9 अप्रैल से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेशानुसार अमेरिका दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने जा रहा है और इस फैसले ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की जमीन हिला दी है। जहां एक तरफ ट्रम्प के इस फैसले के कारण दुनियाभर के बाज़ारों में अनिश्चितता का माहौल है वहीं इस बीच अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और टैरिफ पर हो रही बयानबाजी ने एक नए ट्रेड वॉर की आहट को भी और तेज़ कर दिया है। दरअसल, रविवार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘पीपल्स डेली’ के ज़रिए चीन ने दुनिया को साफ संदेश दिया, “अमेरिकी टैरिफ का असर होगा, लेकिन इससे आसमान नहीं गिरेगा।” इसका जवाब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सोमवार को सोशल मीडिया के ज़रिए दिया और चेतावनी दी कि अगर चीन 34% टैरिफ को वापस नहीं लेता, तो बुधवार से उस पर 50% अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
ट्रम्प की इस धमकी पर चीन ने फिर से पलटवार करते हुए इसे एक गलती के ऊपर दूसरी गलती कहकर अमेरिका पर निशाना साधा है। इस बयानबाज़ी ने वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर की संभावनाओं को भी हवा दे दी है। जहां यह स्थिति वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए खतरे की घंटी है, वहीं भारत के लिए यह वही घड़ी है जिसे हम ‘आपदा में अवसर’ कह सकते हैं। अब सवाल यह है कि इस उथल-पुथल वाले माहौल में भारत किस तरह से अपने लिए राह निकाल सकता है? आइए, समझते हैं इस ट्रेड वॉर के गहरे मायने और भारत के लिए छुपे हुए संभावित फायदे क्या हैं?
चीन बनाम अमेरिका
बीते रविवार चीन ने एक बेहद स्पष्ट शब्दों में अमेरिका को जवाब देते हुए कहा, ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन न सिर्फ तैयार है, बल्कि और मजबूत बनकर उभरेगा। इसके साथ ही सरकारी अख़बार ‘पीपल्स डेली’ ने साफ शब्दों में कहा कि ‘अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन ‘आसमान नहीं गिरेगा।’ यही नहीं इसके साथ ही चीन ने ये भी याद दिलाया कि 2017 में जब अमेरिका ने ट्रेड वॉर की शुरुआत की थी, तब से अब तक वो न सिर्फ दबाव झेलता रहा, बल्कि लगातार विकास भी करता रहा है। चीन ने कहा, ‘जितना ज़्यादा दबाव आता है, हम उतने ही मज़बूत बनते हैं।’
चीन के इस तेवर का जवाब अमेरिका ने भी उसी अंदाज़ में दिया। सोमवार को ट्रम्प ने सीधे-सीधे चेतावनी देते हुए कहा, ‘जो भी देश अमेरिका के खिलाफ कदम उठाएगा, उसे नए और और भी भारी टैरिफ का सामना करना होगा। उन्होंने ये भी साफ किया कि चीन के साथ होने वाली बातचीत अब रोक दी जाएगी, और अमेरिका अब उन देशों के साथ बात करेगा जो गंभीरता दिखा रहे हैं।’
इतना ही नहीं, ट्रम्प ने बाइडेन सरकार को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि ग्लोबल मार्केट की गिरावट के बावजूद अमेरिका में महंगाई नहीं है। साथ ही, उन्होंने पुराने अमेरिकी नेताओं की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इन्हीं की वजह से चीन जैसे देशों ने अमेरिका का भरपूर फायदा उठाया।
वहीं अमेरिका द्वारा दी गई इस धमकी पर फिर से पलटवार करते हुए चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वे अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ अंत तक लड़ाई लड़ेंगे। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन पर और टैरिफ लगाने की धमकी एक गलती के ऊपर दूसरी गलती होगी।
भारत के लिए: आपदा में अवसर की संभावना
वर्तमान परिस्थितियों और दोनों आर्थिक महाशक्तियों की बयानबाज़ी को देखते हुए यह स्पष्ट है कि एक पूर्ण ट्रेड वॉर की आशंका अब केवल सैद्धांतिक नहीं रही बल्कि वास्तविकता के बेहद करीब है। यदि यह संघर्ष गहराता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। महंगाई, आपूर्ति शृंखला में अवरोध और व्यापार असंतुलन जैसे परिणाम लगभग तय माने जा रहे हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार इस संभावित संकट पर बारीकी से निगाह बनाए हुए है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हालात पर सतत मॉनिटरिंग चल रही है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि चीन अमेरिका के टैरिफ से बचने के लिए अपने सस्ते उत्पाद भारत जैसे उभरते बाजारों में डंप कर सकता है। इससे भारतीय लघु एवं मध्यम उद्यमों और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को गहरी चोट पहुंच सकती है। इसे रोकने के लिए सरकार पहले से नीतिगत तैयारियों में जुटी है।
लेकिन, इस पूरे परिदृश्य को यदि दूसरे दृष्टिकोण से देखा जाए तो यही संकट भारत के लिए ‘आपदा में अवसर’ जैसा क्षण भी बन सकता है। भारत के अमेरिका और चीन दोनों के साथ व्यापारिक संबंध हैं। भले ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है, फिर भी दोनों देशों के बीच उल्लेखनीय व्यापारिक लेन-देन होता रहा है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत को निर्यात के नए अवसर मिल सकते हैं। अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाए जाने से वे उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे जिससे चीन की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता प्रभावित होगी। ऐसे में भारत, एक भरोसेमंद और अपेक्षाकृत सस्ता विकल्प बनकर उभर सकता है।
उधर, चीन भी अमेरिका से बड़े पैमाने पर कृषि उत्पाद (जैसे सोयाबीन, मक्का) और औद्योगिक सामान आयात करता है। यदि चीन इन पर जवाबी टैरिफ लगाता है, तो इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी और चीन को नए आपूर्तिकर्ता की आवश्यकता पड़ेगी। यहां भी भारत के लिए संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं।हालांकि, यह अवसर बिना जोखिम के नहीं है। यदि वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध लंबा चलता है, तो भारत भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएगा। परंतु एक सकारात्मक संकेत यह है कि यदि अमेरिकी या चीनी बाजारों में अनिश्चितता बढ़ती है, तो विदेशी निवेशक भारत जैसे स्थिर और संभावनाओं से भरे बाजार की ओर रुख कर सकते हैं। इससे भारतीय इकॉनमी मिलने की पूरी सम्भावना है।