पाकिस्तान के जनरल मुनीर ने उगला जहर, जिन्ना की रूह बेचैन क्यों है? ‘टू-नेशन थ्योरी’ पर भारत बोला- POK तो खाली करना पड़ेगा

अब्बा का खयाल भूले जनरल मुनीर ने रहमत अली की आवाज में 'टू-नेशन-थ्योरी' की बात दोहराई है। हिंदुओं के खिलाफ बोलते हुए उन्होंने कश्मीर पर नजर ऊंची की जिसपर भारत ने POK खाली करने की बात कही है।

Asim Munir Two Nation Theory

Asim Munir Two Nation Theory

इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी सम्मेलन में जनरल असीम मुनीर ने नफरत की ऐसी आग उगली कि पाकिस्तान की नींव रखने वाले मुहम्मद अली जिन्ना के दावे ही धुआं-धुआं हो गए। जिन्ना ने 1947 में वादा किया था कि पाकिस्तान भले ही मुस्लिम मुल्क होगा लेकिन हिंदुओं से भेदभाव नहीं होगा। मगर 75 साल बाद उनके ही जनरल मुनीर कह रहे हैं कि हम हिंदुओं से बिल्कुल अलग हैं। कश्मीर को ‘गले की नस’ बताकर वो भारत को आंख दिखा रहे हैं। वहीं टू-नेशन थ्योरी की बात कह कर अपने आकाओं की सियासत चमकाने में लगे हैं। खैर हम मुनीर की क्या ही बात करें जब ‘पाकिस्तान’ शब्द का उदय और उसपर अधिकार ही विवादों पर रहा है। आइये जानें क्या है असीम मुनीर का बयान और कैसे बना पाकिस्तान?

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने इस्लामाबाद में आयोजित पहले ओवरसीज पाकिस्तानी सम्मेलन में बुधवार को कश्मीर और ‘दो राष्ट्र सिद्धांत’ पर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की नींव ‘कलमे’ पर रखी गई है और उनकी सोच हर मामले में हिंदुओं से अलग है। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान की ‘गले की नस’ है और पाकिस्तान अपने कश्मीरी भाइयों को उनके ‘संघर्ष’ में अकेला नहीं छोड़ेगा।

पाकिस्तान में लिखी जा रही नफरत भरी तकरीर

मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान की कहानी अपने बच्चों को सुनाओ, हमारा धर्म, रीति-रिवाज, सोच सब हिंदुओं से अलग है। पाकिस्तान अल्लाह की रहमत है। हमारा देश मदीना के 1300 साल बाद कलमे पर बना दुनिया का एकमात्र मुल्क है। लेकिन सवाल ये है कि क्या मुनीर 1971 भूल गए जब मुस्लिम बांग्लादेश के अलग होने के साथ ही उनकी टू-नेशन थ्योरी भी फेल हो गई थी। आज उनकी इस नफरत भरी तकरीर ने पाकिस्तान की अपनी जमीन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका ये बयान न सिर्फ हिंदुओं को ठेस पहुंचा रहा है। बल्कि, उस पाकिस्तानी आवाम को भी इससे ठेस पहुंची होगी जो अमन के साथ अपने देश में रहना चाहता है।

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जनरल असीम मुनीर जब इस्लामाबाद के चमचमाते हॉल में टू-नेशन थ्योरी का झंडा लेकर खड़े थे, तब शायद उन्हें यह याद नहीं रहा कि पाकिस्तान की नींव रखने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने कराची में खड़े होकर कहा था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को वही अधिकार मिलेंगे जो बहुसंख्यकों को हैं। लेकिन, मुनीर साहब शायद जिन्ना नहीं, रहमत अली और गुलाम हसन शाह काजमी की तरह सोचते हैं जिसने पाकिस्तान का नाम गढ़ा और इसे एक ‘कलमा’ से बनी रियासत कहा था।

भारत ने कड़ी आपत्ति जताई

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के कश्मीर और ‘टू नेशन थ्योरी’ को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को हर हाल में इसे खाली करना होगा। जम्मू और कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। इस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है।

इतिहास के पन्नों में दफन ‘टू नेशन थ्योरी’

जनरल मुनीर के ‘टू नेशन थ्योरी’ को लेकर दिए गए बयान पर भी भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जायसवाल ने कहा कि यह सिद्धांत 1971 में बांग्लादेश की आजादी के साथ ही पूरी तरह से खारिज हो चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जहां सभी धर्मों के लोग शांति और सद्भाव से रहते हैं।

पाकिस्तान के नाम का भी क्रेडिट बंटा

पाकिस्तान नाम सबसे पहले एक कश्मीरी पत्रकार गुलाम हसन शाह काजमी ने 1928 में इस्तेमाल किया था। यानी पाकिस्तान के बनने से 19 साल पहले। काजमी ने न सिर्फ इस नाम को जन्म दिया, बल्कि इसे एक अखबार के जरिए दुनिया के सामने लाने की कोशिश की। 1 जुलाई 1928 को काजमी ने एबटाबाद में उर्दू साप्ताहिक अखबार शुरू करने के लिए अर्जी दी थी। इसका नाम उन्होंने ‘पाकिस्तान’ रखा था। हालांकि, इसकी शुरूआत 1936 में हो पाई। इसे ही पहली बार पाकिस्तान शब्द का आधिकारिक रूप माना जाता है। अखबार ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाया। 1937 में फ्रंटियर प्रोविंस के चुनाव के बाद 1938 में ‘पाकिस्तान’ की कहानी खत्म हो गई।

सियासी रूप से साल 1930 के आसपास चौधरी रहमत अली के दिमाग में अलग मुस्लिम देश बनाने का आइडिया आया। इसके लिए उसने ‘नाउ एंड नेवर’ नाम एक बुकलेट प्रकाशित बुकलेट की थी। 1933 में रहमत अली ने लंदन ने ब्रिटिश और भारतीय प्रतिनिधियों के सामने अलग देश की बात रखकर पाकिस्तान नेशनल मूवमेंट की शुरुआत कर दी थी। बाद में इस अभियान को जिन्ना ने संभाल लिया और वो पाकिस्तान के जनक बन गए। हालांकि, रहमत अली के विचार जिन्ना से नहीं मिलते थे जिस कारण बाद में उन्हें पाकिस्तान से निकाल दिया गया।

आंख दिखाने की गुस्ताखी

अब्बा की विरासत भुलाकर जनरल मुनीर जहरीले बीज बो रहे हैं। कलमा से बने पाकिस्तान की बात करते हुए मुनीर ने जिन्ना ने पाकिस्तान को ठेंगा दिखाया है। अलग देश बनने के 75 साल बाद पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को ये एहसास दिलाया जा रहा है कि वो दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। इस्लामाबाद में दिए गए जनरल मुनीर के इस बयान ने पाकिस्तान के भविष्य पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं वो कश्मीर को ‘गले की नस’ बताकर भारत को आंख दिखाने की गुस्ताखी कर रहे हैं।

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