राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आनुषांकि संगठन संस्कृत भारती ने दिल्ली संस्कृत अकादमी के सहयोग से राष्ट्रीय राजधानी में 1,008 मुफ्त ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ आयोजित करने की घोषणा की है। इसे ‘सांस्कृतिक पुनर्जागरण’ का नाम दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के 58 कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के परिसर में कम से कम दो शिविर आयोजित किए जाएंगे। 23 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले ‘संस्कृत संभाषण शिविर अभियान’ के लिए विद्यालयों, कॉलेजों और मंदिरों समेत अन्य स्थानों का चयन किया गया है। ये संस्कृत शिविर पूरी तरह मुफ्त होंगे और कोई भी शख्स इसमें शामिल हो सकेगा।
इन शिविरों का आयोजन RWA की सोसाइटी बिल्डिंग्स, आश्रम, धर्मशालाएं, आर्य समाज और सनातन धर्म के मंदिर या पारंपरिक गुरुकुलों में किया जाएगा। ‘संस्कृत भारती’ द्वारा शुरू की जा रही इस पहल का उद्देश्य संस्कृत को फिर से लोगों की रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बनाना है। इसके लिए हर शिविर में भाग लेने वाले लोगों को 10 दिनों में हर रोज़ 2 घंटे यानी कुल 20 घंटे तक संवाद शैली में संस्कृत सिखाई जाएगी। लेकिन ये सिर्फ भाषा की पढ़ाई नहीं होगी। इन शिविरों में संस्कृत के माध्यम से हमारे भारतीय जीवन मूल्यों, नैतिकता, परिवार की अहमियत और समाज के सिद्धांतों को भी सिखाया जाएगा जिसके जरिए लोग अपनी जड़ों से फिर से जुड़ सकें।
संस्कृत भारती ने 1990 के दशक के मध्य में अपनी शाखा की शुरुआत की थी जो वर्षभर शैक्षणिक गतिविधियां का संचालन करती है। संस्कृत भारती के संगठन मंत्री जय प्रकाश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन शिविरों का मकसद संस्कृत को फिर से आम लोगों की भाषा बनाना और भारतीय संस्कृति से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की भाषा है और हमारी संस्कृति को बचाने के लिए संस्कृत भाषा को बचाना जरूरी है। इस दौरान उन्होंने बताया कि कक्षाओं के लिए पंजीकरण करने के लिए 9220915556 पर मिस्ड कॉल दे सकता है। उन्होंने संस्कृत से जुड़ी भ्रांतियों को मिटाने का आग्रह किया है। इस दौरान दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा और संस्कृत भारती के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष वागेश भट्ट और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी मौजूद रहे।
कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देश पर यह तय हुआ है कि संस्कृत अकादमी इसमें सहयोग करेगी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के समापन के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे और इस कार्यक्रम में 25-30 हजार लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। मिश्रा ने विश्वास जताया है कि जल्द ही संस्कृत फिर से अपना पुराना वैभव हासिल कर लेगी। वहीं, मनोज तिवारी ने संस्कृत को भारतीय संस्कृति और दर्शन का आधार बताते हुए कहा कि इन शिविरों में अधिक से अधिक लोग शामिल हों।