मुस्लिम लीग के निशाने पर राहुल-प्रियंका; वक्फ से किनारा दुविधा या सुविधा?

IUML On Waqf Bill: वक्फ बिल पर राहुल और प्रियंका गांधी के रुख पर मुस्लिम लीग के मुखपत्र ने निशाना साधा है। आइये जानें आखिर क्यों दोनों नेताओं ने बिल से दूरी बनाई?

IUML Targets Rahul Priyanka On Waqf Bill

IUML Targets Rahul Priyanka On Waqf Bill

IUML On Waqf Bill: देश में लंबे समय से वक्फ बोर्ड में हो रहे बदलावों की मांग के बाद मोदी सरकार ने संसद में वक्फ संशोधन विधेयक-2025 के जरिए इसमें संशोधन कर दिया। लोकसभा और राज्य सभा में हुई घंटों की बहस के बाद बिल को लेकर मतदान हुए और सरकार के पक्ष में बहुमत मिला। इसके बाद से ही देश में वक्फ बोर्ड और बिल को लेकर चर्चा हो रही है। कई मुस्लिम संगठन इसके लिए सरकार का समर्थन कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस समेत कुछ दल इसके खिलाफ कोर्ट में पहुंच गए हैं। हालांकि, इस पूरे दौर में सबसे खास बात ये है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी बिल पर हो रही चर्चा के दौरान सदन से नदारद नजर आए। अब वो इसके लिए अब वो मुस्लिम लीग के निशाने पर आ गए हैं।

2-3 अप्रैल को लंबी बहस के बाद लोकसभा से बिल (Waqf Bill) पास हुआ। देर रात इसके लिए मतदान कराया गया। चर्चा के दौरान राहुल गांधी सदन से गायब रहे। राहुल गांधी वोटिंग के समय संसद पहुंचे। हालांकि, इसके ठीक बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को लेकर पेश हुए प्रस्ताव में चर्चा होने से पहले वो चले गए। इसे लेकर वो सोशल मीडिया में ट्रोलिंग का शिकार बन रहे थे। वहीं उनके रवैये को लेकर वो देश में बड़ी संख्या में लोगों के निशाने पर बने रहे।

मुस्लिम लीग ने भाई-बहन को घेरा

सोशल मीडिया में इस बिल के पक्ष और विरोध में लोग अभी भी खड़े हैं। कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने तो इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी है। इस बीच IUML (इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) समर्थित मलयालम दैनिक ‘सुप्रभातम’ ने शुक्रवार संपादकीय में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को निशाने पर लिया है। संपादकीय में दोनों नेताओं से तंज भरा सवाल किए गया है कि जब वक्फ कानून (Waqf Bill) जैसे गंभीर विषय पर बहस हो रही थी, तब वे दोनों कहां थे? अखबार ने प्रियंका की अनुपस्थिति को “एक दाग” करार दिया है। इतना ही नहीं अखबार में वायनाड की जनता की ओर से लिखा गया कि ये सवाल प्रियंका से हमेशा किया जाता रहेगा।

ऑनलाइन आपत्ति पर संसद में नहीं बोले

लोकसभा में बुधवार को जब वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस हो रही थी। उस समय नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर इसे “मुसलमानों को हाशिये पर डालने का हथियार” बताया। हालांकि, इसके उलट उन्होंने संसद में इस मुद्दे पर कोई भाषण नहीं दिया। बहस के दौरान भी वह चुप रहे।

इसके बावजूद उनकी पार्टी उनके बचाव में उतरी और बोली कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि पार्टी ने दोनों सदनों में विधेयक का विरोध किया है और मतदान में भी भाग लिया। “राहुल गांधी ने भले ही भाषण न दिया हो, लेकिन वह मौजूद थे। पब्लिक डोमेन में मौजूद खबरों के अनुसार, प्रियंका गांधी एक बीमार रिश्तेदार के इलाज के लिए अमेरिका में थीं। इस संबंध में उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और पार्टी को पहले ही सूचित कर दिया था।

राहुल-प्रियंका का रुख मुखर क्यों नहीं?

हमेशा मुसलमान-मुसलमान करने और बात-बात पर संविधान को जेब में लेकर घूमने वाले गांधी परिवार दोनों वारिस सवालों के घेरे में है। उनसे सवाल पूछना भी लाजमी है कि आखिर वो कहां थे? जब मुसलमानों के लिए इतना महत्वपूर्ण फैसला हो रहा था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल और प्रियंका गांधी को पार्टी की ओर से ही ये सलाह दी गई थी। उन्हें कहा गया था कि पुराने वक्फ कानून का मुखर समर्थन न करें। क्योंकि इससे बहस करने से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। इससे कांग्रेस को हिंदू वोटों का नुकसान होगा।

ये वजहें बैकफुट पर ले गईं

– कांग्रेस के शासनकाल में वक्फ कानून में विवादित संशोधन किए गए थे। इन्हीं संशोधनों ने अब पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी की है। खासकर कानून की धारा-40 ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसमें वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति को “वक्फ” घोषित करने का अधिकार था मिल गया था।

– इसके साथ ही UPA सरकार के आखिरी दिनों में दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ के हवाले कर दी गईं थी। इतना ही नहीं देशभर में 5,673 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित कर दिया गया था। ASI की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस दौर में 132 संरक्षित स्मारकों पर भी वक्फ ने दावा किया था।

– केरल में वक्फ बोर्ड ने 600 से अधिक ईसाई और कुछ हिंदू परिवार की जमीन पर दावा किया है। इनके पास रजिस्टर्ड पट्टे और भूमि कर रसीदे भी है। हालांकि, वक्फ कानून के कारण उन्हें अभी तक राहत नहीं मिल पाई। केरल में 2026 में चुनाव होने हैं। राज्य में बड़ी संख्या में ईसाई हैं। इस कारण भी कांग्रेस ने इस बिल से दूरी बनाए रखी।

– वक्फ ट्रिब्यूनलों में लंबित 40,951 संपत्ति विवादों में से 9,942 केस खुद मुसलमानों ने किया है। ऐसे में ये तय है कि वक्फ की कार्यप्रणाली से पिछडे मुसलमान भी नाराज हैं। इस कारण वो संशोधनों का समर्थन कर रहे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका इनसे नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते हैं।

रणनीतिक था फैसला

कुल मिलाकर एक बात तो साफ है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने वक्फ संशोधन (Waqf Bill) पर रणनीतिक तरीके से चुप्पी साधी थी। कांग्रेस को एक बात साफ है कि अतीत में किए उसके काम आज उसे निशाने पर ले सकते हैं। वक्फ बिल का समर्थन और विरोध दोनों ही उसके लिए घाटे का सौदा हो सकता था। इसी कारण दोनों भाई बहन दुविधा में थे और दोनों ने दुविधा में ही सही पर आलोचना से भरा फैसला लिया।

Exit mobile version