मुस्लिमों को भड़काने में जुटी कांग्रेस!

राशिद अल्वी

राहुल गांधी और राशिद अल्वी

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश के मुस्लिमों को बरगलाने और भड़काने का काम तेजी से चल रहा है। अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद राशिद अल्वी ने मुस्लिमों को 2 साल तक सड़क जाम करने के लिए कह कर सीधा तौर पर लोगों को उकसाने की कोशिश की है। इससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी वक्फ विधेयक के विरोध में देश को ‘शाहीन बाग’ बनाने की धमकी दी थी।

क्या बोले राशिद अल्वी:

दरअसल, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की देश को ‘शाहीन बाग’ बनाने वाली धमकी को लेकर सवाल किया गया था। इस सवाल के जवाब में  राशिद अल्वी ने कहा है, “मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि हम देश में शाहीन बाग जैसा प्रदर्शन करेंगे। इसमें थोड़ी तबदीली कर लेनी चाहिए। प्रदर्शन करना सबका हक़ है। देश में लोकतंत्र है, भले ही नाम भर का है। लेकिन संविधान हक़ देता है कि विरोध करें।”

राशिद अल्वी ने मुस्लिमों को उकसाने के लहजे में कहा है, “जिस तरह देश के अंदर किसानों ने प्रदर्शन किया था। 2 साल तक सड़कें बंद कर रखी थी, 2-2 साल तक धरना दिया था। कहिए कि किसानों की तरह प्रदर्शन करेंगे।”

क्या बोला था मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड:

बता दें कि इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के मुस्लिमों को बरगलाकर भड़काने की कोशिश करते हुए कहा था कि सरकार मुस्लिमों की जमीन छीन लेगी। बोर्ड ने कहा था कि नए बिल में सरकार की भी एक एंट्री है। वह कोई भी हो सकता है, अब डीएम और कलेक्टर इस समस्याओं को हल करेंगे। इस तरह अब बहुत सारी प्रॉपर्टी सरकार ही ले लेगी। पहले हर दस साल के बाद वक्फ सर्वे कराता था, लेकिन अब ये डीएम कराएंगे। इस बिल के विरोध में आंदोलन होगा। अगर इसे शाहीन बाग जैसे आंदोलन समझें तो वैसा ही आंदोलन होगा।

आंदोलन के नाम पर हिंसा का है इतिहास 

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में सैकड़ों मुस्लिमों ने आंदोलन किया था। इस दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिमों को भड़काने के लिए कई तरह के बयान दिए थे। साथ ही कई महीनों तक सड़क जाम कर रखा था। शाहीन बाग के आंदोलन के दौरान कई हिंसक घटनाएं सामने आई थीं। यहां तक कि 30 जनवरी 2020 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास गोलीबारी में एक युवक घायल भी हो गया था।

इसके अलावा, कृषि कानूनों को लेकर 26 नवंबर 2020 से दिल्ली के कई स्थानों में आंदोलनजीवियों ने धरना दिया था। इस दौरान भी आंदोलनजीवियों ने कई जगहों पर सड़कें जाम कर रखीं थी। इस दौरान भी कई बार हिंसक घटनाएं हुई थीं। इतना ही नहीं, 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस पर लाल किले के पास आंदोलनजीवियों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। इस दौरान भी हिंसक घटना सामने आई थी। साथ ही लाल किले की दीवार में पेशाब करने से लेकर ‘खालसा झण्डा’ तक फहराया दिया था। इस दौरान ट्रैक्टर पलटने से एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। इस हिंसक घटना के चलते सरकार को करीब 560 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ था।

इन सबसे इतर, यदि बड़े दंगे की बात करें तो CAA को लेकर दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान ही फरवरी 2020 में उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे हुए थे। इन दंगों में कई पुलिसकर्मियों समेत 53 लोगों की मौत हो गई थी। इन सभी तथाकथित आंदोलनों और उसके बाद फैली हिंसा में एक बात कॉमन थी कि कांग्रेस इन सभी का समर्थन कर रही थी और कांग्रेस नेता हर बार लोगों को भड़काने की कोशिश में लगे हुए थे। इसी तरह अब भी वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी कांग्रेस ने लोगों को भड़काकर आंदोलनजीवियों को फिर से ‘जिंदा’ करने का माहौल बनाने का काम शुरू कर दिया है।

 

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