लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा यह संगठन, जिसने पहले 26 निर्दोषों की नृशंस हत्या की जिम्मेदारी ली थी, अब हमले के चार दिन बाद पूरी तरह पलटी मार चुका है। TRF ने ताजा बयान में दावा किया है कि उनका डिजिटल प्लेटफॉर्म हैक कर लिया गया था और जिम्मेदारी लेने वाला संदेश किसी और ने डाला था।
रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा, ” हमारा पहलगाम की घटना से कोई लेना-देना नहीं है। वह इस हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हैं।” वहीं सूत्रों की मानें तो भारतीय एजेंसियों की सख़्ती के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के दबाव में TRF को अपना बयान बदलना पड़ा। पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से भारतीय सेना ने घाटी में आक्रामक और निर्णायक रवैया अपनाया और चुन चुन कर आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया जा रहा है, सर्च ऑपरेशन तेज़ करना और संगठनों की रीढ़ तोड़ने की दिशा में ठोस कदम उठाना उसने TRF जैसे संगठनों की नींद उड़ा दी है।
ऑडियो क्लिप भी की जारी
पहलगाम नरसंहार के बाद भारतीय सेना के प्रचंड और रौद्र रूप ने आतंकी संगठनों में हड़कंप मचा दिया है। सेना ने हमले के बाद से अब तक 6 आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है, साथ ही घाटी में 4 जगहों पर मुठभेड़ें भी हो चुकी हैं और अभियान अभी भी लगातार जारी है। इसी दबाव और दहशत के माहौल के बीच लश्कर से जुड़े आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) ने 25 अप्रैल, 2025 को शाम को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
TRF ने अपने बयान में दावा किया कि पहलगाम हमले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप न केवल गलत हैं, बल्कि यह कश्मीरी प्रतिरोध आंदोलन को बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिश है। TRF ने यह भी आरोप लगाया कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म को हैक कर लिया गया था, और उसी के जरिए ‘अनधिकृत’ तौर पर एक ऐसा संदेश पोस्ट किया गया जिसमें हमले की जिम्मेदारी ली गई थी। संगठन ने अपनी सफाई को और मजबूत करने के लिए एक ऑडियो क्लिप भी जारी की, जिसमें उन्होंने इस बात को दोहराया कि उनका इस कायराना हमले से कोई नाता नहीं है।
TRF पर लगाया बैन
गौर करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में ही TRF को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया था। TRF पर कश्मीरी युवाओं को बहला-फुसलाकर आतंकवादी गतिविधियों में धकेलने, आतंकियों की भर्ती कराने, घुसपैठ में मदद करने और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों तथा नशीले पदार्थों की तस्करी कराने जैसे संगीन आरोप साबित हुए थे। गृह मंत्रालय ने आतंकवाद को बढ़ावा देने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के चलते TRF को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत “आतंकवादी संगठन” घोषित किया था।