‘नॉर्थ बनाम साउथ’ की राजनीति को लेकर अमित शाह का स्टालिन पर करारा प्रहार, बोले- अपना भ्रष्टाचार छिपा रहे हैं

परिसीमन पर साउथ की चिंता पर शाह का जवाब

शाह ने स्टालिन को घेरा

शाह ने स्टालिन को घेरा (image Source: google)

तमिलनाडु में साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अभी से राज्य की राजनीति में हलचल तेज़ हो चुकी है। सत्ता में बैठी स्टालिन सरकार अब चुनावी मैदान में ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ की राजनीति को हथियार बनाकर उतरने की तैयारी में है। परिसीमन के मुद्दे को बहाना बनाकर, DMK एक बार फिर क्षेत्रीय भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है। इसी पृष्ठभूमि में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को ‘राइजिंग भारत समिट 2025’ के मंच से स्टालिन सरकार पर सीधा हमला बोला है।

उन्होंने दो टूक कहा कि DMK ‘नॉर्थ बनाम साउथ’ जैसा नैरेटिव गढ़कर अपने भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाना चाहती है। शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने फिलहाल न तो कोई परिसीमन आयोग गठित किया है, और न ही इस दिशा में कोई प्रक्रिया शुरू हुई है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या हिमाचल प्रदेश में, जहाँ कांग्रेस की सरकार है, वहाँ परिसीमन हो रहा है? नहीं। फिर तमिलनाडु में ही इतना हल्ला क्यों?” कारण साफ है- वहां रैंपेंट करप्शन है।

दक्षिण भारत को शाह का आश्वासन

‘राइजिंग भारत समिट 2025’ के मंच से जहां एक ओर अमित शाह ने स्टालिन सरकार पर करारा हमला बोला, वहीं दक्षिण भारत की जनता को परिसीमन को लेकर भरोसा भी दिलाया। केंद्रीय गृह मंत्री ने साफ कहा कि भविष्य में अगर परिसीमन होता भी है, तो लोकसभा सीटों की संख्या आबादी के अनुपात यानी प्रो-राटा आधार पर ही बनी रहेगी।

उन्होंने आगे कहा, “मैं दक्षिण भारत की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि बीजेपी किसी के साथ अन्याय नहीं करेगी। सीटों का बंटवारा पूरी तरह से प्रो राटा आधार पर ही होगा। लेकिन अगर DMK यह बेबुनियाद शोर मचाना बंद कर दे, तो उन्हें भ्रष्टाचार और परिवारवाद जैसे सवालों का सामना करना पड़ेगा — और यही वह करने से बच रहे हैं।”

शाह ने यह भी साफ किया कि परिसीमन आयोग कानून के तहत ही बनता है। पहले संसद में बिल लाया जाएगा, उस पर बहस होगी और संभव है कि उसे संसदीय समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने सवाल किया, “तो जब तक यह प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है, अभी से इतना हंगामा क्यों?”

शाह ने स्टालिन सरकार पर निशाना साधते हुए पूंछा, “क्या केंद्र सरकार ने अभी कोई परिसीमन आयोग गठित किया है? क्या किसी सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति हुई है? नहीं। तो फिर तमिलनाडु में इस मुद्दे को बार-बार उछालने का मकसद क्या है? यह जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने की साज़िश है।”

यही नहीं इस दौरान स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे गए ज्ञापन पर प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने कहा, “DMK सिर्फ लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। जब उनसे भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर सवाल पूछे जाते हैं, तो वो जवाब देने से बचते हैं और भावनात्मक मुद्दों की आड़ में छिप जाते हैं।”

 

भाषा विवाद पर भी बोले शाह 

परिसीमन पर विपक्ष को जवाब देने के बाद, अमित शाह ने भाषा विवाद पर भी तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, “मैं खुद हिंदी भाषी नहीं हूं, मैं गुजराती हूं। फिर भी विपक्ष मुझे हिंदी थोपने वाला कहता है। यह झूठ है।”

शाह ने साफ किया कि मोदी सरकार का उद्देश्य किसी एक भाषा को थोपना नहीं, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं को समान सम्मान देना है। उन्होंने कहा, “हमने सरकारी परीक्षाएं क्षेत्रीय भाषाओं में कराईं, और अब इंजीनियरिंग-मेडिकल जैसी तकनीकी पढ़ाई भी क्षेत्रीय भाषाओं में संभव हो पाई है। ये ऐतिहासिक बदलाव हैं जो पहले कभी नहीं हुए।”

अमित शाह ने यहां तक कहा कि, “कांग्रेस की सरकारों ने ही अंग्रेज़ी और हिंदी को बाकी भाषाओं पर थोपा था। आज वही लोग भाषाई समानता की बातें कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अब केंद्र में ऐसी सरकार है जो भारतीय भाषाओं को उनका वास्तविक गौरव लौटाना चाहती है।”

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