवाल ने चलवाए बुलडोजर': केंद्र से चर्चा के बीच किसानों को भगाने के क्या हैं मायने?

पंजाब के CM भगवंत मान हों या फिर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों ही खुद को सबसे बड़ा किसान हितैषी बताने में पीछे नहीं रहते। लेकिन अब हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर 13 महीने से आंदोलन कर रहे किसानों को जबरन हटा दिया गया है। कई किसान नेताओं को हिरासत में लेने के साथ ही आंदोलनकारियों द्वारा लगाए गए टेंट व अन्य निर्माण को बुलडोजर चलाकर हटा दिया गया। इससे पहले प्रशासन ने धरना स्थल की बिजली काट दी थी।

दरअसल, हरियाणा और पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बीते 13 महीने से किसान धरने पर बैठे हुए थे। लेकिन बुधवार (19 मार्च) की रात भगवंत मान सरकार के आदेश पर पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए दोनों ही बॉर्डर से आंदोलनकारियों को हटा दिया। इस कार्रवाई के बाद कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प की भी खबर सामने आई है।

पंजाब पुलिस 19 मार्च को शंभू और खनौरी बॉर्डर पहुंची थी। इसके बाद पुलिस धरने पर बैठे अधिकांश किसानों को वहां से जबरन उठाकर ले गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो पुलिस ने 200 से अधिक किसानों को हिरासत में लिया है। हालांकि हिरासत में लेने से पहले पुलिस ने किसानों को बसों में बैठकर वापस जाने और धरना खत्म करने के लिए कहा था। लेकिन जब किसान नहीं माने तो उन्हें जबरन वहां से हटा दिया गया।

इस दौरान पंजाब पुलिस के DIG मनदीप सिंह ने कहा कि पुलिस 3000 से अधिक है और तुम लोग (किसान) 200-300 ही हो। पुलिस यह जगह खाली कराकर ही रहेगी, चाहे कुछ भी हो जाए। DIG ने यह भी कहा कि कई किसान नेताओं को चंडीगढ़ में पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है।

पंजाब पुलिस ने किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह दल्लेवाल को भी हिरासत में लिया है। यह दोनों नेता ही इस धरने की अगुवाई कर रहे थे। पुलिस ने धरना देने वाले किसानों को गिरफ्तार करने के बाद सीमा पर बनाई गई झोपड़ियों और टेंट पर बुलडोजर चला दिया।

पंजाब पुलिस ने दोनों ही बॉर्डर पर आंदोलनकारियों द्वारा बनाए गए टेंट व अन्य निर्माण को हटा दिया है। इस कार्रवाई को लेकर पंजाब पुलिस के DIG हरमनबीर गिल ने कहा है कि यह आंदोलन अवैध था, पंजाब सरकार किसानों का लगातार सहयोग कर रही थी। फिर भी ये लोग बैठे हुए थे। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के चलते व्यापारियों और आम लोगों को परेशानी हो रही थी।

हालांकि इस मामले में नेटिज़न्स से लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों ले रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि पहले तो अरविंद केजरीवाल ने किसानों को केंद्र सरकार के खिलाफ भड़काया और यहां तक कि रसद समेत कई आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई। लेकिन अब जब पंजाब में किसान आंदोलन कर रहे हैं तो उनकी मदद करने और समस्याओं को दूर करने की बजाए बल प्रयोग कर किसानों को हटा दिया।

चूंकि किसानों को हटाने का पूरा काम रातों-रात हुआ है, ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि केजरीवाल ने राज्यसभा जाने का अपना रास्ता क्लियर करने के लिए पंजाब सरकार की मदद से धरने पर बैठे किसानों को हटवाया है। बेहद दिलचस्प बात यह है कि AAP की राज्यसभा सांसद स्वाती मलीवाल ने भी केजरीवाल पर इसी तरह के आरोप लगाए।

स्वाती मालीवाल ने एक्स (X) पर एक पोस्ट कर कहा,

किसानों पर देर रात हुए अत्याचार का मक़सद हाईवे खुलवाना नहीं, केजरीवाल के लिए राज्यसभा का रास्ता खोलने का है। केजरीवाल को लगता है ऐसा करने से लुधियाना का व्यापारी खुश होगा, चुनाव जीतेंगे और अरोड़ा की राज्यसभा सीट ख़ाली होगी। जब किसान दिल्ली में बैठे थे तब पंजाब में चुनाव भी आने वाले थे। उस समय किसानों को खुश करने के लिए केजरीवाल ने ख़ुद को सेवादार बताया था।”

 

उन्होंने आगे लिखा, “अब जब किसान पंजाब में बैठे हैं तो केजरीवाल ने आंदोलन को बातचीत से नहीं, ज़ोर-ज़ुल्म से ख़त्म करने का प्रयास किया। ऐसा दोहरा रवैया क्यों? वार्ता की जगह ऐसा तानाशाही मार्ग अपनाना केजरीवाल के ग़ुस्से और बदले की भावना का एक और उदाहरण है।”

 

Exit mobile version