West Bengal Update: पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून का विरोध धीरे-धीरे पर हिंदुओं के खिलाफ एक आंदोलन या यूं कहें कि हमले का बहाना बन गया। यहां जमकर हिंसा हुई। हिंदुओं के घर जला दिए गए। पानी की टंकी में जहर तक मिला दिया गया। हिंसाग्रस्त मुर्शिदाबाद (Murshidabad Violence) में 2 लोगों की हत्या तक कर दी गई। इस पूरे माजरे में ममता सरकार की चुप्पी और मौन समर्थन ने उन्हें सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। लेकिन, अब ये ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला है। प्रदेश में बिगड़ रहे हालातों को लेकर राज्यपाल ने सरकार के मना करने के बाद भी मालदा का दौरा किया है। उनके पीछे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग की टीम भी मुर्शिदाबाद और मालदा का दौरा कर रही है। कई नेता और संगठनों में सरकार के खिलाफ आक्रोश इस कदर बढ़ है कि तेजी से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन (President Rule In West Bengal) की मांग हो रही है।
कैसा रहा टाइमलाइन?
देश में वक्फ कानून बनने के बाद पश्चिम बंगाल में 8 अप्रैल को हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में कानून लागू नहीं होगा। 10 अप्रैल को पुलिस एक्शन में आई और 22 लोगों को गिरफ्तार किया। अगले ही रोज 11 अप्रैल को प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया। 12 तारीख को धुलियाान में दो हिंदुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इसके बाद पलायन का दौर शुरू हो गया है। इसके बाद भी 16 अप्रैल को ममता बनर्जी (Mamata Banerjee After Murshidabad Violence) इमामों संग मीटिंग कर उन्हें भरोसे में लेती हैं और 17 तारीख को हिंसा पर अपनी रिपोर्ट पेश कर देती हैं।
अब राज्यपाल (West Bengal Governor) हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं। उनके पीछे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और महिला आयोग (NCW) की टीम भी मालदा, मुर्शिदाबाद का दौरा कर रही हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद और मिथुन चक्रवर्ती समेत कई नेताओं ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग कर दी है।
मालदा पहुंचे राज्यपाल
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस मालदा पहुंच गए। इससे पहले उनसे सरकार ने अपील की थी कि वो वहां न जाएं। हालांकि, उन्होंने ममता सरकार की एक न सुनी। दौरे के बाद राज्यपाल बोस ने कहा कि उन्होंने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की है। उनकी शिकायतों को समझा है। राज्यपाल से कई महिलाएं मिली जिन्होंने बताया कि उनको धमकाया गया है। बदमाशों ने घरों में घुसकर मारपीट की है और अपशब्दों का प्रयोग किया है।
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राज्यपाल ने ममता सरकार की मनाही पर कहा कि हिंसाग्रस्त इलाकों का जायज़ा लेना, राहत शिविरों में लोगों से मिलना मेरा कर्तव्य है। कानून व्यवस्था का हालचाल जानना होगा। हिंसा की जड़ों तक पहुंचकर उनका इलाज करना होगा। राज्यपाल ने अपने दौरे के बाद रिपोर्ट बनाकर केंद्र को भेजने की बात भी कही है।
NCW और NHRC का दौरा
राज्यपाल वहां पहुंचे तो उनके पीछे-पीछे राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भी मालदा और मुर्शिदाबाद (NCW In West Bengal) में दौरा करने के लिए पहुंच गई। दूसरी तरफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC In West Bengal) की टीम बंगाल के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर रही है। दोनों टीमें जमीनी हालात देख रही हैं। अपने दौरे के बाद ये अपनी-अपनी रिपोर्ट बनाएंगी और सरकार को सौंपेंगी।
शुक्रवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर ने मालद में मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद शरण ले चुके परिवारों से मुलाकात की। इसके बाद शनिवार को वो महिला आयोग की टीम के साथ मुर्शिदाबाद पहुंची। यहां उनसे हिंसा प्रभावित कई महिलाओं ने भेंट की। उनके दौरे के दौरान आई तस्वीरों ने आंखों में आंसू ला दिए। विजया राहटकर जैसे ही महिलाओं के पास पहुंची वो बिलख पड़ीं। महिला आयोग ने तीन सदस्यों की कमेटी बना दी है तो हिंसा के दौरान महिलाओं को निशाने बनाने की जांच करेगी।
नेताओं और संगठनों में आक्रोश
प्रदेश में उपजे हालातों के बाद लोगों में ममता सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है। विश्व हिंदू परिषद ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग को बुलंद कर रही है। परिषद अपनी इस मांग के लिए प्रदर्शन की बात कर रही है। वहीं कई नेताओं ने भी ममता सरकार के खिलाफ आक्रोश दिखाया है। बीजेपी नेता और एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने भी राष्ट्रपति शासन की मांग की है।
मिथुन चक्रवर्ती ने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि मैं केंद्र सरकार से कई बार बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की विनती कर चुका हूं। अब फिर से कर रहा हूं। राष्ट्रपति शासन नहीं भी लगता है तो कम से कम से कम 2 महीने के लिए पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती जरूरी है। चक्रवर्ती ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यहां बिना सेना के फेयर चुनाव नहीं हो सकते हैं।
क्या लग जाएगा राष्ट्रपति शासन?
बंगाल में हुए तांडव के बाद तृणमूल नेता सेना को भी निशाने पर ले रहे हैं। कोई भी हिंसा और हिंसा करने वालें के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रहा है। इस पूरे मामले में ममता सरकार और उनकी पुलिस नाकाम होती नजर आ रही है। ऐसे में राज्यपाल एक्शन में आ गए हैं। NCW और NHRC की टीम राज्य के हालातों पर रिपोर्ट बना रही है। वहीं प्रदेश से राष्ट्रपति शासन की मांग तेजी से उठने लगी है। पूरे मामले में ममता सरकार किसी भी पक्ष में जाने लायक नहीं बच रही है। अब देखना होगा क्या वाकई में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन (President Rule In West Bengal) लगता है या हालात जल्द काबू हो जाते हैं।