‘नेशनल हेराल्ड घोटाले’ से जुड़ी वो बातें जो आपको पता होनी चाहिए

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य लोगों के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया है। कांग्रेस ने इसे बदले की कार्रवाई बताते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुधवार (16 अप्रैल) को दिल्ली में कार्यालय पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है और पार्टी देशभर में प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही है। नेशनल हेराल्ड से जुड़ा यह कानूनी विवाद एक दशक से भी अधिक पुराना है जिसमें कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।

क्या है नेशनल हेराल्ड से जुड़ा ‘घोटाला’?

1938 में आज़ादी के आंदोलन के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजी अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ की शुरुआत की थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी इनका प्रकाशन करती थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) एक समय देश के प्रमुख समाचार प्रकाशकों में से था, जिसने नेशनल हेरल्ड (अंग्रेजी), कौमी आवाज़ (उर्दू) और नवजीवन (हिंदी) जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों को प्रकाशित किया था। ये अखबार स्वतंत्रता के आंदोलन की आवाज़ माने जाते थे और भारतीय राजनीति व समाज को दिशा देने में इनकी अहम भूमिका रही थी

साल 1942 में ये अंग्रेजों को खटकने लगा और इस अखबार पर बैन लगा दिया गया। हालांकि, 3 साल बाद बैन हट गया। AJL ने 2008 में आर्थिक तंगी के कारण ‘नेशनल हेराल्ड’ का प्रकाशन रोक दिया। इसके बाद 2010 में कांग्रेस ने AJL को अलग-अलग समय में कुल मिलाकर 90 करोड़ रुपये बतौर कर्ज दिए। जबकि, द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1950 के मुताबिक कोई राजनीतिक पार्टी किसी को कर्ज नहीं दे सकती।

नवंबर 2010 में नई गैर-लाभकारी कंपनी ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना हुई और कांग्रेस के विश्वस्त सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग इसके निदेशक बन गए। AJL ने यंग इंडियन को 50 लाख रुपए दिए जिसके बदले उसका 90 करोड़ का कर्ज माफ हो गया। साथ ही, AJL के सारे शेयर भी यंग इंडियन के पास चले गए। दिसंबर 2010 में राहुल गांधी और जनवरी 2011 में सोनिया गांधी को यंग इंडियन के बोर्ड में शामिल हो गए और उनके नाम कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर कर दिए गए।

2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस डील को ‘घोटाला’ बताते हुए कोर्ट में केस किया। उनका आरोप था कि ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने सिर्फ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये हड़पने की कोशिश की जो नियमों के खिलाफ थी। AJL के अधिकांश पुराने शेयर धारकों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि यंग इंडियन और AJL की संपत्तियों से फर्जी दान, एडवांस किराया और विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई। इन आरोपों के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ भी हुई थी। कुछ दिनों पहले ED ने AJL की 700 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अटैच कर कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की थी।

कोर्ट में कब-कब हुई सुनवाई?

2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के बाद 2014 में ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई शुरू की थी यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा लेकिन गांधी परिवार को इस मामले में कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली-

2014 में ट्रायल कोर्ट का समन

26 जून 2014 को ट्रायल कोर्ट ने डॉ. स्वामी की शिकायत के आधार पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत नई कंपनी में निदेशक बनाए गए सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा को पेश होने का समन भेजा था। कोर्ट ने 7 अगस्त 2014 को ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ के सभी निदेशकों को अपने सामने पेश होने का निर्देश दिया था।

2015 में हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ट्रायल कोर्ट के समन के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था और समन रद्द करने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने 7 दिसंबर 2015 को कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी और दोनों नेताओं को ट्रायल कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था। कोर्ट ने इस मामले में ‘संदिग्ध आचरण’ को लेकर तल्ख टिप्पणियां कीं और कहा कि आपराधिक कार्यवाही को प्रारंभिक चरण में रोका नहीं जा सकता है। इसके बाद सोनिया-राहुल निचली अदालत में पेश हुए जहां से उन्हें ज़मानत मिल गई।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

इसके बाद सोनिया और राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सोनिया-राहुल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि यह मामला रद्द किया जाए और अंतरिम राहत के तौर पर पटियाला हाउस अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाई जाए। 12 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों को कोर्ट में पेशी से छूट दे दी लेकिन ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया

IT की जांच को मिली कोर्ट से मंज़ूरी

इसके बाद आयकर विभाग ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2011–12 के लिए सोनिया और राहुल गांधी के टैक्स असेसमेंट को फिर से खोलने का निर्णय लिया। विभाग का आरोप था कि AJL अधिग्रहण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाई गईं। यंग इंडिया ने आयकर जांच को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, मई 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में आयकर विभाग को जांच जारी रखने की अनुमति दे दी

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा IT का मामला

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और टैक्स असेसमेंट को फिर से खोलने का फैसला रद्द करने की मांग की। जिसके बाद दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और ऑस्कर फर्नाडीज के 2011-12 के टैक्स दस्तावेज की दोबारा जांच की मंज़ूरी दे दी।

गांधी परिवार को IT का 100 करोड़ रुपए का नोटिस

जनवरी 2019 में आयकर विभाग ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा था और उन्हें 100 करोड़ रुपए चुकाने को कहा था। आयकर विभाग ने कहा था कि गांधी परिवार ने 300 करोड़ रुपए की आय छिपाई थी। सोनिया गांधी पर 155.4 करोड़ रुपए और राहुल गांधी पर 155 करोड़ रुपए की आय कम दिखाने के आरोप लगे थे

ED की जांच और चार्जशीट

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच 2021 में जब शुरू की जब 2014 में दिल्ली की एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने स्वामी की शिकायत पर संज्ञान लिया था। जांच के दौरान ED ने पाया कि यंग इंडियन कंपनी ने नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से अपने नियंत्रण में लिया जिससे करीब 988 करोड़ रुपये की ‘अपराध से अर्जित आय’ मिली। इस सिलसिले में ED ने 2023 में कार्रवाई करते हुए 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां और 90.2 करोड़ रुपये के AJL के शेयर अटैच किए थे। अब अप्रैल 2025 में ED ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में आधिकारिक रूप से चार्जशीट दाखिल कर दी है।

ED ने चार्जशीट में क्या कहा?

ED ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप दायर किए हैं। इसमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 बताया गया है। ईडी ने PMLA की धारा 3 के तहत धन शोधन का अपराध करने के लिए धारा 44 और 45 के साथ-साथ कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों से निपटने वाली धारा 70 को भी लागू किया है जिसके तहत फर्मों के पदाधिकारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा सके। ED ने PMLA की धारा 4 के तहत आरोपियों के लिए सजा की मांग की है जिसमें सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडियन कंपनी के प्रमुख लोगों के साथ मिलकर करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्जा जमाने के लिए एक ‘आपराधिक साजिश’ रची थी। ईडी ने 2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन आदेश का हवाला देते हुए इस पूरे मामले की बुनियाद रखी है। ED के मुताबिक, यह साजिश इस तरह से रची गई कि AJL के 99 प्रतिशत शेयर महज 50 लाख रुपये में यंग इंडियन नाम की एक निजी कंपनी को ट्रांसफर कर दिए गए। यंग इंडियन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की हिस्सेदारी 38-38% है जबकि बाकी 24% दिवंगत मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास थी, जिन्हें ईडी ने गांधी परिवार का ‘करीबी सहयोगी’ बताया है।

आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस ने जो 90.21 करोड़ रुपये का कर्ज AJL को दिया था उसे मात्र 9.02 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर में तब्दील कर दिया गया और बाद में यही शेयर यंग इंडियन को सौंप दिए गए। ईडी का दावा है कि इस प्रक्रिया ने सोनिया और राहुल गांधी को AJL की बहुमूल्य संपत्तियों पर ‘लाभकारी स्वामित्व’ दिला दिया। ED का यह भी आरोप है कि इस पूरे लेन-देन के ज़रिए 414 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी हुई है।

Exit mobile version