Freedom Fighter Mangal Pandey Biography: कहानी शुरू होती है आज से करीब 168 साल पहले…संयुक्त प्रांत यानी आज के उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पड़ने वाले नगवा गांव में 19 जुलाई 1827 को एक लड़के का जन्म होता है। बच्चे के जन्म के साथ ही सरयुपारी ब्राह्मण दिवाकर पांडेय और मां का नाम अभय रानी पांडेय के घर में खुशी का माहौल था। चूंकि दिन मंगलवार का था पिता ने बेटे का नाम मंगल पांडे (Mangal Pandey) रखा। उन्हें क्या पता था उनका ये लड़का देश में आजादी की ऐसी ज्वाला जलाएगा जिससे कई सालों बाद देश को आजादी मिल जाएगी।
स्थानीय स्तर में बच्चे की शिक्षा दीक्षा कराई गई। धीरे-धीरे उनपर परिवार की जिम्मेदारी बढ़ने लगी। मंगल पांडे अब 22 साल के हो चुके थे। इसी कारण साल 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक के रूप में भर्ती होना पड़ा। उनका चयन बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की 34 बटालियन में हो गया। हालांकि, वो देश में अंग्रेजी की ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ थे पर परिवार की जिम्मेदारियां निभाने के लिए काम करते रहे।
अंग्रेजों ने खुद के पैर पर मारी कुल्हाड़ी
अंग्रेज धीरे-धीरे भारत में लोगों के बीच डर बैठाने और शासन चलाने के लिए आधुनिक हथियारों का प्रयोग करने लगे। ईस्ट इंडिया कंपनी 1857 के शुरुआत में नई बंदूकों में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली का प्रयोग होने लगा। हालांकि, इस प्रणाली में भी कारतूस भरने के लिए दांतों से काट कर खोलना पड़ता था। कारतूस को पानी और सीलन से बचाने के लिए चर्बी लगाई जाती थी। धीरे-धीरे इस प्रणाली का उपयोग सभी बाटालियमों में होने लगा। नई बंदूक और कारतूस बंगाल नेटिव इंफेंट्री पहुंच गई थी। इसी के साथ ये बात भी फैली की इसमें गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग किया गया है।
जब चर्बी वाले कारतूस सेना के पास आए तो उनके मन में आक्रोश और अंग्रेजों का डर भी घर करने लगा। सेना में कई सैनिक ब्राह्मण होने के बाद भी इसका विरोध नहीं कर पा रहे थे। हालांकि, मंगल पांडे को ये बात भाई नहीं। अंग्रेज सैनिकों को कारतूस की चर्बी को मुंह से काटने के लिए मजबूर करते थे। हालांकि, मंगल पांडे ने ऐसा करने से मना कर दिया। इससे अंग्रेज अधिकारी आग बबूला हो गई। कंपनी के ले सैनिक का काम करने वाले मंगल पांडे को हालात ने ब्रिटिश हुकूमत का दुश्मन बना दिया।
अंग्रेज अफसर को उड़ा, खुद को गोली मारी (Freedom Fighter Mangal Pandey)
मंगल पांडे पर इसके लिए दबाव बनाया जाने लगा। उन्होंने मना किया था उस समय का अंग्रेज अफसर हेयर काय गुस्से में तमतमाकर उनकी ओर बढ़ने लगा। उसे गुस्से में आते देख मंगल पांडे का भी गुस्सा भूट पड़ा और उन्होंने उस अफसर को वहीं पर ढ़ेर कर दिया। फिर क्या था अंग्रेज उनके दुश्मन बन गए। मंगल पांडे अपने धर्म और देश को बचाने के लिए सैनिकों में विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। उनको अंग्रेज गिरफ्तार कर पाते इससे पहले उन्होंने खुद को गोली मार ली। हालांकि, घाव गहरा नहीं था इस कारण वो अंग्रेजों के पकड़ में आ गए। अंग्रेजी सेना में मंगल पांडे को पकड़कर 6 अप्रैल 1857 को उनका कोर्ट मार्शल करा दिया।
10 दिन पहले फांसी पर चढ़ाया
Mangal Pandey Rebel: मंगल पांडे को लेकर सेना कोर्ट पहुंची। जब उनसे पूछा गया कि क्या विद्रोह करते समय आप नशे में थे। इस का जवाब मंगल पांडे ने सीना तान कर दिया औ बोले ‘पनी मर्जी से विद्रोह किया था और किसी ने उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया था। मैंने किसी तरह का नशा भी नहीं किया था।’ पांडे की ये बात सुनकर वहां मौजूद सैनिकों में भी जोश भर गया। 6 अप्रैल 1857 को सेना की अदालत ने आदेश दिया कि मंगल पांडे को 18 अप्रैल को फांसी पर लटका दिया था।
बगावत को बनाया आम
खबर फैलते देर नहीं लगी। धीरे-धीरे ये घटना उत्तर प्रदेश के सभी इलाकों में पहुंच गई। मेरठ में भी सैनिकों ने विरोध करना शुरू कर दिया। बंगाल में सैनिक पहले से ही आग बबूला था। अब अंग्रेजों के कान खड़े हो गए। नतीजा ये हुआ कि उन्होंने मंगल पांडे को तय तारीख के 10 दिन पहले ही यानी 8 अप्रैल को उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। जैसे ही मंगल पांडे के शहादत की खबर आम हुई। देश में जगह-जगह क्रांति की आग जलने लगी। इसी कारण मंगल पांडे को देश का पहला बागी कहा जाता है।
व्यर्थ नहीं गई मंगल पांडे की कुर्बानी (First Rebel Mangal Pandey)
मंगल पांडेय की कुर्बानी (Mangal Pandey Sacrifice) व्यर्थ नहीं गई। उनकी मृत्यु ने अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि आने वाला दौर उन्हें मुश्किल में डालने वाला है। उन्हें फांसे देने के ठीक एक महीने बाद 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी में भी कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में बगावत हुई। फिर तो देश में ये खबर आम हो गईं। इसी आंदोलन से देश में अंग्रेजों की जड़ें कमजोर होने लगी थी और इसी आंदोलन के बाद भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से ब्रिटिश सरकार को चला गया और आखिर कार 90 साल बाद देश आजाद हो गया।