जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता सस्पेंड करने जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके बाद पाकिस्तान में बौखलाहट है और वहां नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NCS) की बैठक बुलाई गई है जिसमें कई फैसले लिए गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद के कदमों को लेकर चर्चा की गई है। इस बैठक में भारत द्वारा सिंधु जल समझौता सस्पेंड करने को ‘युद्ध की कार्रवाई’ बताया है। वहीं, पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौता को सस्पेंड कर दिया है।
सिंधु समझौते पर क्या बोला पाकिस्तान?
पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि सस्पेंड करने को खारिज किया है। पाकिस्तान ने इसे बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता बताया है। पाकिस्तान ने कहा, “24 करोड़ लोगों के लिए एक जीवन रेखा है और इसकी उपलब्धता को हर कीमत पर सुरक्षित रखा जाएगा। सिंधु जल संधि के अनुसार पाकिस्तान के पानी के प्रवाह को रोकने या मोड़ने और निचले तटवर्ती क्षेत्र के अधिकारों के अतिक्रमण के किसी भी प्रयास को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और राष्ट्रीय शक्ति के पूरे स्पेक्ट्रम में पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा।”
पाकिस्तान ने और क्या कार्रवाई की?
पाकिस्तान अखबार ‘द डॉन’ ने कहा कि पाक सरकार ने 1972 के शिमला समझौते को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर पोस्ट को भी बंद करने का एलान किया है। पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों को जारी किए गए SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत सभी वीजा निलंबित कर दिए हैं। पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया है। इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के कर्मियों की संख्या 30 अप्रैल तक 30 करने को कहा है।साथ ही, भारत के स्वामित्व वाली या भारतीय संचालित सभी एयरलाइनों के लिए पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा और पाकिस्तान के माध्यम से किसी भी तीसरे देश से भारत के साथ सभी व्यापार को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान और उसके सशस्त्र बल किसी भी दुस्साहस के खिलाफ अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार हैं। पाकिस्तानी शांति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन किसी को भी अपनी संप्रभुता, सुरक्षा, सम्मान और उनके अविभाज्य अधिकारों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देगा।
क्या है शिमला समझौता?
मार्च 1971 में भारत ने सैन्य हस्तक्षेप कर पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना दिया था, जहां पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और भारत ने 90 हजार से अधिक युद्धबंदियों को पकड़ा जिनमें ज़्यादातर सैनिक थे। इसके करीब 16 महीने बाद 2 जुलाई 1972 को शिमला में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने ‘शिमला समझौते’ पर दस्तखत किए थे। इसमें दोनों देशों ने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और रिश्तों में सुधार लाने की प्रतिबद्धता जताई थी।
शिमला समझौते ने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों से हटाकर द्विपक्षीय दायरे में लाकर भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता दिलाई। इससे तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की संभावना खत्म हुई और दक्षिण एशिया में स्थिरता बढ़ी। युद्धविराम और नियंत्रण रेखा की स्थापना ने सैन्य तनाव को रोका। 1971 के युद्ध और इस समझौते ने भारत को क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया था।