राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत इन दिनों 5 दिवसीय प्रवास पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचे हुए हैं और आज (7 अप्रैल) शाम को वह लखनऊ रवाना हो जाएंगे। वाराणसी मे मोहन भागवत ने कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है। इस प्रवास के दौरान उन्होंने संघ की सांगठनिक संरचना को सशक्त करने और राष्ट्रवादी सोच वाले अधिक से अधिक युवाओं को संघ से जोड़ने पर ज़ोर दिया। अपने इस प्रवास के दौरान वह मलदहिया के लाजपत नगर पार्क की शाखा में भी पहुंचे थे। इस शाखा में उन्होंने स्वयंसेवकों के कई सवालों के जवाब भी दिए हैं जिनमें मुस्लिमों के शाखा में आने जैसे सवाल भी शामिल थे।
मुस्लिमों के शाखा पर आने पर क्या बोले मोहन भागवत?
मोहन भागवत ने शाखा में स्वयंसेवकों को संबोधित किया और इसके बाद वह वहां मौजूद लोगों से संवाद कर रहे थे। इस दौरान भागवत से पूछा गया कि क्या मुसलमान भी शाखा में आ सकते हैं। इस पर भागवत ने कहा कि कोई भी भारतीय शाखा में आ सकता है और संघ में या शाखा में पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि संघ की शाखा के दरवाजे उन सभी के लिए खुले हैं जो ‘भारत माता की जय’ बोलते हैं और भगवा ध्वज का सम्मान करते हैं। भागवत ने कहा कि जो भारतीय स्वयं को औरंगज़ेब का वंशज नहीं मानते, उनका संघ और शाखा में पूरी तरह से स्वागत है। उन्होंने ‘सभी भारतीयों के भारतीय संस्कृति से जुड़े होने’ को लेकर कहा, “हमारी जाति, पंथ, संप्रदाय अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन संस्कृति तो एक ही है।”
हिंदू एकता का किया आह्वान
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने प्रवास के दौरान आईआईटी (बीएचयू) में एक कार्यक्रम में संघ के 100 वर्ष, आगे के लिए RSS के संकल्प और हिंदू समाज में एकता को लेकर भी बातचीत की है। भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को मजबूत करने के उद्देश्य के साथ संघ काम कर रहा है। उन्होंने लोगों से एकजुटता का आह्वान करते हुए कहा कि कोई सामाजिक भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी हिंदुओं के लिए श्मशान, मंदिर और पानी एक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में भारत में रहने वाला हर व्यक्ति शामिल है, चाहे वह मुस्लिम हो या हिंदू क्योंकि वे सभी भारत का हिस्सा हैं। साथ ही, उन्होंने लोगों से पर्यावरण साफ करने, आत्मनिर्भर बनने और स्वदेशी अपनाने का भी आग्रह किया है।