नई दिल्ली: केंद्रीय गृह अमित शाह नक्सलियों के खात्मे की डेड लाइन बता चुके हैं। उन्होंने कई मौकों पर स्पष्ट तौर पर कहा है कि मार्च 2026 से पहले भारत नक्सलियों से मुक्त हो जाएगा। अपने इस दावे को लेकर अमित शाह ने कहा है कि सिर्फ सोच लेने से नक्सली खत्म नहीं होंगे। उन्होंने यह बयान पहले से किए गए काम के आधार पर दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार की नीतियों और सुरक्षा बलों के प्रयासों के चलते बीते 10 वर्षों में करीब 7500 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इसके अलावा उन्होंने राहुल गांधी को अर्बन नक्सली बताने पर भी बात की है।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘इंडिया टुडे’ को एक इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने नक्सल समस्या और इससे निपटने के तरीकों और सरकार के प्रयासों पर खुलकर बात की है। गृह मंत्री शाह ने कहा है कि साल 2019 में जब उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में पदभार संभाला तब उन्हें बताया गया था कि नक्सली या वामपंथी आतंकवाद का मुद्दा कश्मीर से भी बड़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि नक्सली नेपाल के पशुपतिनाथ से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक नक्सलियों ने एक तरह से ‘लाल आतंक का गलियारा’ बनाया हुआ था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने विकास को हिंसा से लड़ने का सबसे बड़ा तरीके के तौर पर उपयोग किया। इसके लिए चार चरण में रणनीति तैयार की गई।
गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि नक्सलियों के खात्मे के लिए पहले चरण में सीधे तौर पर भारी संख्या में पुलिस के साथ ही CAPF के जवान भी तैनात किए गए। इसके साथ ही जवानों को अधिक रेंज वाली आधुनिक असॉल्ट राइफल समेत अन्य तरह के आवश्यक हथियार उपलब्ध कराए गए। वहीं दूसरे चरण में नक्सल प्रभावित इलाकों में CAPF और पुलिस को एक साथ मिलाकर फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) के नाम से 302 नए शिविर स्थापित किए। इसके चलते नक्सली इलाका छोड़कर जाने को मजबूर हुए।
उन्होंने आगे कहा कि नक्सलियों द्वारा खाली किए गए इलाकों में पुलिस की मुस्तैदी को बढ़ाने के लिए पुलिस की तैनाती की। साथ ही साल 2014 से फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन कार्यक्रम का विस्तार किया। जहां पहले सिर्फ 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे, वहीं मोदी सरकार में 612 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इन सभी पुलिस स्टेशनों में हथियारों से लैस जवानों की तैनाती की गई।
अमित शाह ने यह भी कहा है कि सरकार की नीतियों और सुरक्षा बलों के प्रयास के चलते बीते 10 वर्षों में करीब 7,500 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। सरेंडर करने वाले कई नक्सली जिला रिजर्व गार्ड सहित पुलिस में भर्ती हो गए हैं। वे क्षेत्र के इलाके और नक्सली रणनीति को अच्छी तरह से जानते हैं और जवानों लिए बड़ी ताकत की तरह बन गए हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों का जिस तरह से उपयोग किया जा रहा है, वह एक बेहतरीन मॉडल की तरह है, इसका अध्ययन किया जाना चाहिए।
नक्सलियों की भर्ती के मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा, “ऐसे लोगों की पहचान करना बहुत मुश्किल है। पहचान तभी होती है जब कोई डिवाइस एजेंसियों के हाथ लग जाती है, जैसा कि महाराष्ट्र में हुआ था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी व्यक्ति दूर से नक्सलियों की भर्ती नहीं कर सकता, इसके लिए उसे गांवों में जाना होगा। हमने सुनिश्चित किया है कि नक्सली भर्ती के लिए गांवों में न जा सकें।”
राहुल गांधी को अर्बन नक्सली कहने को लेकर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, "मैंने कहा था कि वह (राहुल गांधी) जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं वह शहरी नक्सली की है।"