आजादी के समय से ही नेशनल हेराल्ड में शुरू हो चुकी थी ‘उगाही’, सरदार पटेल ने की थी रिश्वत की शिकायत; बड़ौदा के महाराज से लिए थे ₹2 लाख

नेशनल हेराल्ड उगाही

नेहरू थे PM रहते नेशनल हेराल्ड के जरिए चल रही थी 'उगाही' (फ़ोटो साभार: Britannica)

नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े 998 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई लोगों पर चार्जशीट यानी आरोप पत्र दाखिल दिया है। इस मामले में, सोनिया और राहुल समेत लंबे समय से जमानत पर हैं। नेशनल हेराल्ड में कार्रवाई अब भले ही तेज हुई हो और आरोपित सामने आए हों, लेकिन सच्चाई यह है कि अखबार शुरू होने के बाद से ही इसके जरिए उगाही करने की कोशिशें शुरू हो चुकी थीं।

नेहरू थे नेशनल हेराल्ड के सर्वेसर्वा:

दरअसल, 5 हजार से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान से जवाहर लाल नेहरू ने 9 सितंबर 1938 को नेशनल हेराल्ड नामक अखबार शुरू किया था। अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं हिन्दी में ‘नवजीवन’, अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज’ के नाम से होता था। इसका संचालन एसोसिएट जर्नल यानी AGL करता था। लेकिन इसके सर्वेसर्वा जवाहर नेहरू थे और उनके इशारे पर ही नेशनल हेराल्ड चला करता था।

बड़ौदा महाराज से ली थी 2 लाख की रिश्वत:

जवाहर लाल नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई ने ‘रेमिनिसेंस ऑफ़ नेहरू एज’ नामक पुस्तक लिखी है। इसमें उन्होंने नेहरू से जुड़ी यादों को लेकर विस्तार से लिखा है। साथ ही लिखा है कि नेहरू के करीबी रहे तत्कालीन कृषि मंत्री रफी अहमद किदवई ने बड़ौदा के महाराजा से 2 लाख रुपए की उगाही की थी। इस मामले में सरदार पटेल ने नेहरू से शिकायत की थी, लेकिन इसके बाद भी उगाही की राशि वापस नहीं की गई।

इसी पुस्तक के पेज नंबर 87 में मथाई लिखते हैं, “जब राज्य मंत्रालय बड़ौदा के महाराजा प्रताप सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर रहा था, तब रफी ने उनसे संपर्क किया और नेशनल हेराल्ड के लिए 2 लाख रुपये ले लिए।”

मथाई की पुस्तक का चित्र

मथाई ने आगे लिखा है, “इसकी जानकारी सरदार पटेल ने नेहरू को दी। नेहरू ने तुरंत रफी को पत्र लिखकर पैसे लौटाने को कहा। रफी ने जवाब दिया कि उन्होंने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AGL) के मैनेजिंग डायरेक्टर फिरोज गांधी को राशि लौटाने के लिए कह दिया है। लेकिन सच्चाई यह है कि वास्तव में रफी ने ऐसा कुछ नहीं किया। यह बेहद हास्यास्पद था कि जब रफी किदवई महाराजा प्रताप सिंह से पैसों के लेन-देन की बात कर रहे थे, उसी दौरान वे नेहरू से कह रहे थे कि वी.पी. मेनन (IASव राज्य मंत्रालय में तत्कालीन सचिव) ने महाराजा से कई लाख रुपये रिश्वत के रूप में लिए थे।”

गौरतलब है कि सरदार पटेल ने जवाहर लाल नेहरू को चिट्ठी लिखी और कहा कि मुझे इस विषय पर आपत्ति है कि यह स्वतंत्रता सेनानी का अखबार था। इससे सरकारी लोग जुड़े हैं। एक अन्य पत्र में सरदार पटेल ने लिखा था, जिसमें वो इसे चैरिटी का विषय नहीं मानते। वहीं जवाहर लाल नेहरू सरदार पटेल को पत्र लिखते हैं और वह हेराल्ड को गुड बिजनेस बताते हैं और इसमें निवेश को बेहतर बताते हैं।

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