पहलगाम हमला: BBC ने आतंकियों को लिखा ‘लड़ाका’, अब भारत सरकार ने लिया यह एक्शन

बीबीसी के एक लेख में पहलगाम आतंकी हमले को 'उग्रवादी हमला' बताया गया था।

भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर BBC की कवरेज को लेकर तीखी नाराज़गी जाहिर की है। बीबीसी के एक लेख जिसका शीर्षक था ‘पाकिस्तान ने कश्मीर में पर्यटकों पर हुए घातक हमले के बाद भारतीयों के लिए वीज़ा निलंबित किया’ में इस आतंकी हमले को ‘उग्रवादी हमला’ बताया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने बीबीसी के भारत प्रमुख जैकी मार्टिन को एक पत्र लिखकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की है। सोशल मीडिया पर भी BBC की इस खबर को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की गई थीं और लोग BBC के खिलाफ लगातार कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

BBC का लेख

रिपोर्ट्स के अनुसार, विदेश मंत्रालय के विदेश प्रचार विभाग ने स्पष्ट किया कि जैकी मार्टिन को देश की ‘मजबूत भावनाओं’ से अवगत करा दिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि बीबीसी की ओर से आतंकी हमले को ‘उग्रवादी हमला’ कहना न केवल गलत है, बल्कि यह भारत की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भी है। पहलगाम हमले के बाद देशभर में गुस्सा है और इस तरह की रिपोर्टिंग को लेकर भी लोगों में नाराज़गी है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि वह भविष्य में BBC की भारत में कवरेज पर कड़ी नजर रखेगी।

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए इस आतंकी हमले में कम-से-कम 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पहले लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी लेकिन बाद में वो मुकर गया था। भारत सरकार ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को और सीमित करते हुए कई कड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित करना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं बंद करना शामिल है। साथ ही, सरकार ने पाकिस्तान के कम-से-कम 16 यूट्यूब चैनल्स को भी बैन कर दिया है

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ को भी लताड़ चुका है अमेरिका

इससे पहले इस कायराना आतंकवादी हमले की रिपोर्टिंग के लिए अमेरिकी सरकार ने न्यूयॉर्क टाइम्स को लताड़ लगाई थी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने रिपोर्ट में इसे आतंकी हमला न कहकर इसे ‘मिलिटेंट’ अटैक बताया था। अमेरिकी सरकार की विदेश मामलों की समिति ने सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर न्यूयॉर्क टाइम्स के आर्टिकल की आलोचना करते हुए इसे ‘वास्तविकता से दूर’ बताया था।

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