CPIM में दिग्गजों को Bye-Bye! करात दंपति की छुट्टी, इन्हें मिला मौका; सिद्धांतों पर सवाल क्यों?

CPIM के मदुरै अधिवेशन के फैसले सबके सामने आ गए हैं। पार्टी 75 की उम्र के कारण बुजुर्गों की छुट्टी कर दी है। हालांकि, एक नेता को इसमें छूट दी गई है।

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CPIM यानी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने पार्टी संगठन में कई बदलाव किए हैं। तमिलनाडु के मदुरै में आयोजित 24वीं पार्टी कांग्रेस में बड़े बदलावों की घोषणा की गई है। 6 अप्रैल 2025 को हुए अधिवेशन में केरल के वरिष्ठ नेता एमए बेबी को पार्टी का नया महासचिव चुन लिया गया है। प्रकाश करात और उनकी पत्नी ब्रिंदा करात जैसे कई बड़े और बुजुर्ग नेताओं को पार्टी ने सेंट्रल कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य बना दिया है। हालांकि, इसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को छूट दी गई है जिससे पार्टी की नीतियों पर भी सवाल उठने लगे हैं।

पिछले सितंबर में CPIM के तत्कालीन महासचिव सीताराम येचुरी के निधन के बाद प्रकाश करात अंतरिम रूप से पार्टी की कमान संभाल रहे थे। इसके बाद से ही पार्टी में चुनाव की मांग हो रही थी। इसके बाद अब पार्टी ने पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में बड़े बदलाव किए हैं। माना जा रहा है यह फैसला आने वाले चुनावों के मद्देनजर किया गया है।

केरल से दूसरा महासचिव

एमए बेबी यानी मरियम अलेक्जेंडर बेबी का जन्म 5 अप्रैल 1954 को केरल के कोल्लम में हुआ था। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे बेबी ने केरल स्टूडेंट्स फेडरेशन (KSF) के जरिए करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) बना ली। वो इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा, वे डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) के भी अध्यक्ष रहे। इन्हें पार्टी के पोलित ब्यूरो में साल 2012 में शामिल किया गया था। वे केरल से आने वाले दूसरे महासचिव हैं, इससे पहले ईएमएस नंबूदरीपाद इस पद पर रह चुके हैं।

पोलित ब्यूरो में बदलाव

CPI(M) ने पोलित ब्यूरो में बड़े बदलाव करते हुए कई दिग्गज नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया। प्रकाश करात और उनकी पत्नी ब्रिंदा करात को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसके साथ ही माणिक सरकार, सुभाषिनी अली, सूर्यकांत मिश्रा और जी. रामकृष्णन जैसे वरिष्ठ नेताओं को पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया है। इसके पीछे 75 साल की आयु सीमा वाला कारण बताया जा रहा है। हालांकि, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (79) को इस नियम से छूट दी गई है। खैर हटाए गए नेताओं को सेंट्रल कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

सिद्धांतों पर सवाल?

साल 2022 के कन्नूर अधिवेशन में तय हुआ था कि पोलित ब्यूरो के लिए 75 साल की आयु सीमा रखी जाएगा। यह नीति पार्टी में युवा नेतृत्व को मौका देने और पुरानी पीढ़ी को सम्मानजनक विदाई देने के लिए बनाई गई थी। इस अधिवेशन में ये साफ नजर भी आया लेकिन एक नेता को इसमें रिलैक्सेसन दिया गया। इससे पार्टी की दोहरी नीति भी उजागर होती है।

पोलित ब्यूरो में आठ नए चेहरे

– जितेंद्र चौधरी: त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष के नेता
– के. बालकृष्णन: तमिलनाडु के पूर्व CPM सचिव
– यू. वासुकी: तमिलनाडु की ट्रेड यूनियन नेता
– अमरा राम: राजस्थान के सीकर से लोकसभा सांसद
– श्रीदीप भट्टाचार्य: पश्चिम बंगाल के नेता
– विजू कृष्णन: ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) के महासचिव
– मरियम धावले: ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन्स एसोसिएशन की महासचिव
– आर. अरुण कुमार: पूर्व छात्र नेता

CPIM मान गई है की सेंट्रल इंडिया और उत्तर भारत में उसकी कोई खास जमीन नहीं है। इसी कारण तो उसने तमिलनाडू से दो नेताओं को पोलित ब्योरो में शामिल किया है। वहीं महिलाओं को स्थान देकर पार्टी अपने आप को समान व्यवहार वाला बताने की कोशिश कर रही है।

CPIM के संगठनात्मक बदलाव को पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। एमए बेबी के नेतृत्व में पार्टी आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है। खैर चुनावों में कथित अनियमितताओं और कॉरपोरेट फंडिंग के सवालों के बीच अब ये देखने वाली बात होगी की पार्टी बेबे के नेतृत्व में कहां तक पहुंच पाती है। हालांकि, एक बात तो क्लियर है कि भले ही कितने सिद्धांतों की बात के एक नेता के लिए 75 साल की आयुसीमा में छूट देना पार्टी के दोहरे रवैये को भी दिखाता है। राजनीति की अन्य खबरें के लिए यहां क्लिक करें…

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