पश्चिम बंगाल में कट्टरपंथी आतंक मचाते हुए हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। मजहबी भीड़ हिंदुओं के साथ मारपीट कर उनके घरों पर आग लगा रही है। ऐसे में लोग घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं। इतना ही नहीं, लोगों के घरों में मौजूद पानी की टंकियों में जहर मिलाया जा रहा है। मजहबी भीड़ के हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिसकर्मियों समेत 50 से अधिक लोग घायल हैं। मुर्शिदाबाद
वक्फ संशोधन कानून का विरोध करने के नाम पर जुमे की नमाज के बाद 11 अप्रैल 2025 को भड़की हिंसा के चलते मुर्शिदाबाद के हजारों हिंदू परिवार प्रभावित हुए हैं। पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात और हिंसा के चलते हिंदुओं की स्थिति को लेकर दैनिक भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट की है। इसमें सामने आया है कि मुस्लिमों की हिंसा के चलते हिंदू घर छोड़कर भाग रहे हैं।
इनमें से एक रिया भी हैं, जो मुर्शिदाबाद से नाव लेकर करीब 140 किलोमीटर दूर मालदा जा रहीं हैं, “सरकार ने वक्फ बिल पास किया है, उसी वजह से मुसलमान हम पर जुल्म कर रहे हैं। हमारे घर तोड़ दिए। हमें बाहर निकाला और घरों में आग लगा दी। मेरे गले पर चाकू रख दिया। मैं किसी तरह बचकर निकल आई।”
इसी तरह जयंत दास भी परिवार के साथ घर छोड़कर निकल चुके हैं। उन्होंने कहा है, “यहां मुस्लिम बहुत परेशान कर रहे हैं। हमारा घर तोड़ दिया गया है। कोई सामान नहीं छोड़ा। अब हमें नहीं पता कि कैसे रहेंगे। पुलिस पूछताछ करने आती है, लेकिन अभी हम यहां से जा रहे हैं।”
मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज में मजहबी भीड़ ने 65 साल के हरगोविंद दास और उनके 35 साल के बेटे चंदन दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। दोनों हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाकर किसी तरह घर चलाते थे। मजहबी भीड़ की हिंसा का शिकार बने चंदन की चचेरी बहन शरबानी दास कहती हैं, “यह सब चार घंटे चला था। बम फटने की आवाजें आ रही थीं। हमारे घर में चार बच्चे, मैं, चंदन और ताऊजी थे। हम लोग घर में छिपे हुए थे। तभी भीड़ आई और ताऊ को बाहर खींचकर ले गई। चंदन उन्हें बचाने गया। दंगाइयों ने दोनों को मार दिया। उनका गला काट दिया।”
गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार, मुर्शिदाबाद में 66% मुस्लिम आबादी है। मुर्शिदाबाद में लोकसभा की 3 सीटें हैं, तीनों TMC के पास हैं। विधानसभा में मुर्शिदाबाद से चुने गए 22 में से 20 विधायक TMC के हैं। पुलिस प्रशासन राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। पीड़ितों का कहना है कि हिंसा के दौरान पुलिस मौजूद नहीं थी, जिन इलाकों में थी भी तो अपनी जान बचाकर भागती हुई नजर आई थी।