सिसोदिया को पंजाब, गोपाल को गुजरात लेकिन राघव चड्ढा के हाथ खाली! क्या केजरीवाल ने कर दिया साइडलाइन?

बड़े उलटफेर के पीछे क्या हैं असली मायने?

क्या केजरीवाल ने राघव चड्ढा को कर दिया साइडलाइन?

क्या केजरीवाल ने राघव चड्ढा को कर दिया साइडलाइन?

आम आदमी पार्टी (AAP) में शुक्रवार को हुए बड़े फेरबदल ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज को दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, जबकि गोपाल राय को हटाकर गुजरात का प्रभारी नियुक्त कर दिया गया। इसी तरह, पंजाब का प्रभार अब मनीष सिसोदिया को सौंपा गया है, जबकि सत्येंद्र जैन को उप-प्रभारी बनाया गया है। लेकिन इस बदलाव में सबसे ज्यादा चर्चा राघव चड्ढा के साइडलाइन किए जाने को लेकर हो रही है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब कुछ महीनों से ये कयास लगाए जा रहे थे कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद अरविंद केजरीवाल अब राघव चड्ढा की राज्यसभा सीट पर नजर गड़ा रहे हैं। हालांकि, चड्ढा ने इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन आज के इस बदलाव ने राजनीतिक चर्चाओं को और हवा दे दी है।

सियासी विश्लेषकों का मानना है कि यह संकेत है कि केजरीवाल पंजाब की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपनी ही पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को किनारे लगाने में जुटे हैं। पहले सिसोदिया और जैन के जेल जाने के बाद उनकी स्थिति कमजोर होती दिख रही थी, लेकिन अब जो बदलाव हो रहे हैं, वे यह दिखाते हैं कि वह संभावित विरोधियों को एक-एक कर किनारे कर रहे हैं। हालांकि, ये सभी बातें सिर्फ अटकलें भी हो सकती हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या AAP के अंदर दरारें गहरी हो रही हैं, या यह सिर्फ केजरीवाल की नई राजनीतिक रणनीति है?

राघव चड्ढा और केजरीवाल के बीच बढ़ते मतभेद

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद की चर्चाएं एक बार फिर जोर पकड़ रही हैं। लंबे समय से दोनों के बीच दरार की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब पंजाब चुनाव के को-इन-चार्ज पद से राघव चड्ढा की विदाई ने इस चर्चा को और हवा दे दी है।

इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब केजरीवाल की गिरफ्तारी पर राघव चड्ढा का रुख पूरी तरह से निष्क्रिय दिखा। 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली शराब नीति घोटाले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। इसके बाद AAP नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया, पार्टी के प्रमुख चेहरे— आतिशी, सौरभ भारद्वाज, संदीप पाठक और गोपाल राय मीडिया में लगातार बयानबाजी करते दिखे। यहां तक कि खुद सुनीता केजरीवाल भी चुनावी मंचों से भावुक अपील करते हुए नजर आईं। लेकिन इन सबके बीच राघव चड्ढा पूरी तरह से गायब रहे, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।

उनकी इस चुप्पी को लेकर सोशल मीडिया पर भी सवाल उठने लगे। क्या वह खुद को AAP की मौजूदा मुश्किलों से दूर रखना चाहते हैं? क्या उनके और कपार्टी आलाकमान के बीच मतभेद है? हालांकि, बाद में चड्ढा ने सफाई देते हुए कहा कि वह एक मेडिकल इमरजेंसी के चलते लंदन में थे। लेकिन अब पंजाब प्रभारी पद से हटाए जाने के बाद यह सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि क्या AAP में उनके लिए दरवाजे धीरे-धीरे बंद किए जा रहे हैं?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के अंदर सत्ता संतुलन तेजी से बदल रहा है। क्या केजरीवाल अब सिर्फ अपने वफादार नेताओं को ही अहम पद सौंप रहे हैं? क्या राघव चड्ढा को धीरे-धीरे हाशिए पर धकेला जा रहा है? हालांकि, इन सवालों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इतना साफ है कि यह घटनाक्रम AAP के भीतर गहराते सत्ता संघर्ष का संकेत जरूर दे रहा है।

‘आप’ ने किए कई बड़े बदलाव

आम आदमी पार्टी (AAP) में 21 मार्च को बड़े स्तर पर संगठनात्मक फेरबदल किया गया, जिसने पार्टी के अंदर बदलते समीकरणों को फिर से चर्चा में ला दिया है। आधिकारिक घोषणा के अनुसार, विभिन्न राज्यों में नए प्रभारियों की नियुक्ति की गई है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी नेतृत्व ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। गोवा में पंकज गुप्ता को प्रभारी बनाया गया है, जबकि अंकुश नारंग, आभाष चंदेला और दीपक सिंगला को सह-प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। गुजरात में गोपाल राय को प्रभारी नियुक्त किया गया है, और उनके साथ सह-प्रभारी के रूप में दुर्गेश पाठक को जगह मिली है।

सबसे बड़ा बदलाव पंजाब में देखने को मिला, जहां अब मनीष सिसोदिया को प्रभारी बनाया गया है, जबकि सत्येंद्र जैन को सह-प्रभारी नियुक्त किया गया है। वहीं, छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद और AAP के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक को सौंपी गई है। दिल्ली में सौरभ भारद्वाज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में यह पद मेहराज मलिक को दिया गया है।

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